
रिश्ते मानव की भावनात्मक आवश्यकताओं की संतुष्टि करता है। प्रेम, स्नेह, त्याग, सुरक्षा आदि भावनाएं इंसान रिश्तो के बिच रह कर ही सीखता है और यही वो चीज है जो हमे सजीव होने के बावजूद भी पशुओं से अलग करती है।
परिवार में बच्चों के लिये प्रारंभिक सामाजिक पर्यावरण परिवार ही प्रदान करता है, इसलिए अगर हम ज्योतिष अनुसार चले तो ग्रहों और रिश्तो के संबंध को भलिभांति जान लेना चाहिए। ज्योतिष अनुसार हर एक ग्रह हमारे किसी न किसी रिश्ते की नींव रखता हैं और अगर रिश्ते से सम्बंधित ग्रह कमजोर हुआ तो रिश्ता बिगड़ जाता है, और यह कहना भी गलत नहीं होगा की अगर कोई रिश्ता कमजोर हुआ तो रिश्ते से सम्बंधित ग्रह भी कमजोर हो जाता है। इसके अलावा कुंडली में राहु का प्रभाव अधिक होने से भी रिश्तों में तनाव हो जाता है और साथ ही अगर जातक की कुंडली में अग्नि तत्व की मात्रा ज्यादा है या फिर चंद्रमा या मंगल खराब स्थिति में है तब भी रिश्तों में समस्या पैदा हो सकती है। चलिए जानते हैं ज्योतिषी रजत सिंगल अनुसार क्या कहते है हमारे ग्रह हमारे रिश्तों के बारे में :
ज्योतिषी रजत सिंगल (Rajat Singal) अनुसार ग्रहों के प्रभाव और उनके उपाय
सूर्य- ज्योतिष में सूर्य ग्रह पिता से संबंधित होता है इसलिए पिता का सम्मान करने से सूर्य निश्चित रूप से मजबूत होता है। जिस तरह पिता हमारा पालन पोषण करते हैं उसी तरह सूर्य भी हमें राह दिखाते हमारा मार्गदर्शन करता है।
उपाय:
रोज प्रातः पिता के चरण स्पर्श करें और उनकी सेवा करें।
अगर पिता नहीं हैं, तो सूर्य को जल देकर पिता का स्मरण करें।
चन्द्रमा- ज्योतिष में माता का सम्बन्ध चन्द्रमा से माना जाता है अगर कुंडली में चन्द्रमा पीड़ित हो तो माता का स्वास्थ्य खराब रहता हैं। ऐसे जातक को मानसिक परेशानिया अधिक रहती हैं।
उपाय:
माता की सेवा करे व उनका अनादर कभी न करे।
अगर माता साथ नहीं हैं तो देवी माँ की उपासना करें।
मंगल- मंगल ग्रह को, भाई-बहन से संबंधित माना जाता है। भाई बहनों के आपस के झगड़ों से मंगल ग्रह कमज़ोर होता हैं।
उपाय:
हनुमान जी की उपासना करें।
भाई दूज पर यमुना नदी में भाई-बहन स्नान करें।
बुध- नाना नानी और ननिहाल के लोगों का विचार बुध से किया जाता है। अगर ननिहाल के लोगों का सम्मान न किया जाय तो बुध कमजोर हो जाता है।
उपाय:
मामा जी के साथ सुगम संबंध रखें।
ननिहाल से कोई पौधा लाकर अपने घर में लगाएं।
बृहस्पति- बृहस्पति से दादा-दादी व पितरो की स्थिति का विचार किया जाता है। कमज़ोर बृहस्पति पितृदोष का कारण हो सकता हैं जिसकी वजह से जातक को अत्यधिक पीड़ा सहनी पड़ती हैं।
उपाय:
अपने दादा दादी और बुजुर्गों का सम्मान व उनकी सेवा करें।
पितरों का श्राद्ध कर्म आदि अवश्य करें।
शुक्र- शुक्र का संबंध जीवनसाथी से होता हैं। कमज़ोर शुक्र के कारण ही विवाह विच्छेद जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं।
उपाय:
शिव-शक्ति की संयुक्त पूजा करें।
विवाह से पूर्व कुंडली-मिलान अवश्य करें।
शनि, राहु, केतु- सहयोगियों के साथ रिश्ते शनि राहु केतु से सम्बन्ध रखते हैं, सहयोगियों के साथ ख़राब रिश्तों से ये ग्रह बिगड़ जाते हैं
उपाय:
सप्ताह में एक बार सहयोगियों को मीठा खिलाएं।
शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नम: का जाप करें।