
गाज़ा और वेस्ट बैंक में खंडहर बनी इमारतों के बीच कैसे मना रहे हैं फिलिस्तीनी रोज़ा, सहरी और इफ़्तार? जानिए जज़्बाती जद्दोजहद और उम्मीद की इस खास रिपोर्ट में।
खंडहरों के दरमियान रोज़े की रौशनी
ग़ज़ा और वेस्ट बैंक में बर्बादी का मंजर हर तरफ़ फैला हुआ है। युद्ध और संघर्ष ने उन इमारतों को खंडहर में बदल दिया, जो कभी हंसते-खेलते घर हुआ करते थे। लेकिन इन सबके बीच जो चीज़ ज़िंदा है, वह है फिलिस्तीनी जनता का हौसला, उनका ईमान और रोज़े की सच्ची रूहानियत।
मुक़द्दस रमज़ान का महीना पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए इबादत, संयम और इंसानियत का संदेश लेकर आता है। मगर जब यह महीना बमबारी और तबाही के बीच गुज़रता है, तो इसकी अहमियत और भी बढ़ जाती है। ग़ज़ा में खंडहर बनी इमारतों के बीच लोग सहरी कर रहे हैं, इफ़्तार के वक्त ज़मीन पर बैठकर खजूर और पानी से रोज़ा खोल रहे हैं। बिजली-पानी की कमी के बावजूद वे अल्लाह के आगे सज्दा करने से पीछे नहीं हटते।






यह न केवल इबादत का महीना है, बल्कि पूरी दुनिया को यह दिखाने का भी वक़्त है कि हौसला और उम्मीद कभी नहीं मरती। फिलिस्तीनी लोगों की यह मजबूती हमें सिखाती है कि हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हों, इंसानियत और आस्था की रोशनी कभी बुझती नहीं।
आज जब दुनिया भर के मुसलमान चैन और अमन के साथ इफ़्तार कर रहे हैं, हमें उन मासूमों को भी याद रखना चाहिए जो बर्बादी के बीच अपने ईमान को ज़िंदा रखे हुए हैं। हमें उनके लिए आवाज़ उठानी होगी, उनके दर्द को समझना होगा और इस संघर्ष में इंसानियत का साथ देना होगा।
गाजा में 69% से ज्यादा इमारतें तबाह हो चुकी हैं, लाखों लोग बेघर हैं, लेकिन फिलिस्तीनी खंडहरों के दरमियान भी रमजान मना रहे हैं। जानें सहरी रोजा इफ़्तार और जद्दोजहद की पूरी कहानी।
खंडहर बनी इमारतों के दरमियान रोजा इफ्तार
हमास के 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद इजरायल की जवाबी कार्रवाई में गाजा में भारी तबाही हुई। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा की 69% से ज्यादा इमारतें बर्बाद हो चुकी हैं, पूरी आबादी विस्थापित हो गई है, और भुखमरी फैल चुकी है। इजरायली हमलों में अब तक 48,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
क्या है फिलिस्तीनियों का कहना?
राफाह की रहने वाली उम्म अल-बरा हबीब ने मीडिया को बताया, “मुक़द्दस माह रमजान के पहले दिन, हम अपने घरों में लौटकर परिवार के साथ रोजा खोलने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन यह अल्लाह की मरजी है, और हम मजबूत रहते हैं।”
रोजा इफ्तार के लिए लोग हुए इकट्ठा
उत्तरी शहर बेत लाहिया में लोग ढह चुकी इमारतों के बीच रोजा खोलने के लिए जमा हुए। मोहम्मद अबू अल-जिदयान ने कहा, “हम यहां तबाही और मलबे के बीच हैं, लेकिन हम अपने दर्द और घावों के बावजूद अडिग हैं।”
गाजा में सहरी का वीडियो हुआ वायरल
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें लोग खंडहरों के बीच रोशनी में सेहरी कर रहे हैं। लंबी मेज लगी है, और लोग वहां बैठकर रोजा रखने की तैयारियां कर रहे हैं। यह वीडियो संघर्ष के बीच भी फिलिस्तीनियों की जीवटता को दर्शाता है।
#Gaza #Ramadan #Palestine #IsraelPalestineConflict #BreakingNews