
Russian President issues stern warning amid the largest drone attack on Ukraine in 3 years, as NATO countries scramble fighter jets in response. Shah Times exclusive visual coverage
रूस का सबसे बड़ा ड्रोन हमला: यूक्रेन को हिलाया, नाटो को जगा दिया – क्या यह तीसरे विश्वयुद्ध की आहट है?
रूस का 479 ड्रोन हमला: यूक्रेन में तबाही, NATO की वायु सुरक्षा पर खतरा | Shah Times संपादकीय विश्लेषण
🇷🇺 रूस का सबसे बड़ा ड्रोन हमला: शक्ति प्रदर्शन या बदले की कार्रवाई?
रविवार देर रात रूस ने यूक्रेन पर जिस स्तर का ड्रोन और मिसाइल हमला किया, उसने इस युद्ध के तीन साल के इतिहास में एक नया भयावह अध्याय जोड़ दिया। कुल 479 ड्रोन और 20 मिसाइलें — यह संख्या ही बताती है कि रूस का इरादा सिर्फ जवाब देने का नहीं, बल्कि दबदबा स्थापित करने का भी था।
यूक्रेन की वायुसेना ने 277 ड्रोन और 19 मिसाइलें हवा में ही नष्ट कर दीं, फिर भी रिवने और कीव जैसे शहरों में हमला सफल रहा। यह साफ दर्शाता है कि यूक्रेन की हवाई सुरक्षा प्रणाली अब भी चुनौतीपूर्ण स्थिति में है, जबकि रूस की रणनीति और तकनीकी दक्षता एक नई ऊँचाई पर पहुंच रही है।
🔁 ‘ऑपरेशन स्पाइडरवेब’ का जवाब या सामरिक संदेश?
रूस का यह हमला यूक्रेन के ‘ऑपरेशन स्पाइडरवेब’ के बाद आया है, जिसमें यूक्रेन ने रूस के चार हवाई अड्डों को निशाना बनाकर उसे 7 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचाया था। पुतिन पहले ही चेतावनी दे चुके थे कि इसका जवाब ‘कड़ा और निर्णायक’ होगा।
हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की का बयान इस हमले को ‘बदले’ की भावना से अधिक, ‘विनाश की मानसिकता’ करार देता है। यह बयान न सिर्फ कूटनीतिक है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संकेत देने की कोशिश भी है कि रूस अब केवल प्रतिक्रिया नहीं, आक्रामकता की नीति अपना रहा है।
🛡️ नाटो की तत्परता: पोलैंड अलर्ट मोड में, हवाई सुरक्षा टॉप एजेंडा
इस हमले ने नाटो के भीतर हड़कंप मचा दिया है। पोलैंड ने तुरंत अपने फाइटर जेट सीमा क्षेत्र में तैनात कर दिए। यह कदम केवल एक सुरक्षात्मक पैंतरा नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि नाटो अब किसी भी क्षण मैदान में उतर सकता है।
नाटो प्रमुख मार्क रट का बयान और लंदन में उनकी सक्रियता यह साबित करती है कि सैन्य गठबंधन रूस को अब हल्के में लेने को तैयार नहीं है। रट ने साफ कहा कि “हमें अपनी वायु और मिसाइल सुरक्षा में 400% तक की वृद्धि करनी होगी,” जो नाटो की भविष्य की युद्ध नीति का रुख स्पष्ट करती है।
💣 रूस को युद्ध में बढ़त: नई क्षेत्रीय पकड़ और रणनीतिक दबाव
रूसी सेना ने पहली बार डिनीप्रोपेट्रोव्स्क क्षेत्र की सीमा तक पहुंचने का दावा किया है। साथ ही कोस्त्यांतिनिवका और सुमी जैसे रणनीतिक शहरों की ओर बढ़ रही है। यह यूक्रेन की लॉजिस्टिक सप्लाई चेन के लिए गंभीर खतरा है।
रूस की यह रणनीति सिर्फ सैन्य विस्तार नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव भी पैदा कर रही है। यह दिखाता है कि रूस अब कूटनीतिक बातचीत नहीं, ‘मैदान में निर्णायक जीत’ की ओर अग्रसर है।
🤝 युद्धविराम की विफलता: कैदियों और शवों की वापसी पर विवाद
शांति की कोई भी उम्मीद धुंधली पड़ती जा रही है। कैदियों की अदला-बदली और मृत सैनिकों के शवों की वापसी पर दोनों देशों के बीच गंभीर आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। यह युद्ध अब मानवीय संकट का भी स्वरूप ले रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की भूमिका और जिम्मेदारी भी सवालों में है।
🌐 नाटो का बढ़ता सैन्यकरण: बजट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और ट्रंप की मांग
मार्क रट की योजना के अनुसार, नाटो को न केवल 3.5% GDP सैन्य खर्च पर खर्च करना चाहिए, बल्कि सड़कों, पुलों, हवाई अड्डों और समुद्री बंदरगाहों जैसे रणनीतिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी 1.5% तक खर्च करना चाहिए।
यह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस मांग को भी संतुलित करता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि नाटो सदस्य देश अपने GDP का 5% रक्षा पर खर्च करें। इससे स्पष्ट है कि अमेरिका की भूमिका और अपेक्षाएं नाटो पर आज भी भारी हैं।
🚀 निष्कर्ष: क्या यह तीसरे विश्वयुद्ध की आहट है?
रूस और यूक्रेन के बीच यह नया सैन्य तनाव केवल दो देशों की लड़ाई नहीं रह गई है। यह अब वैश्विक शक्तियों के बीच एक बहुपक्षीय संघर्ष की आशंका को जन्म दे रहा है।
नाटो की ओर से हवाई सुरक्षा पर जोर, रूस की सैन्य बढ़त और शांति वार्ता की असफलता — यह सब संकेत करते हैं कि आने वाले महीनों में यह युद्ध केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्थिरता को सीधा चुनौती दे सकता है।
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