
भारत के अरबपतियों की नई तस्वीर: हुरुन इंडिया रिच लिस्ट
अमीरी का नया नक्शा:भारत में अरबपतियों की बढ़ती तादाद
📍नई दिल्ली | 1 अक्टूबर 2025
✍️ आसिफ़ खान
हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025 ने दिखा दिया है कि भारत अब अरबपतियों का नया हब बन चुका है। मुकेश अंबानी नंबर-1, गौतम अडानी नंबर-2 और रोशनी नादर पहली बार टॉप-3 में। वहीं शाहरुख खान की बिलेनियर्स क्लब में एंट्री सबसे चर्चित रही।
भारत की दौलत का आईना: Hurun India Rich List 2025
भारत की आर्थिक तस्वीर आज एक नई शक्ल ले चुकी है। हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025 ने यह साफ़ कर दिया कि देश की दौलत किस तेज़ी से बदल रही है और किन चेहरों के हाथ में सिमट रही है। इस बार की लिस्ट ने जहां पुराने नामों की ताक़त को बरकरार रखा, वहीं नए चेहरों ने भी दस्तक दी।
अमीरों की बढ़ती तादाद
तेरह साल पहले अगर हम पीछे मुड़कर देखें तो भारत में अरबपतियों की गिनती चंद नामों में सीमित थी। आज हालात बिल्कुल अलग हैं। 2025 की इस रिपोर्ट में बताया गया कि देश में अब 358 अरबपति मौजूद हैं। उनकी कुल दौलत 167 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है, जो भारत के जीडीपी का लगभग आधा है।
यानी, मुल्क का आधा ख़ज़ाना कुछ सौ घरानों के पास सिमट चुका है। यह हक़ीक़त अपने आप में बहुत बड़ा सवाल भी खड़ा करती है — क्या यह तरक़्क़ी है या असमानता की नई मंज़िल?
टॉप-3 की तस्वीर
इस साल भी नंबर-1 पर वही नाम है जो बीते कई बरसों से इस सूची पर हावी है। मुकेश अंबानी और उनका परिवार 9.55 लाख करोड़ रुपये की नेटवर्थ के साथ भारत के सबसे अमीर शख्स बने रहे। उनके बाद गौतम अडानी 8.15 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे पायदान पर हैं। तीसरे नंबर पर पहली बार किसी महिला का नाम आया — रोशनी नादर मल्होत्रा। 2.84 लाख करोड़ रुपये की नेटवर्थ के साथ उन्होंने इतिहास रचा।
रोशनी का यह मुकाम सिर्फ दौलत का नहीं बल्कि सोशल नैरेटिव का भी हिस्सा है। हिंदुस्तान में जहां लंबे समय तक अरबपतियों की चर्चा पुरुषों तक सीमित रही, वहीं अब एक महिला का टॉप-3 में आना एक नई सोच की निशानी है।
शाहरुख खान की एंट्री
इस बार की लिस्ट का सबसे दिलचस्प पहलू बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान की एंट्री रही। 12,490 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ वह पहली बार इस क्लब में शामिल हुए। शाहरुख सिर्फ एक एक्टर नहीं बल्कि एक ब्रांड हैं। उनकी फिल्मों से लेकर आईपीएल टीम, प्रोडक्शन हाउस और एंडोर्समेंट्स — सबने मिलकर उन्हें अरबपतियों की कतार में ला खड़ा किया।
यह एंट्री सांकेतिक भी है। भारत में अब दौलत का नक्शा सिर्फ उद्योगपतियों तक सीमित नहीं, बल्कि एंटरटेनमेंट और क्रिएटिव इंडस्ट्री भी अरबपतियों को जन्म दे रही है।
नए और युवा चेहरे
लिस्ट में 31 साल के अरविंद श्रीनिवास का नाम भी आया, जो Perplexity नामक एआई स्टार्टअप के फाउंडर हैं। 21,190 करोड़ रुपये की नेटवर्थ ने उन्हें भारत का सबसे युवा अरबपति बना दिया। यह बताता है कि भारत का टेक्नोलॉजी सेक्टर किस तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और स्टार्टअप कल्चर अब सिर्फ छोटे सपनों तक सीमित नहीं।
इसी तरह, ज़ेप्टो के कैवल्य वोहरा और आदित पालीचा ने भी अरबपतियों की लिस्ट में अपनी जगह बनाई। 22 और 23 साल की उम्र में अरबपति बन जाना इस बात का सबूत है कि नई पीढ़ी सिर्फ ख़्वाब नहीं देख रही, बल्कि उन्हें हक़ीक़त में बदल रही है।
असमानता का सवाल
अब ज़रा सोचिए — एक तरफ़ अरबपतियों की तादाद रिकॉर्ड स्तर पर है, दूसरी तरफ़ देश के गाँवों और कस्बों में लोग महंगाई और बेरोज़गारी से जूझ रहे हैं। यही असल चुनौती है। हुरुन लिस्ट हमें बताती है कि दौलत कहां है, लेकिन यह नहीं बताती कि दौलत कैसे बांटी जा रही है।
इसीलिए आलोचकों का कहना है कि यह अमीरी का बढ़ना, इंडिया की तरक़्क़ी की नहीं बल्कि अमीरी-गरीबी की खाई गहराने की कहानी है। अरबपतियों का यह बढ़ता हुआ आंकड़ा लोकतांत्रिक भारत की असल नब्ज़ को छूने से कतराता है।
मुंबई – अमीरों का गढ़
लिस्ट में मुंबई का दबदबा कायम है। 451 अरबपति इसी शहर में रहते हैं। दिल्ली 223 और बेंगलुरु 116 अरबपतियों के साथ दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं। मुंबई की यह तस्वीर बताती है कि भारत का फ़ाइनेंशियल हब आज भी वही शहर है जो सपनों को करोड़ों में बदल देता है।
सेक्टर का योगदान
अगर सेक्टरवार देखा जाए तो इस बार फ़ार्मास्यूटिकल्स इंडस्ट्री सबसे आगे रही, जिसमें 137 अरबपति हैं। इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स और केमिकल सेक्टर भी पीछे नहीं रहे। टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट ने भी बड़ा योगदान दिया।
इससे यह साफ़ है कि भारत की अमीरी अब सिर्फ़ पुराने उद्योगों पर निर्भर नहीं बल्कि नए सेक्टर्स भी उभर रहे हैं।
नतीजा
हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025 सिर्फ़ दौलत की गिनती नहीं, बल्कि भारत के बदलते इकॉनॉमिक और सोशल नैरेटिव का आईना है। यह हमें बताती है कि कौन आगे बढ़ रहा है और किसके पास ताक़त है।
लेकिन यह भी सच्चाई है कि जब तक इस दौलत का फायदा समाज के आख़िरी आदमी तक नहीं पहुंचेगा, तब तक यह लिस्ट अधूरी रहेगी। अमीरों की तादाद बढ़ना एक तस्वीर है, मगर मुल्क की तरक़्क़ी का असली पैमाना तब होगा जब ग़रीब की थाली भी भर सके।