
NCP (SP) chief Sharad Pawar supports Rahul Gandhi’s claims of vote theft, urges Election Commission to investigate.
शरद पवार का राहुल गांधी को समर्थन, वोट चोरी विवाद में सिंधिया पर कांग्रेस का वार
वोट चोरी विवाद पर सिंधिया पर कांग्रेस का पलटवार, शरद पवार बोले—चुनाव आयोग करे जांच
वोट चोरी विवाद में शरद पवार ने राहुल गांधी का समर्थन किया, कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर सबूतों से बचने का आरोप लगाया।
भारत की सियासत में इस वक्त एक नया विवाद गहराता जा रहा है। एनसीपी (एसपी) अध्यक्ष शरद पवार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों को समर्थन देते हुए निर्वाचन आयोग (Election Commission) से जांच की मांग की है। नागपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवार ने कहा कि राहुल गांधी का प्रेज़ेंटेशन गहन शोध और दस्तावेज़ों पर आधारित था और इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
विपक्ष की रणनीति और पवार का बयान
शरद पवार ने स्वीकार किया कि महा विकास आघाड़ी (MVA) को चुनाव से पहले इस मामले में और सतर्क रहना चाहिए था। उनके अनुसार,
“हमें पहले ही इस पर गौर करना चाहिए था और सावधानी बरतनी चाहिए थी।”
राहुल गांधी ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को “संस्थागत चोरी” (Institutional Theft) करार दिया। उनका आरोप है कि निर्वाचन आयोग और भाजपा ने मिलकर गरीब और हाशिए पर मौजूद लोगों के मताधिकार को छीनने की साज़िश की है।
राहुल गांधी का दावा और सबूत
राहुल गांधी ने अपने आरोपों को पुख्ता करने के लिए एक विस्तृत पावरपॉइंट प्रेज़ेंटेशन दिया। इसमें, कथित तौर पर, ऐसे दस्तावेज़ और आंकड़े शामिल थे जो यह दिखाते हैं कि कैसे लाखों मतदाताओं के नाम सूचियों से हटाए गए या स्थानांतरित कर दिए गए।
पवार ने कहा:
“निर्वाचन आयोग को इस पर गंभीरता से गौर करना चाहिए।”
अनावश्यक विवाद: उद्धव ठाकरे की सीट
पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि राहुल गांधी के डिनर में शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की बैठने की जगह को लेकर जो विवाद पैदा हुआ, वह पूरी तरह निरर्थक था। उन्होंने बताया कि प्रेज़ेंटेशन ठीक से देखने के लिए कई नेता पीछे बैठे थे, जैसे फारूक अब्दुल्ला और सिद्धरमैया।
उपराष्ट्रपति चुनाव और पवार का रुख
9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव पर पवार ने कहा कि विपक्ष ने अभी अपना औपचारिक रुख तय नहीं किया है। उन्होंने अपने गुट के अजित पवार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ NCP से हाथ मिलाने की अटकलों को खारिज किया और साफ कहा:
“हम कभी भी भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ हाथ नहीं मिलाएंगे।”
कांग्रेस बनाम ज्योतिरादित्य सिंधिया — बयानबाज़ी तेज
राहुल गांधी के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गांधी की सोच “दिवालिया मानसिकता” (Bankrupt Mindset) को दर्शाती है।
सिंधिया के मुताबिक, जो लोग भारत की अर्थव्यवस्था को ‘मृत’ कहते हैं और संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाते हैं, वे राष्ट्रहित में काम नहीं कर रहे।
कांग्रेस ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि केवल वही लोग जांच से डरते हैं जो “वोट चोरी” से लाभान्वित हुए हैं। पवन खेड़ा ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“जैसे ही हमें मतदाता सूचियां मिलेंगी, सबसे पहले ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों की जांच होगी।”
राजनीतिक निहितार्थ और लोकतांत्रिक चिंताएं
यह विवाद सिर्फ दो नेताओं की बयानबाज़ी नहीं, बल्कि लोकतंत्र में पारदर्शिता और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता का सवाल है। अगर आरोप सही हैं, तो यह मतदाता अधिकारों पर सीधा हमला है।
भारत में चुनावों की पारदर्शिता बनाए रखना सिर्फ निर्वाचन आयोग का कर्तव्य नहीं, बल्कि पूरे समाज की ज़िम्मेदारी है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा हैं, लेकिन जब आरोप मतदाता सूची में गड़बड़ी जैसे संवेदनशील मुद्दे पर हों, तो यह सिर्फ राजनीति नहीं रह जाता — यह लोकतांत्रिक ढांचे का मामला बन जाता है।यदि पवार और राहुल के दावे सच हैं, तो यह न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है। साथ ही, विपक्ष को भी यह समझना होगा कि सिर्फ आरोप लगाने से ज़्यादा ज़रूरी है कि वे ठोस सबूतों के साथ कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया अपनाएं।