
SIR : भारत निर्वाचन आयोग की नई पहल, वोटर लिस्ट अपडेट से बढ़ेगा पारदर्शी मतदान
📍नई दिल्ली, 26 अक्टूबर 2025✍️असिफ़ ख़ान
भारत निर्वाचन आयोग देशभर में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की शुरुआत कर रहा है। इसका उद्देश्य है वोटर लिस्ट को सटीक, पारदर्शी और अद्यतन बनाना ताकि हर योग्य नागरिक का नाम सूची में रहे और फर्जी नाम हटें। यह अभियान नवंबर 2025 से चरणबद्ध रूप में लागू होगा, पहले उन राज्यों में जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
भारत में लोकतंत्र की बुनियाद मतदाता सूची पर टिकती है। जब तक वोटर लिस्ट सही और पूर्ण नहीं होगी, चुनाव की निष्पक्षता अधूरी मानी जाएगी। इसी मकसद से निर्वाचन आयोग ने Special Intensive Revision (SIR) का ऐलान किया है। यह सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है।
उद्देश्य और पृष्ठभूमि
SIR का असली मकसद है हर योग्य मतदाता का नाम सूची में जोड़ना और मृत या अपात्र व्यक्तियों के नाम हटाना। आयोग का मानना है कि पारदर्शी और अद्यतन वोटर लिस्ट से ही निष्पक्ष चुनाव संभव हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों से शिकायतें आईं कि मतदाता सूचियों में डुप्लीकेट नाम या पुराने पते के रिकॉर्ड बने हुए हैं। अब आयोग इस स्थिति को सुधारने के लिए व्यापक पुनरीक्षण कर रहा है।
चरणबद्ध शुरुआत
अभियान की शुरुआत नवंबर 2025 से होगी। पहले चरण में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, असम और पुडुचेरी शामिल किए गए हैं, जहाँ 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। दूसरे चरण में बाकी राज्यों को कवर किया जाएगा।
आयोग ने पहले ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ बैठकें की हैं। इस समीक्षा में तैयारियों, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और फील्ड स्टाफ की तैनाती पर विस्तृत चर्चा हुई।
प्रक्रियाएँ और तकनीकी तैयारी
हर जिले और विधानसभा क्षेत्र में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को नियुक्त किया गया है। ये अधिकारी घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी सत्यापित करेंगे।
साथ ही, NVSP पोर्टल और Voter Helpline ऐप जैसे ऑनलाइन माध्यमों से भी नामांकन, सुधार या हटाने की प्रक्रिया आसान की गई है।
फॉर्म-6 से नया नाम जोड़ा जाएगा,
फॉर्म-7 से अपात्र या मृत व्यक्ति का नाम हटेगा,
फॉर्म-8 से नाम, पता या जन्मतिथि जैसी त्रुटियाँ सुधारी जाएंगी।
ऑनलाइन वेरिफिकेशन से नागरिकों को सुविधा भी मिलेगी और फर्जी एंट्री पर रोक भी लगेगी।
पारदर्शिता और जनता की भागीदारी
निर्वाचन आयोग ने इस बार पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है। पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों में वालंटियर नेटवर्क तैयार किया जा रहा है, जो बूथ स्तर पर निगरानी करेंगे। BLO और स्वयंसेवकों के संयुक्त प्रयास से नागरिकों को सीधी जानकारी और सहायता मिलेगी।
आयोग का कहना है कि जब जनता खुद अपने डेटा की जांच करेगी, तब सूची अधिक सटीक बनेगी। यही कारण है कि अभियान में “जन-सहयोग से सही सूची” पर जोर दिया जा रहा है।
मतदाता का दायित्व
नागरिकों के लिए यह अवसर है कि वे अपने और परिवार के वोटर रिकॉर्ड की जाँच करें।
यदि किसी का नाम छूट गया हो, गलत लिखा हो, या पते में बदलाव हुआ हो, तो ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों माध्यम से अपडेट किया जा सकता है।
18 वर्ष से अधिक उम्र वाले नए मतदाता फॉर्म-6 भरकर नाम जुड़वा सकते हैं।
यदि किसी परिवार सदस्य का निधन हो गया है, तो फॉर्म-7 से उसका नाम हटाया जा सकता है।
पता बदला है तो फॉर्म-8 के माध्यम से संशोधन कराया जा सकता है।
इन प्रक्रियाओं से आम नागरिक भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सक्रिय हिस्सा बनते हैं।
तकनीक और नवाचार
निर्वाचन आयोग ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटाइजेशन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब हर आवेदन की स्थिति ट्रैक की जा सकती है। NVSP पोर्टल पर लॉगिन करके कोई भी मतदाता जान सकता है कि उसका आवेदन किस स्थिति में है।
इस बार आयोग ने AI आधारित डेटा एनालिसिस सिस्टम भी लागू करने की योजना बनाई है, जिससे फर्जी या डुप्लीकेट नाम स्वतः चिन्हित किए जा सकें।
चुनौतियाँ
हालाँकि यह अभियान महत्वाकांक्षी है, पर चुनौतियाँ भी हैं।
देश के कई हिस्सों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता अभी सीमित है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोग अब भी ऑनलाइन प्रक्रिया से अनजान हैं।
इसके अलावा, कुछ राज्यों में राजनीतिक दबाव या स्थानीय असंतुलन भी सूची सुधार में बाधा बन सकते हैं।
आयोग की प्रतिक्रिया
आयोग ने राज्यों से कहा है कि किसी भी शिकायत पर तत्काल कार्यवाही हो और नागरिकों को पारदर्शी फीडबैक दिया जाए। BLO को नियमित मॉनिटरिंग और सुपरविजन के लिए निर्देश दिए गए हैं।
आयोग का यह भी कहना है कि वोटर लिस्ट को अद्यतन करना केवल चुनाव से पहले की औपचारिकता नहीं, बल्कि लोकतंत्र को जीवित रखने की जिम्मेदारी है।
नागरिक सहयोग का महत्व
मतदाता सूची तभी मजबूत बनेगी जब नागरिक जागरूक होंगे। अगर कोई व्यक्ति अपनी जानकारी अपडेट नहीं करता, तो चुनाव के दिन उसका नाम सूची में न होने का खतरा रहता है।
आयोग ने अपील की है कि नागरिक स्वयं अपनी जानकारी जाँचें, सही दस्तावेज़ दें और BLO से सहयोग करें।
जैसे, अगर आपका नाम “आसिफ खान” की जगह “आसिफ ख़ान” गलत छपा है, तो उसे समय रहते सुधरवाना जरूरी है। यही छोटी सावधानियाँ बड़े लोकतांत्रिक परिणाम तय करती हैं।
समापन दृष्टि
SIR अभियान सिर्फ वोटर लिस्ट अपडेट नहीं कर रहा, बल्कि नागरिकों में लोकतांत्रिक जिम्मेदारी का भाव भी जगा रहा है।
एक सटीक मतदाता सूची न केवल चुनाव को निष्पक्ष बनाती है, बल्कि नागरिक और राज्य के बीच भरोसे को भी मजबूत करती है।






