
Gaza children suffering from hunger, closed hospitals, and aid trucks waiting at border during Israel-Hamas conflict
गाजा संकट पर ब्रिटेन-फ्रांस-जर्मनी की आपात बैठक: क्या होगा मानवीय राहत का रास्ता?
इजरायल-हमास जंग के दरमियान गाजा में भूख से मौतें, यूरोपीय मुल्क सक्रिय
इजरायल-गाजा जंग के दरमियान ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की बैठक में भूख, संघर्षविराम और राहत पर मंथन; UN और WHO ने चेतावनी दी है।
इजरायल-गाजा जंग के दरमियान यूरोपीय हस्तक्षेप: एक नई मानवीय पहल
इजरायल और हमास के बीच जारी भीषण संघर्ष ने गाजा पट्टी को एक अभूतपूर्व मानवीय संकट में धकेल दिया है। इस संकट की गंभीरता को देखते हुए ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने गाजा की स्थिति पर एक आपात बैठक बुलाने का फैसला लिया है, जो शुक्रवार को होगी। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा कि यह बैठक इस बात पर केंद्रित होगी कि कैसे संघर्षविराम, खाद्य आपूर्ति और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
यह कदम अंतरराष्ट्रीय दबाव और गाजा में बढ़ती भुखमरी, कुपोषण और मानवीय मौतों के बीच सामने आया है। क्या यह बैठक कोई ठोस समाधान निकालेगी या फिर एक और औपचारिकता साबित होगी? यह सवाल अब पूरी दुनिया के सामने है।
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गाज़ा में भुखमरी की भयावह तस्वीर: 100 से अधिक संगठन चेतावनी पर
गाजा में इस समय हालात बेहद खराब हो चुके हैं। 109 अंतरराष्ट्रीय मानवीय संगठनों और मानवाधिकार संस्थाओं ने बुधवार को संयुक्त बयान में कहा कि यदि तत्काल राहत नहीं पहुंचाई गई, तो इसका विनाशकारी परिणाम हो सकता है।
इनमें शामिल हैं – Médecins Sans Frontières (MSF), सेव द चिल्ड्रन, ऑक्सफैम, इत्यादि।
🚫 “गाज़ा में भूख से लोग मर रहे हैं”
इन संगठनों ने कहा:
“हमारे सहयोगी और कर्मचारी भी अब भूख से जूझ रहे हैं। खाद्य आपूर्ति पूरी तरह ठप है। हम अपनी आंखों के सामने लोगों को मरता देख रहे हैं।”
इजरायल सरकार ने इन चेतावनियों को खारिज करते हुए मानवीय संगठनों पर हमास का समर्थन करने का आरोप लगाया है। इससे मानवीय सहायता और भी अधिक जटिल हो गई है।
WHO और UN की चेतावनी: गाजा में “भूख से नरसंहार”
📊 आंकड़ों से खुलासा:
100 से अधिक लोगों की मौत अब तक केवल भूख और कुपोषण से हो चुकी है।
5 साल से कम उम्र के 21 बच्चों की मौत भी कुपोषण से दर्ज की गई है।
गाजा सिटी में हर 5 में से 1 बच्चा कुपोषित है।
WHO के प्रमुख डॉ. टैड्रॉस एडहेनॉम ने कहा:
“केवल बम ही नहीं, भूख भी गाजा के लोगों को मार रही है।”
UNFPA के मुताबिक, मातृत्व और नवजात मृत्यु दर में 20 गुना वृद्धि दर्ज की गई है। जनवरी से जून 2025 तक 220 माताओं की मौत दर्ज की गई है। यह आंकड़ा गाजा के स्वास्थ्य ढांचे की गंभीरता को दर्शाता है।
मानवता की हार: अस्पतालों पर हमले और सहायता कर्मियों का पलायन
संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी (UNRWA) के कमिश्नर जनरल फिलिपे लज़ारिनी ने कहा कि गाजा में अस्पताल अब सुरक्षित नहीं रहे।
भोजन वितरण स्थल हिंसा के केंद्र बन चुके हैं, और अस्पतालों को निशाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि:
“यूएन और WHO के सहायता स्थल पर हमला हुआ। हमारे कर्मचारी मारे गए, हिरासत में लिए गए और महिलाओं-बच्चों को पैदल भागना पड़ा।”
यह स्थिति न केवल फिलिस्तीनियों के लिए, बल्कि संपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मानवीय समुदाय के लिए शर्मनाक बन गई है।
सहायता ट्रक बॉर्डर पर रुके, इजरायली नियंत्रण बनी सबसे बड़ी बाधा
6,000 से अधिक सहायता ट्रक जॉर्डन और मिस्र में फंसे हुए हैं, जो UNRWA के अनुसार तुरंत गाजा भेजे जाने चाहिए।
इजरायल ने मार्च 2025 में गाजा पर पूर्ण नाकाबंदी लागू की थी और युद्धविराम के बाद फिर से हवाई हमले शुरू किए थे। इसका नतीजा है:
खाद्य संकट
ईंधन की कमी
दवाओं की अनुपलब्धता
अब सहायता कर्मी खुद भूखे हो रहे हैं। UNRWA के अनुसार, सभी कर्मचारी दिन में केवल एक कटोरा दाल खाकर काम कर रहे हैं। कई तो ड्यूटी के दौरान बेहोश हो रहे हैं।
ब्रिटेन-फ्रांस-जर्मनी की बैठक से क्या उम्मीद?
शुक्रवार को प्रस्तावित इस बैठक में तीन प्रमुख यूरोपीय राष्ट्र संघर्षविराम, मानवीय सहायता, और शांति प्रक्रिया पर विचार करेंगे।
संभावित मुद्दे:
गाजा में सीमित युद्धविराम की शुरुआत
मानवीय ट्रकों की बिना रोकटोक सीमा पार अनुमति
इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाना
हमास और अन्य संगठनों को संयम बरतने की अपील
हालांकि राजनीतिक परिणामों से अधिक, यह बैठक नैतिक और मानवतावादी दृष्टिकोण से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
क्या दुनिया की आंखें अब खुलेंगी?
गाजा में बच्चों की भूख से मौत, माताओं का दम तोड़ना और अस्पतालों का खंडहर बनना इस बात का संकेत है कि अब और चुप्पी नहीं चलेगी।
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की बैठक एक संवेदनशील मोड़ हो सकती है – यदि यह महज कूटनीतिक औपचारिकता न हो कर एक ठोस राहत योजना में बदले।
संयुक्त राष्ट्र, WHO और मानवीय संगठनों की चेतावनियाँ सिर्फ अल्फाज़ नहीं, एक टूटती हुई पीढ़ी की चीख है – जिसे अब अनसुना नहीं किया जा सकता।