
आवारा पशुओं की बढ़ती समस्या ट्रैफिक जाम, सड़क हादसों और स्वच्छता पर गंभीर असर डाल रही है। प्रशासन की लापरवाही और समाधान की जरूरत पर विस्तृत रिपोर्ट।
शहरों और ग्रामीण इलाकों में आवारा पशुओं की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। यह न केवल ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं का कारण बन रही है, बल्कि लोगों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन चुकी है।
सड़क हादसों में बढ़ोतरी
गौ माता, सांड, कुत्ते और सूअर सड़कों पर खुलेआम घूमते नजर आते हैं। कई बार यह वाहन चालकों के लिए गंभीर हादसों का कारण बनते हैं। हाल ही में में एक तेज रफ्तार बाइक सांड से टकरा गई, जिससे दो युवक गंभीर रूप से घायल हो गए।
स्वच्छता और स्वास्थ्य पर असर
आवारा पशु कूड़े-कचरे में भोजन ढूंढते हैं, जिससे गंदगी फैलती है और बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है। खासकर, बारिश के मौसम में इनकी वजह से सड़कें और अधिक गंदी हो जाती हैं, जिससे संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ जाती है।
प्रशासन की लापरवाही
स्थानीय प्रशासन द्वारा आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए योजनाएं तो बनाई जाती हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इनका क्रियान्वयन न के बराबर होता है। नगर निगम द्वारा समय-समय पर पकड़ने की मुहिम चलाई जाती है, लेकिन समस्या जस की तस बनी रहती है।
समाधान की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या का स्थायी समाधान पशु आश्रयों की संख्या बढ़ाने और सख्त नियम लागू करने से ही संभव है। इसके अलावा, पशु मालिकों को अपने पालतू जानवरों को खुला छोड़ने पर जुर्माना लगाने जैसी सख्त कार्रवाई भी जरूरी है।
आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन, आम जनता और पशु कल्याण संगठनों को मिलकर काम करना होगा। जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाते, यह समस्या लगातार बढ़ती रहेगी और लोगों के लिए मुसीबत बनी रहेगी।
Terror of stray animals: Increasing trouble on the roads