
Supreme Court of India orders first-ever EVM recount in Haryana’s Buana Lakhu Panchayat election, overturning results and sparking political debate – Shah Times
पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने खोली EVM, चुनाव में पलटा रिज़ल्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार EVM की पुनर्गिनती कराई, वोट गिनती से नतीजा पूरी तरह बदला
सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार EVM खोलकर वोट गिनती कराई, हरियाणा के बुआना लाखु पंचायत चुनाव में हारे प्रत्याशी की जीत हुई।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक कदम
भारत में चुनावी प्रक्रिया पर भरोसा और पारदर्शिता लंबे समय से बहस का विषय रही है। विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर बार-बार सवाल उठते रहे हैं। लेकिन इस बार एक ऐसा ऐतिहासिक कदम उठा, जिसने भारतीय चुनावी इतिहास में नई मिसाल कायम की।
हरियाणा के बुआना लाखु गांव के पंचायत चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार आदेश दिया कि चुनाव में इस्तेमाल की गई EVM को खोला जाए और वोटों की गिनती की जाए। यह फैसला न केवल इस विशेष चुनाव के लिए बल्कि पूरे देश में चुनावी पारदर्शिता के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।
बुआना लाखु पंचायत चुनाव का विवाद
2 नवंबर 2022 को हुए सरपंच चुनाव में कुलदीप कुमार सिंह को विजयी घोषित किया गया था।
लेकिन मोहित कुमार ने नतीजों को चुनौती देते हुए पुनर्गिनती की मांग की।
अप्रैल 2025: अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश ने पुनर्गिनती का आदेश दिया।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट: आदेश को रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट: मामले को गंभीर मानते हुए खुद EVM खोलने का आदेश दिया।
पहली बार EVM की सुप्रीम कोर्ट निगरानी में गिनती
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, वोटों की गिनती रजिस्ट्रार की निगरानी में की गई।
दोनों पक्षों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई।
नतीजे पलट गए — मोहित कुमार विजयी घोषित हुए।
यह नतीजा न केवल गांव बल्कि राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचाने वाला साबित हुआ।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आरोप
EVM गिनती के बाद विपक्ष ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला।
तेजस्वी यादव ने कहा: “यह मामला बीजेपी की चुनावी मनमानी और EVM के दुरुपयोग का सबूत है।”
कई अन्य विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग और सरकार से EVM की विश्वसनीयता पर जवाब मांगा।
भाजपा की ओर से अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी के स्थानीय नेताओं ने चुनावी प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष बताया है।
EVM पर भरोसा या शक?
EVM (Electronic Voting Machine) का उद्देश्य पारदर्शी और तेज वोटिंग सुनिश्चित करना है।
भ्रष्टाचार और बूथ कैप्चरिंग रोकने के लिए लागू की गई।
अब तक चुनाव आयोग और केंद्र सरकार इसके सुरक्षित होने का दावा करते रहे हैं।
लेकिन समय-समय पर छेड़छाड़ के आरोप लगे हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा EVM खोलकर वोट गिनने का यह पहला मामला है, जो इस बहस को और तेज कर सकता है कि क्या भारतीय चुनावों में बैलेट पेपर वापसी की जरूरत है?
लोकतंत्र के लिए सीख
यह घटना भारतीय लोकतंत्र के लिए कई सवाल खड़े करती है:
क्या चुनाव प्रक्रिया की निगरानी और मजबूत होनी चाहिए?
क्या EVM की तकनीकी ऑडिट अनिवार्य की जानी चाहिए?
क्या मतगणना के बाद यादृच्छिक (random) जांच का नियम लागू होना चाहिए?
नतीजा बुआना लाखु पंचायत चुनाव का यह मामला केवल एक गांव या एक प्रत्याशी की जीत-हार नहीं है।
यह भारत में चुनावी पारदर्शिता और मतदाता के भरोसे का मामला है।
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम लोकतंत्र की मजबूती की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।
अब यह देखना होगा कि क्या चुनाव आयोग इस अवसर का उपयोग EVM प्रणाली में और सुधार करने के लिए करता है, या यह मामला केवल एक कानूनी मिसाल बनकर रह जाएगा।