स्वामी प्रसाद मौर्य को मिला अखिलेश यादव के करीबी का साथ

दो खेमों में बंटती नजर आ रही सपा,पीडीए अभियाने गोते खाता दिख रहा

लखनऊ,(Shah Times) । स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद समाजवादी पार्टी दो खेमों में बंटती नजर आ रही है। एक खेमा कई दिनों से स्वामी प्रसाद मौर्य की बयानबाजी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए था, तो दूसरा खेमा अब स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में उतर आया है। दूसरे खेमे का नेतृत्व सपा की विधायक पल्लवी पटेल और राम गोविंद चौधरी सरीखे नेता कर रहे हैं। दोनों खेमों के बीच अखिलेश उस मझधार में फंस गए हैं, जहां उनका पीडीए अभियान गोते खाता दिख रहा है।

पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक. अखिलेश यादव ने पीडीए का नारा देकर भारतीय जनता पार्टी को हराने का दांव चला था, लेकिन राज्यसभा में सीटों के बंटवारे के बाद अब यह नारा उलटा पड़ता दिख रहा है। सपा की ओर से जया बच्चन और आलोक रंजन को राज्यसभा की कुर्सी जैसे ही मिली, वैसे ही विधायक बागी होने लगे। सबसे पहले पल्लवी पटेल ने राज्यसभा चुनाव में हिस्सा न लेने का ऐलान किया। सपा नेता मौर्य करीबी नेता ने सपा प्रमुख को चिट्ठी लिखकर स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में आवाज बुलंद की है और बीजेपी लोकसभा चुनाव के पहले समाजावादी पार्टी में बागी सुर लगातार उठ रहे हैं। बुधवार को जहां स्वामी प्रसाद मौर्य ने महासचिव पद से इस्तीफा दिया, तो वहीं राज्यसभा प्रत्याशियों के मुद्दे पर पल्लवी पटेल ने भी आंखें दिखाईं।

इन दोनों के बाद अब पूर्व नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में आवाज उठाते हुए चिट्ठी लिखी है।  सपा नेता ने कहा कि आप जानते हैं और आप के माध्यम से हम सभी जानते हैं कि डबल इंजन की सरकार का विश्वास संविधान सम्मत शासन में नहीं है। यह सरकार पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक और सवर्ण समाज के गरीबों का हक छीनकर अपने कुछ उद्यमी मित्रों और उनके हित को ही देश हित मानने वाले सामन्ती सोच के लोगों को लगतार देती जा रही है।

अखिलेश के करीबी नेता ने सपा प्रमुख को लिखे पत्र में कहा कि इस डबल इंजन की सरकार की करतूतों की वजह से महंगाई चरमपर है। बेरोजगारी सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी है। युवा रोजगार की तलाश में युद्ध के आगोश में जी रहे इसराइल में भी जाने को तैयार हैं। आभाव से परेशान लोग आए दिन आत्महत्या कर रहे हैं और डबल इंजन की यह सरकार इसी को राम राज बता रही है।  आसमान छू रही मंहगाई और बेतहाशा बढ़ी बेरोजगारी से लोगों का ध्यान हटाने के लिए रोज रोज हिंदू-मुसलमान का पहाड़ा पढ़ रही है, नए नए पाखंड का सहारा ले रही है। आपके नेतृत्व में समाजवादी पार्टी का हर कार्यकर्ता और और नेता साम्प्रदायिकता और पाखंड के इस जहर का असर कम करने के लिए संघर्ष कर रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य भी भाजपा और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के इस जहर का मजबूती से प्रतिवाद कर रहे हैं। इसलिए वह भाजपा और संघ के निशाने पर है।

चौधरी ने लिखा कि स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़े समाज से आते हैं। अपने जुझारू स्वभाव की वजह से इस समाज में उनका एक विशेष स्थान हैं। उनका पदाधिकारी बने रहना समाजवादी पार्टी के हित में है। इसलिए मेरा अग्रह है कि आप उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं करें। यह मेरी व्यक्तिगत राय है जो आपके समक्ष रख रहा हूं। इस सम्बन्ध् में जो आपका निर्णय होगा, उसे मैं अपनी राय मानकर इस पत्र को भूल जाऊंगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here