
मुंबई हमला: तहव्वुर राणा के कबूलनामे से उभरा पाकिस्तान का काला सच
तहव्वुर राणा के कबूलनामे से हिल गया पाकिस्तान: लश्कर, ISI और सेना का गठजोड़ बेनकाब
तहव्वुर राणा ने NIA पूछताछ में 26/11 हमलों में पाकिस्तानी सेना के शामिल होने का खुलासा किया है। जानिए पूरी साजिश का सच।
मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए अब तक के सबसे भयावह आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा ने एक बार फिर पाकिस्तान की भूमिका को लेकर सनसनी फैला दी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की पूछताछ में राणा ने जो खुलासे किए हैं, उनसे यह संकेत मिलता है कि इस हमले के पीछे न केवल आतंकवादी संगठन बल्कि पाकिस्तान की सरकारी एजेंसियां और सेना तक शामिल हो सकती हैं।
अमेरिका से प्रत्यर्पण: भारत की कूटनीतिक जीत
तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक है और पेशे से इमिग्रेशन कंसल्टेंट रहा है, को अमेरिका की अदालत द्वारा प्रत्यर्पण याचिका खारिज होने के बाद अप्रैल 2025 में भारत लाया गया। भारत सरकार और जांच एजेंसियों ने वर्षों से उसके प्रत्यर्पण की मांग की थी क्योंकि वह 26/11 हमलों के लिए जिम्मेदार प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक था।
पूर्व लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने राणा के प्रत्यर्पण को भारत की बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि बताया है। उनका कहना है कि इससे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और सेना की मिलीभगत को उजागर करने में मदद मिलेगी।
NIA की पूछताछ में क्या कहा राणा ने?
सूत्रों के अनुसार, राणा ने NIA को बताया है कि वह पाकिस्तान की सेना का ‘भरोसेमंद एजेंट’ रहा है और उसे खाड़ी युद्ध के समय सऊदी अरब में तैनात किया गया था। उसने खुलासा किया कि वह लंबे समय से ISI और लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में था। इन संगठनों के साथ मिलकर वह भारत में जासूसी नेटवर्क चलाता था।
राणा ने यह भी माना है कि उसने अपने दोस्त डेविड कोलमैन हेडली के साथ पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के कई प्रशिक्षण शिविरों में हिस्सा लिया था। हेडली और राणा के बीच ईमेल, यात्रा रिकॉर्ड और अन्य डिजिटल सबूतों की जांच से यह स्पष्ट होता है कि 2005 से ही वे मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों पर हमले की योजना बना रहे थे।
मुंबई हमलों की जासूसी और प्लानिंग
राणा ने स्वीकार किया है कि उसने मुंबई में हमले से पहले कई अहम स्थानों की रेकी की थी, जिनमें ताज होटल, ओबेरॉय होटल और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) प्रमुख थे। राणा ने अपने इमिग्रेशन फर्म के जरिए हेडली को मुंबई में फर्जी ऑफिस खोलने में मदद की थी, जो पूरी तरह से आतंकी गतिविधियों की योजना बनाने और स्थानों की निगरानी करने के लिए इस्तेमाल किया गया।
26/11 Mumbai Attacks : तहव्वुर राणा की आखिरी कोशिश नाकाम
ISI और लश्कर-ए-तैयबा की गहरी सांठगांठ
एनआईए की प्रारंभिक जांच से यह सामने आया है कि राणा ने ISI और लश्कर के बीच गहरे रिश्तों का खुलासा किया है। पाकिस्तान की सैन्य खुफिया एजेंसी ISI लंबे समय से भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए आतंकवादी संगठनों का सहारा लेती रही है। राणा के बयान इस साझेदारी की पुष्टि करते हैं, जो वर्षों से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत द्वारा उठाई जा रही चिंता का केंद्र रही है।
दिल्ली समेत अन्य शहरों को था निशाना
विशेष एनआईए अदालत को दी गई जानकारी के अनुसार, तहव्वुर राणा केवल मुंबई ही नहीं बल्कि दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों को भी निशाना बनाने की योजना का हिस्सा था। 26/11 की तरह बड़े पैमाने पर और समन्वित आतंकी हमलों की श्रृंखला की योजना बनाई गई थी, जिसे भारत की खुफिया एजेंसियों ने समय रहते रोक दिया।
न्यायिक हिरासत में राणा, पूछताछ जारी
वर्तमान में तहव्वुर राणा न्यायिक हिरासत में है और उसकी 18 दिन की विस्तृत पूछताछ चल रही है। एनआईए उसकी संलिप्तता से जुड़े प्रत्येक कड़ी को जोड़ने की कोशिश कर रही है ताकि उन सभी नेटवर्क्स और एजेंसियों की पहचान की जा सके जो इस नरसंहार के पीछे थीं।
26/11 का खौफनाक सच: 60 घंटे की दहशत
याद दिला दें कि 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तान से समुद्री मार्ग से आए 10 आतंकियों ने मुंबई में कई स्थानों पर हमला कर दिया था। रेलवे स्टेशन, ताज और ओबेरॉय जैसे लक्ज़री होटल और नरीमन हाउस यहूदी केंद्र पर हुए इन हमलों में 166 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। यह हमला भारत के इतिहास का सबसे भयावह आतंकवादी हमला था, जिसे पूरी दुनिया ने देखा और जिसकी गूंज अब तक महसूस की जा रही है।
पाकिस्तान की भूमिका पर क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय समुदाय?
पाकिस्तान अब तक आधिकारिक तौर पर 26/11 हमलों में अपनी किसी भी भूमिका से इनकार करता आया है। हालांकि, तहव्वुर राणा के हालिया बयानों और डेविड हेडली की पहले की गवाही के साथ अब यह साबित होता जा रहा है कि हमले केवल आतंकी संगठनों की कार्रवाई नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान की सरकारी मशीनरी भी इसके पीछे थी।
भारत के लिए सबक और चेतावनी
राणा के बयानों से यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान के भीतर बैठे आतंकी योजनाकार अब भी भारत के विरुद्ध सक्रिय हैं। भारत के लिए यह एक बड़ा सबक है कि केवल सीमाओं पर सतर्क रहना पर्याप्त नहीं, बल्कि साइबर, डिप्लोमैटिक और इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स पर भी सख्त रणनीति अपनाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष: न्याय की दिशा में बड़ा कदम
तहव्वुर राणा के भारत आगमन और उसके खुलासों के बाद अब यह अपेक्षा की जा रही है कि 26/11 हमलों के बाकी साजिशकर्ताओं को भी न्याय के कठघरे में लाया जाएगा। यह भारत की न्याय प्रणाली, कूटनीति और आतंक के विरुद्ध दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है। अब बारी अंतरराष्ट्रीय समुदाय की है कि वह पाकिस्तान पर दबाव बनाकर जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने की दिशा में निर्णायक कदम उठाए।