कांग्रेस समेत समस्त विपक्ष ने क्यों कहा किसानों को छल रही है सरकार ?

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राज्यसभा में कांग्रेस समेत समस्त विपक्ष ने गुरुवार को कहा कि सरकार किसानों के साथ छल कर रही है और उनसे कर के रुप में प्रति एकड़ 70 हजार रुपए वसूल रही है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि कांग्रेस सदस्य सदन को गुमराह कर रहे हैं और गलत सूचना दे रहे हैं।

नई दिल्ली,(Shah Times) । राज्यसभा में कांग्रेस समेत समस्त विपक्ष ने गुरुवार को कहा कि सरकार किसानों के साथ छल कर रही है और उनसे कर के रुप में प्रति एकड़ 70 हजार रुपए वसूल रही है।

कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्रीय बजट 2024-25 पर सामान्य चर्चा पुन: शुरू करते हुए कहा कि यह “ कुर्सी बचाओ” बजट है।इस बजट में किसान, गरीब और युवाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।सरकार ने अन्नदाता किसान को लाठी और उनके पेट पर लात मारी है।
किसानों के साथ छल किया जा रहा है।सरकार बजट के माध्यम से आजीविका छीन रही है।


सरकार ने किसानों से किया गया वादा पूरा नहीं किया गया है।किसानों की आमदनी दुगुनी नहीं हुई है और किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं दिया जा रहा है।उनको लागत का 50 प्रतिशत एमएसपी नहीं दिया जा रहा है।


उन्होंने विभिन्न आंकड़ों के हवाले से कहा कि मक्का, बाजरा, ज्वार, सोयाबीन, मूंगफली और आदि फसलों का एमएसपी नहीं दिया जा रहा है।उन्होंने दावा किया कि सरकार किसी भी फसल का उचित एमएसपी नहीं दे रही है।

सुरजेवाला ने कहा कि सरकार किसानों का ऋण माफ करने पर एक भी शब्द नहीं बोल रही है जबकि उद्योगपतियों को मुनाफा कमाने का मौका दिया जा रहा है।उन्होंने कहा कि सरकार एमएसपी पर पूरी उपज नहीं खरीद रही है, जिससे किसानों को घाटा उठाना पड़ रहा है।



कांग्रेस सदस्य ने कहा कि बजट में केवल बड़ी बड़ी बातें कही गयी है।पिछले साल का पूरा बजट खर्च नहीं किया गया है।विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों को उनका अधिकार नहीं दिया जा रहा है।कई योजनाओं में कुल आवंटन में से 50 प्रतिशत तक व्यय ही नहीं किया गया है।


पीएम किसान सम्मान निधि से लगभग 37 प्रतिशत किसान वंचित है।इनकी संख्या पांच करोड़ 17 लाख है।उन्होंने कहा कि सरकार ने 50 किलोग्राम की यूरिया बोरी से पांच किलोग्राम निकाल लिया है।


इस पर केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि कांग्रेस सदस्य सदन को गुमराह कर रहे हैं और गलत सूचना दे रहे हैं।
वह पिछली सरकार में रयायन एवं उवर्रक मंत्री रहे हैं।

श्री सुरजेवाला ने कहा कि किसानों की कृषि की लागत बढ़ रही है और सरकार उनसे 70 हजार रुपए प्रति एकड़ वसूल कर रही है।
उन्होंने कहा कि कृषि आदानों पर 12 प्रतिशत तक जीएसटी वसूल की जा रही है।
सरकार के लिए “नाम बड़े दर्शन छोटे” सटीक है।
उन्होंने कहा कि तेल और दालों का आयात बढ़ रहा है।
सरकार बजट में गलत आंकड़े दे रही हैं।

कांग्रेस सदस्य ने कहा कि सरकार ने गरीबों को भी छला है।
पांच किलोग्राम अनाज देने का प्रावधान है।
यही कानूनी व्यवस्था है।
गरीब को गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत महज 13 रुपए 75 पैसे दिये जा रहे हैं।

द्रविड मुनेत्र कषगम के एम. षणमुगम ने कहा कि मनरेगा में मजदूरी राशि बढ़ायी जानी चाहिए और किसानों की मदद की जानी चाहिए।
उन्होंने सरकार पर किसानों को अनदेखा करने का आरोप लगाया।

आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कहा कि बजट ने देश के प्रत्येक वर्ग को निराश किया है।
मोदी सरकार ने पिछले दस वर्ष में कर लगाकर लोगों को खून चूस लिया है।
बजट में ग्रामीण आबादी पर ध्यान नहीं दिया गया है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था लगातार गिरावट में है और निराशा बढ़ रही है।
परिवारों की थाली का बजट बिगड़ गया है।
खाद्य मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है।
ऐसी वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही है, जिनमें देश आत्मनिर्भर है और उनका निर्यात किया जाता है, लेकिन इन बढ़ती कीमतों का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि बेरोजगारी का आलम यह है कि एक पद के लिए हजारों लोग आवेदन कर रहे हैं।
उन्होंने इसके लिए कई आंकड़ों का हवाला दिया।
देश की वित्तीय स्थिति कमजोर होती जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए मूल वेतन और मजदूरी बढ़ीयी जानी चाहिए।
किसानों की सभी उपज के लिए एमएसपी होनी चाहिए।
स्वामीनाथन रिपोर्ट पूरी तरह से लागू की जानी चाहिए।
उद्योगपतियों और स्टार्टअप को प्रोत्साहन देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अचल संपत्ति पर “मुद्रास्फीति समायोजन कर” नहीं लगाया जाना चाहिए।
उन्होंने राज्यों के लिए वित्तीय अधिकार बढ़ाने का सुझाव दिया और कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति कम से कम पांच वर्ष और जारी रहनी चाहिए।सरकार को कर व्यवस्था में बदलाव करना चाहिए।

द्रविड मुनेत्र कषगम के एम. षणमुगम ने कहा कि मनरेगा में मजदूरी राशि बढ़ायी जानी चाहिए और किसानों की मदद की जानी चाहिए।उन्होंने सरकार पर किसानों को अनदेखा करने का आरोप लगाया।

आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कहा कि बजट ने देश के प्रत्येक वर्ग को निराश किया है।मोदी सरकार ने पिछले दस वर्ष में कर लगाकर लोगों को खून चूस लिया है।बजट में ग्रामीण आबादी पर ध्यान नहीं दिया गया है।ग्रामीण अर्थव्यवस्था लगातार गिरावट में है और निराशा बढ़ रही है।परिवारों की थाली का बजट बिगड़ गया है।


खाद्य मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है।ऐसी वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही है, जिनमें देश आत्मनिर्भर है और उनका निर्यात किया जाता है, लेकिन इन बढ़ती कीमतों का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी का आलम यह है कि एक पद के लिए हजारों लोग आवेदन कर रहे हैं।उन्होंने इसके लिए कई आंकड़ों का हवाला दिया।देश की वित्तीय स्थिति कमजोर होती जा रहे हैं।


उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए मूल वेतन और मजदूरी बढ़ीयी जानी चाहिए।
किसानों की सभी उपज के लिए एमएसपी होनी चाहिए।
स्वामीनाथन रिपोर्ट पूरी तरह से लागू की जानी चाहिए।
उद्योगपतियों और स्टार्टअप को प्रोत्साहन देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अचल संपत्ति पर “मुद्रास्फीति समायोजन कर” नहीं लगाया जाना चाहिए।


उन्होंने राज्यों के लिए वित्तीय अधिकार बढ़ाने का सुझाव दिया और कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति कम से कम पांच वर्ष और जारी रहनी चाहिए।सरकार को कर व्यवस्था में बदलाव करना चाहिए।



बीजू जनता दल के देबाशीष सामंताराय ने कहा कि विभिन्न कारणों से उनका दल बजट का समर्थन नहीं कर रहा है।
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ दल हाल ही में संपन्न आम चुनाव के बहुमत को समझ नहीं पा रहा है।क्षेत्रीय दलों के अधिकांश सदस्य है।इसलिए क्षेत्रीय आंकक्षाओं को पूरा किया जाना चाहिए नहीं।


ओडिशा ने भारतीय जनता पार्टी को 20 लोकसभा सदस्य दिया है और यह राज्य भाजपा के सदस्यों की संख्या के मामले में तीसरे स्थान पर है लेकिन बजट में राज्य काे कुछ नहीं मिला है।उन्होंने कहा कि यह सरकार डबल इंजन और त्रिपल इंजन की बात करती है लेकिन बजट में ओडिशा को कुछ नहीं दिया गया है।लगभग सभी क्षेत्रीय दलों की एक ही मांग है कि उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने महंगाई का उल्लेख करते हुये कहा कि देश में अधिकांश वस्तुओं पर 18 प्रतिशत से अधिक कर है।



राष्ट्रीय जनता दल के संजय यादव ने कहा कि यह बजट पूरी तरह से अमीरों के लिए है।यह युवाओं के साथ छलावा वाला बजट है।देश संपत्ति और आय का एक समान वितरण नहीं है।किसानों को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है।


बिहार को विशेष पैकेज नहीं रिपैकेजिंग दिया गया है।वर्ष 2015 में 1.25 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा की थी लेकिन उस पैकेज का क्या हुआ।


उन्होंने कहा कि उनका दल बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग करता रहा है और अभी भी यह मांग कर रहा है।बिहार को विशेष पैकेज इस तरह से नहीं बल्कि समय निर्धारण के साथ दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस आम चुनाव में देश के 63 करोड़ मतदाताओं में से 41 करोड़ ने बता दिया है कि वे किन- किन के साथ है।

भाजपा की मेघा विश्राम कुलकर्णी ने कहा कि रेलवे के बजट में से महाराष्ट्र को 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक दिया गया है।अमृत भाारत सागर विकास योजना के तहत महाराष्ट्र को आवंटन मिला है।इसके साथ ही सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत भी महाराष्ट्र को आवंटन मिला है।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा किये गये आवंटनों का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार की सभी योजनाओं के तहत राज्य के लिए आवंटनों में वृद्धि की गयी है।


कांग्रेस की रजनी पाटिल ने कहा कि सरकार किसान कल्याण के नाम पर केवल जुमलेबाजी कर रही है और इससे किसानों का भला नहीं होने वाला।
उन्होंने कहा कि पूरे देश में किसान सबसे अधिक आत्महत्या महाराष्ट्र में कर रहा है लेकिन सरकार इस बात पर ध्यान नहीं दे रही है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने 2022 में किसानों को आश्वासन दिया था कि उनकी मांगे पूरी की जायेंगी लेकिन कोई ठोस कदम न उठाये जाने से किसानों में असंतोष बढ रहा है।

उन्होंने महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण की वकालत करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार को जातिगत जनगणना कराने की दिशा में कदम उठाना चाहिए लेकिन बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया।

अन्नाद्रमुक के सी वी षणमुगम ने कहा कि केन्द्र सरकार ने तमिलनाडु में रक्षा गलियारा तो घोषित कर दिया लेकिन अब इसके लिए पर्याप्त धनराशि मुहैया नहीं करायी जा रही।
उन्होंने कहा कि बजट में गोदावरी और कावेरी नदियों को जोड़ने की परियोजना का जिक्र नहीं किया गया है।

तृणमूल कांग्रेस के समीरूल इस्लाम ने बजट को जन विरोधी, गरीब विरोधी तथा पश्चिम बंगाल विरोधी करार देते हुए कहा कि यह केवल सरकार बचाने का बजट है।
उन्होंने केन्द्र सरकार पर पश्चिम बंगाल के लिए केन्द्रीय योजनाओं का धन जारी नहीं करने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने प्रवासी मजदूरों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अलग से कल्याण बोर्ड बनायें जाने की मांग की ।

द्रमुक के मोहम्मद अब्दुल्ला ने कहा कि वित्त मंत्री लगातार सातवीं बार कल्याणकारी बजट बनाने में विफल रही हैं।
उन्होंने बजट में तमिलनाडु के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केवल बिहार और आन्ध्र प्रदेश पर ही विशेष ध्यान दिया गया है।

आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का केंद्रीय बजट आम आदमी के लिए नहीं है।
काले धन को स्वदेश लाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों से जनता का जीवन दुरुह हो गया है।
उन्होंने जेलों में सुविधायें बढाने की मांग की और कहा कि जेलों के लिए आवंटन बढाना चाहिए।
न्यायपालिका के लिए बजट बढाया जाना चाहिए।
देश में पांच करोड से मुकदमें लंबित है।
इन्हें जल्दी जल्दी से निपटाना चाहिए।
आम आदमी को राहत देने के लिए न्यायपालिका को मजबूत बनाया जाना चाहिए।
श्री सिंह ने कहा कि राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
दिल्ली और पंजाब के लिए पर्याप्त आवंटन नहीं हुआ है।

बजट चर्चा में हिस्सा लेते हुए निर्दलीय कपिल सिब्बल ने कहा कि बेरोजगारी बढ़ रही है।
अर्थव्यवस्था की रफ्तार थम गयी है।
असंगठित क्षेत्र पर भारी दबाव बन रहा है।
सरकार को इस स्थिति से निपटने के लिए एक रणनीति बनानी चाहिए।
ए आई जैसी तकनीक भारतीय परिवेश में कामयाब नहीं हो सकती।
देश में युवाओं को रोजगार की जरुरत है और ऐसी तकनीक लायी जानी चाहिए जिससे युवाओं को रोजगार मिल सके।
उन्होंने कहा कि देश में विभिन्न को देखते हुए केंद्रीय स्तर पर प्रबंधन नहीं किया जा सकता।
इसलिये राज्यों को मजबूत बनाया जाना चाहिए।
प्रत्येक क्षेत्र की समस्या और समाधान अलग अलग है और राज्य सरकारें इसके लिए उचित है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कृषि क्षेत्र में निवेश किया जाना चाहिए।
व्यवस्थाओं केंद्रीकृत करने की आवश्यकता नहीं है।

तृणमूल कांग्रेस के एम के जी के वासन ने कहा कि किसानों को किसानों को ध्यान में रखकर योजनायें बनायी जानी चाहिए।
महिलाओं के नेतृत्व में विकास की अवधारण को सही अर्थो में जमीन पर उतारा जाना चाहिए।
सरकार ने बुनियादी क्षेत्र में बेहतर काम किया है और इसे जारी रखा जाना चाहिए।

वाईएसआरसीपी के वी विजय साई रेड्डी ने कहा कि यह शानदार बजट है जिसमें समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है।
आंध्रप्रदेश को अधिकार दिया गया है जो कई वर्षों से लंबित था।
उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में सोशल मीडिया लोकतंत्र के लिए त्रासदी बन गया है।
उन्होंने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की मांग की।

अन्नाद्रमुक के एम थंबी दुरई ने कहा कि किस ने शिक्षा को केन्द्र का मामला बनाया है।
उन्होंने कहा कि जब श्री कपिल सिब्बल शिक्षा मंत्री थे तब नीट की व्यवस्था की गयी थी और अब कांग्रेस के श्री पी चिदंबरम इसको निरस्त करने की मांग उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार रेलवे से लेकर अन्य क्षेत्रों की परियोजनाओं के लिए केन्द्र के साथ मिलकर काम नहीं कर रही है जिसके कारण परियोजनायें समय पर पूरी नहीं हो पा रही है।

भारतीय जनता पार्टी के भवगत कराड़ ने बजट को देश की 140 करोड़ जनता के हित बताते हुये कहा कि जितने भी बजटीय उपाय किये गये हैं उसका लाभ देश के सभी वर्ग और समुदाय के हित में है।इसका लाभ सभी को होगा।


उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश के हर वर्ग काे विकास में भागीदार बनाया जा रहा है।
हर क्षेत्र में प्रधानमंत्री की योजनाओं का लाभ हो रहा है।
देश के 80 करोड़ लोगों को मुक्त खाद्यान्न दिया जा रहा है।
खाद्य सुरक्षा पर हर वर्ष दो लाख करोड़ रुपये व्यय किया जा रहा है।

कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि बजट से बिहार में सत्तारूढ दल बहुत खुश है।
यह ऐसा पहला बजट में जिसमें सिर्फ घोषणायें है लेकिन आवंटन कोई नहीं है।
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री और यह सरकार पूर्वोदय योजना लेकर आयी है उसको लागू करने से पहले प्रधानमंत्री द्वारा 2015 में पटना में की गयी घोषणाओं को पूरा किया जाना चाहिए।
बिहार में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में बड़ा काम हो सकता है ।
यदि सरकार बिहार के विकास को लेकर गंभीर है तो उसे खाद्य प्रस्करण के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है।
पटना विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने की मांग करते हुये उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए लेकिन यह सरकार कहती है कि बिहार इसके पैरामीटर पर फिट नहीं बैठता है।

उन्होंने बिहार में धार्मिक स्थलों के विकास पर भी जोर दिये जाने की जरूरत है।
बिहार और झारखंड को लेबर राज्य बनाये जाने का आरोप लगाते हुये कहा कि इन दोनों राज्यों के प्रवासी श्रमिकों के लिए ट्रेनों की परिचालन में बढोतरी की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस सरकार को बिहार के साथ भेदभाव करना बंद कर देना चाहिए।

री सिंह ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जे का सपना इस बजट में भी अधूरा ही रह गया।
उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि बिहार विशेष राज्य के दर्जे के मानकों को पूरा नहीं करता लेकिन उनका कहना है कि यदि देश में किसी राज्य को विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत है तो वह बिहार है।
पूरे बिहार में ऐतिहासिक धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है और देश भर के लोगों की उनमें आस्था है इसलिए उनके विकास की भी कार्ययोजना बनायी जानी चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने कहा कि देश में अमीरी और गरीबी का अंतर निरंतर बढता जा रहा है और सरकार इसे कम करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठा रही है।
मध्यम वर्ग पर कर का बोझ निरंतर बढाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कम आवंटन किया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सबसे अधिक मौत हो रही है।

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