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Karva chauth 2023
हिंदू मान्यता के अनुसार, सर्वप्रथम करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Fast) को शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती (goddess parvati) ने भोलेनाथ (Bholenath) के लिए किया था। इसी व्रत से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति भी हुई थी। इसलिए सुहागिनें अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना के लिए ये व्रत रखती हैं और देवी पार्वती (Goddess parvati) और भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करती हैं।
इसके अलावा एक पौराणिक कथा है कि एक बार देवताओं और राक्षसों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ा था। उस समय लाख उपायों के बावजूद भी देवताओं को सफलता नहीं मिल पा रही थी और राक्षस हावी हुए जा रहे थे। तभी ब्रह्मदेव (Brahmadev) ने सभी देवताओं की पत्नियों को करवा चौथ का व्रत करने को कहा। इसके अलावा महाभारत (Mahabharata) और कई अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी इस तथ्य का वर्णित मिलता है।
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महाभारत (Mahabharata) काल की कथा के अनुसार, एक बार अर्जुन (Arjuna) नीलगिरी पर्वत (Nilgiri Mountains) पर तपस्या करने गए थे।उसी समय पांडवों पर कई तरह के संकट आ गए, तब द्रोपदी ने भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) से पांडवों को संकट से बाहर निकालने का उपाय पूछा। उस समय श्रीकृष्ण (Shri Krishna) ने बताया कि कार्तिक माह की चतुर्थी (Chaturthi of Kartik month) के दिन करवा का व्रत करिए। इसके बाद द्रोपदी (Draupadi) ने करवा चौथ (Karva Chauth) के व्रत को किया और पांडवों को संकट से मुक्ति मिल गई।
मान्यता के अनुसार इन्द्रप्रस्थपुर वेद शर्मा ब्राह्मण की शादीशुदा पुत्री वीरावती ने करवा चौथ (Karva Chauth) का व्रत किया था। नियमों के मुताबिक, उसे चंद्र उदय के बाद भोजन करना था, लेकिन वह भूख सहन नहीं कर पा रही थी। उसके भाई, बहन को इस तरह से देख नहीं पा रहे थे। इसलिए उन्होंने पीपल की आड़ में आतिशबाजी कर सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया और उसी चक्कर में वीरावती ने भोजन कर लिया। इसके बाद वीरावती का पति तत्काल अदृश्य हो गया। इसके बाद वीरावती 12 महीने तक हर चतुर्थी (Chaturthi) पर व्रत रखती थी और करवा चौथ के दिन इस कठिन तपस्या की वजह से उसे उसका पति फिर से मिल गया।