
भारतीय जनता पार्टी ने काशी प्रांत के महामंत्री रहे सुशील त्रिपाठी को सुल्तानपुर का जिला अध्यक्ष घोषित किया है। माना जा रहा है कि काशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत में सुशील त्रिपाठी की अहम भूमिका रही। इसी वजह से उन्हें यह नई जिम्मेदारी दी गई है। जिला अध्यक्ष बनने के बाद सुशील त्रिपाठी ने 2027 में भाजपा द्वारा जीती गई चारों सीटों को बरकरार रखना बड़ी चुनौती बताया है।
सुल्तानपुर (शाह टाइम्स) भारतीय जनता पार्टी ने सुशील त्रिपाठी को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह अहम जिम्मेदारी मिलने के बाद सुशील त्रिपाठी यूपी विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों पर फोकस करने की बात करते नजर आ रहे हैं। सुल्तानपुर भाजपा में सुशील त्रिपाठी को अहम जिम्मेदारी देना काफी अहम माना जा रहा है। दरअसल, पांच साल बाद भाजपा ने पिछड़े वर्ग के नेता की जगह ब्राह्मण नेता को यह जिम्मेदारी दी है।
निभाई थी अहम भूमिका
सुशील त्रिपाठी इससे पहले काशी क्षेत्र में महामंत्री के पद पर रह चुके हैं। वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। इस दौरान उनका संघ और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क बढ़ा। इसका उन्हें फायदा मिला और महज दस महीने में ही उन्हें जिला अध्यक्ष बना दिया गया। दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था।
बनाए गए जिला अध्यक्ष
सुशील त्रिपाठी को जिला अध्यक्ष बनाए जाने के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। इस नियुक्ति से जहां ब्राह्मण वर्ग के नेता खुश हैं, वहीं पार्टी के अन्य वर्गों में नाराजगी है। डॉ. घनश्याम तिवारी हत्याकांड के बाद से नाराज चल रहे ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने की यह रणनीति मानी जा रही है। भाजपा की नजर खास तौर पर मुस्लिम बहुल इसौली सीट पर है।
कुछ नेता अंदरखाने है असंतुष्ट
जिला अध्यक्ष के नाम की घोषणा के बाद सभी वर्ग के नेता सुशील त्रिपाठी का समर्थन करते नजर आ रहे हैं। क्षत्रिय समाज के नेता खुलकर समर्थन जता रहे हैं, लेकिन अंदरखाने असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। कुछ ब्राह्मण नेता भी असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। अध्यक्ष की घोषणा के बाद एक प्रमुख ब्राह्मण नेता कार्यक्रम छोड़कर चले गए।
कहा बरकरार रखना है बड़ी चुनौती
अब भाजपा के जिला अध्यक्ष सुशील त्रिपाठी के सामने बड़ी चुनौती है। उन्हें 2027 के चुनाव में जीती हुई चार सीटों को बरकरार रखना है। साथ ही एक नई सीट भी जीतनी है। पिछले दो चुनावों में मोदी-योगी लहर के बावजूद भाजपा को कुछ सीटों पर निराशा हाथ लगी थी। ऐसे में उनके लिए सबको साथ लेकर चलना चुनौती होगी