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बीजेपी दे सकती है दिल्ली में सरप्राइज
दिल्ली की कमान होगी किसके हाथ यह इस वक्त का सबसे बड़ा सवाल है। सोमवार को विधायक दल की बैठक तय हुई थी जिसमें यह कहा जा रहा था
नई दिल्ली (Shah Times): दिल्ली की कमान होगी किसके हाथ यह इस वक्त का सबसे बड़ा सवाल है। सोमवार को विधायक दल की बैठक तय हुई थी जिसमें यह कहा जा रहा था कि दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री का ऐलान संभवता हो जाएगा। लेकिन यह बैठक फिर से टल गई है। ऐसे में कई ऐसे कयास हैं जो लगाये जा रहे हैं।
क्या संघ से नहीं मिली है मंजूरी
इस समय अगर बीजेपी के पास सबसे बड़े फैक्टर है तो वो है कि बिना आरएसएस के किसी भी बड़े नेता का ऐलान नहीं हो सकता है। ऐसे में सूत्रों की मांनें तो कहा जा रहा है कि संघ दिल्ली की कमान उस नेता को देना चाहता है जो संघ का करीबी भी हो और बहुसख्यक वोट बैंक को साधने में भी वो सक्षम हो अगर ऐसा होता है तो दिल्ली में नूपुर शर्मा के नाम पर मुहर लग सकती है।
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आज होनी थी बैठक, टल गई
इस बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षको को मौजूदगी में विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा और उसके बाद एलजी के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा। पार्टी के विधायकों को भी यह संदेश दे दिया गया था कि सोमवार को उन्हें दिल्ली में ही रहना है। शाम तक ऐसी भी खबरें आई कि विधायक दल की बैठक के बाद मंगलवार को शपथ ग्रहरण समारोह भी हो सकता है।
19 को होगी अब बैठक
पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि बैठक को अभी स्थगित कर दिया गया है। अब 20 तारीख को या उसके बाद बैठक बुलाई जाएगी। कारण यह बताया गया कि 19 तारीख को दिल्ली के झंडेवालान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नवनिर्मित मुख्यालय का उद्घाटन होना है, जिसमें पार्टी के भी कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इसी वजह से अब 20 तारीख के बाद निर्णय लिया जाएगा।
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टलने का बताया जा रहा है यह कारण
हालांकि, विधायक दल की बैठक को टालने के पीछे एक बड़ा कारण नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुए हादसे को भी माना जा रहा है, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे के बाद से ही केंद्र सरकार, केंद्रीय रेल मंत्री और रेलवे प्रशासन विपक्ष के निशाने पर है। मृतकों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए बीजेपी ने रविवार को अपने सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए थे।
बीजेपी आसानी से बदल देते हैं सीएम
सीएम को लेकर अंतिम निर्णय निश्चित रूप से केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से किया जाता है। केंद्रीय नेतृत्व 2014 से दस बार विभिन्न राज्यों में सीएम बदल चुका है। इसमें उत्तराखंड और गुजरात में दो-दो बार मुख्यमंत्री बदलना शामिल है। सीएम बदलने के इस बड़े काम को संभालना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राज्यों और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में व्यापक अपील का स्पष्ट प्रतिबिंब है।
लो प्रोफाइल वाले नए चेहरों की नियुक्ति
तथ्य यह है कि बीजेपी ने 2014 के बाद 12 मौकों पर काफी लो प्रोफाइल वाले नए चेहरे नियुक्त किए हैं। इनमें 2024 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले और एक के बाद चार शामिल हैं। यह भी एक कड़ा संदेश देता है। पार्टी के एक नेता ने समझाया कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व एक ऐसा सख्त शासन चलाना चाहता है जिसमें कोई भी क्षेत्रीय नेता संगठन से बड़ा न हो और पार्टी की राज्य इकाइयां संगठन/कैडर संचालित होनी चाहिए, न कि व्यक्तित्व संचालित।
पुराने CMs को केंद्र में दिया मौका
सीएम बदलने के बाद इनमें से कई नेताओं को केंद्र का हिस्सा बना दिया गया। इनमें असम के पूर्व सीएम सर्बानंद सोनोवाल और शिवराज चौहान जो वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं। इसी तरह, हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर भी केंद्रीय मंत्री हैं। 2014 में सीएम पद के लिए चुने गए कई नेता ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाए और लोकसभा में हैं। ऐसे नेताओ में हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर, उत्तराखंड में त्रिवेंद्र रावत, कर्नाटक में बसवराज बोम्मई, त्रिपुरा में बिप्लब देब शामिल हैं।
कर्नाटक में गलत साबित हुआ फैसला?
कर्नाटक में 2023 में विधानसभा चुनाव हुए और सत्तारूढ़ बीजेपी को बड़ी हार मिली थी। राज्य में कांग्रेस ने सरकार बनाई। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से ठीक डेढ़ साल पहले बीजेपी ने सीएम फेस बदला था। बीजेपी ने जुलाई 2021 में कर्नाटक के तत्कालीन सीएम बीएस येदियुरप्पा को पद से हटाया और सीएम पद की जिम्मेदारी बसवराज बोम्मई को सौंप दी। दक्षिण के दुर्ग को बचाने के लिए बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने जोर-शोर से कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। कांग्रेस ने बोम्मई पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और इसे बड़ा मुद्दा बना दिया।
उत्तराखंड में खूब प्रयोग हुए
सीएम चेहरा बदलकर सत्ता में वापसी का बीजेपी का सबसे सफल प्रयोग उत्तराखंड का रहा है। उत्तराखंड में बीजेपी नेतृत्व को अंदाजा हो चुका था कि पार्टी जबरदस्त एंटी इनकंबेंसी लहर से जूझ रही है। इसकी काट के लिए बीजेपी ने दो बार राज्य में अपने मुख्यमंत्री बदले। 2017 में बीजेपी जब उत्तराखंड में चुनाव जीती तो त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया गया। 2021 आते-आते रावत के खिलाफ विधायकों का असंतोष बढ़ गया। लिहाजा आलाकमान ने रावत को सीएम पद से हटा दिया और 10 मार्च 2021 को राज्य की बागडोर तीरथ सिंह रावत को सौंप दी गई। तीरथ सिंह रावत सत्ता, जनता और प्रशासन पर छाप छोड़ने में सफल नहीं रहे और 4 महीने बाद सीएम पद से उनकी छुट्टी हो गई। उसके बाद 4 जुलाई 2021 को पुष्कर सिंह धामी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। मार्च 2022 में बीजेपी पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चुनावी जंग में उतरी और जीत हासिल की।
गुजरात में भूपेंद्र पटेल ने दिलाई कामयाबी
पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य होने की वजह से यहां की छोटी सी राजनीतिक और सामाजिक हलचल का राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए बीजेपी के लिए इस राज्य की सत्ता बेहद महत्वपूर्ण है। 2017 में जब बीजेपी की इस राज्य में सरकार बनी तो विजय रुपानी सीएम बने। रुपानी का कार्यकाल दिसंबर 2022 में खत्म हो रहा था। लेकिन बीजेपी ने माहौल भांपते हुए विधानसभा चुनाव से पहले सितंबर 2021 में ही नेतृत्व में बदलाव कर दिया और सीएम पद की जिम्मेदारी भूपेंद्र पटेल को दे दी।
त्रिपुरा में माणिक साहा के सिर सजा ताज
त्रिपुरा में लेफ्ट का किला ध्वस्तकर बीजेपी ने मार्च 2018 में पहली बार कमल खिलाया। इस विस्मयकारी विजय के बाद बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी बिपल्ब देव को। बिपल्ब देब का कार्यकाल 2023 में खत्म होने वाला था। लेकिन विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले बीजेपी ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर दिया। बीजेपी ने बिपल्ब देब को संगठन में भेज दिया और सीएम की कुर्सी दी माणिक साहा को।
मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का अचानक इस्तीफ़ा
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के 21 महीने बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। बीरेन सिंह के खिलाफ सोमवार (आज) से शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी थी। इसके अलावा प्रदेश बीजेपी में भी पिछले कुछ महीनों से सीएम बदलने को लेकर लामबंदी हो रही थी। बीजेपी के कुछ वरिष्ठ विधायकों ने दिल्ली जाकर केंद्रीय नेतृत्व के सामने कई बार यह मांग रखी थी।
दिल्ली के मुख्यमंत्रियों की सूची
चौधरी ब्रह्म प्रकाश 17 मार्च 1952 से 12 फ़रवरी 1955 तक वो दिल्ली के पहले सीएम रहे हैं।
गुरुमुख निहाल सिंह 12 फ़रवरी 1955 – 1 नवम्बर 1956 तक दिल्ली के दुसरे सीएम बने थे।
मदन लाल खुराना 2 दिसम्बर 1993 – 26 फ़रवरी 1996 तक दिल्ली की तीसरे सीएम के रूप में कमान संभाली।
साहिब सिंह वर्मा 26 फ़रवरी 1996 – 12 अक्टूबर 1998 तक सीएम रहे हैं।
सुषमा स्वराज 12 अक्टूबर 1998 – 3 दिसम्बर 1998 तक दिल्ली की 5वीं सीएम रहीं थी।
शीला दीक्षित ने 3 दिसम्बर 1998 से 28 दिसम्बर 2013 तक दिल्ली की सीएम की कमान संभाली
अरविन्द केजरीवाल 28 दिसम्बर 2013 – 14 फ़रवरी 2014 तक तीन बार दिल्ली के सीएम रहे।
15 फ़रवरी 2014 – 13 फ़रवरी 2015 तक दिल्ली में राष्ट्पति शासन रहा। आतिशी मार्लेना 21 सितम्बर 2024 – वर्तमान तक दिल्ली की सीएम हैं।