बेटी के इंसाफ के लिए लड़ते हुए हारे पिता, श्रद्धा वालकर के पिता विकास वाकर का निधन
श्रद्धा वालकर हत्याकांड में इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे उनके पिता विकास वाकर का हार्ट अटैक से निधन। बेटी की हत्या के बाद से थे अवसाद में। पढ़ें पूरी खबर।
बेटी के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ते पिता का निधन
नई दिल्ली , (Shah Times) । एक पिता के लिए अपनी बेटी को खोना सबसे बड़ा दुःख होता है, लेकिन जब वह अपनी संतान के लिए न्याय की लड़ाई में ही हार जाए, तो यह समाज और न्याय प्रणाली के लिए भी आत्ममंथन का समय होता है। श्रद्धा वालकर की नृशंस हत्या के बाद उसके पिता विकास वाकर जिस मानसिक और भावनात्मक पीड़ा से गुजरे, वह शब्दों में बयान करना मुश्किल है। अंततः वह इंसाफ की इस लड़ाई को अधूरा छोड़कर दुनिया से चले गए।
एक पिता की हार, सिस्टम पर सवाल
विकास वाकर की मौत सिर्फ एक हार्ट अटैक नहीं थी; यह उस असहनीय पीड़ा का परिणाम थी जो उन्होंने पिछले कई महीनों से झेली। उनकी बेटी के शव के टुकड़े किए गए, उन्हें अलग-अलग जगहों पर फेंका गया, और यह सब होते हुए भी न्याय की प्रक्रिया धीमी रही। क्या हमारा सिस्टम किसी पीड़ित परिवार के दर्द को कम करने के लिए पर्याप्त संवेदनशील है?
जब श्रद्धा वालकर की हत्या का मामला सामने आया था, तब पूरे देश में आक्रोश था। सोशल मीडिया से लेकर टीवी डिबेट तक, हर जगह यह मुद्दा गरमाया हुआ था। लेकिन समय बीतने के साथ इंसाफ की यह आग ठंडी पड़ती गई। सवाल यह उठता है कि क्या मीडिया और समाज का गुस्सा केवल कुछ दिनों या हफ्तों के लिए होता है? क्या न्याय की यह जंग सिर्फ पीड़ित परिवार की जिम्मेदारी बनकर रह जाती है?
कब तक परिवार ही न्याय के लिए लड़े?
विकास वाकर के निधन से यह बहस फिर छिड़ गई है कि क्या भारत में पीड़ितों के परिवारों को न्याय के लिए लंबी और थकाऊ लड़ाई लड़नी ही पड़ेगी? न्यायपालिका पर भरोसा होना चाहिए, लेकिन जब तक फैसला आने में वर्षों लग जाते हैं, तब तक पीड़ितों के परिवारों की मानसिक स्थिति क्या होती है, यह सोचने की जरूरत है।
अब आगे क्या?
विकास वाकर तो चले गए, लेकिन उनकी बेटी के लिए इंसाफ की यह लड़ाई अभी भी अधूरी है। यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि इस केस को सिर्फ एक और खबर बनाकर न छोड़ दिया जाए, बल्कि यह सुनिश्चित किया जाए कि श्रद्धा को न्याय मिले और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
इस मामले से हमें सीख लेनी होगी कि न्याय सिर्फ अदालतों से नहीं मिलता, बल्कि यह समाज की सामूहिक चेतना से भी आता है। अगर हम संवेदनशील बनें, सिस्टम पर सवाल उठाएं और दबाव बनाए रखें, तो शायद किसी और विकास वाकर को अपनी बेटी के लिए इंसाफ मांगते-मांगते दम न तोड़ना पड़े।
एक पिता, जिसने अपनी बेटी को गोद में खिलाया, उसे कंधों पर बिठाकर दुनिया दिखाई, आखिरकार अपनी बेटी को न्याय दिलाने की लड़ाई हार गया। श्रद्धा वालकर हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था और अब इस मामले में न्याय की आस लगाए बैठे उनके पिता विकास वाकर का निधन हो गया।
मुंबई के वसई में ली अंतिम सांस
श्रद्धा वालकर के पिता विकास वाकर का मुंबई के वसई में हार्ट अटैक से निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक, बेटी की हत्या के बाद से वह अवसाद में थे। विकास वाकर लगातार अपनी बेटी के इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ रहे थे और उसकी अस्थियों के अंतिम संस्कार की प्रतीक्षा कर रहे थे।
श्रद्धा वालकर हत्याकांड: एक दर्दनाक याद
यह मामला तब सामने आया जब दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में श्रद्धा के शरीर के टुकड़े मिले। जांच में पता चला कि श्रद्धा के बॉयफ्रेंड आफताब पूनावाला ने उसकी हत्या कर शव के टुकड़े कर फ्रिज में रख दिए थे और बाद में उन्हें अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया था।
इंसाफ की उम्मीद अधूरी रह गई
श्रद्धा के पिता ने न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी, लेकिन आखिरकार वह इस दुनिया से चले गए। उनकी यह अधूरी लड़ाई अब उनकी यादों में ही रह गई है। आफताब पूनावाला इस समय जेल में बंद है, लेकिन श्रद्धा और उसके पिता दोनों के लिए न्याय की यह जंग अब और लंबी हो सकती है।
Unfinished Battle for Justice: The Tragic End of Shraddha Walkar’s Father