
Historic discovery by an Indian scientist! Signs of life found on planet K2-18b, with 99.7% possibility of alien existence confirmed through DMS and DADS molecules
भारतीय वैज्ञानिक की ऐतिहासिक खोज! ग्रह K2-18b पर मिले जीवन के संकेत, DMS और DADS अणुओं की पहचान से एलियंस के अस्तित्व की संभावना 99.7% तक पुख्ता
नई दिल्ली/लंदन (शाह टाइम्स) इंसानों की बरसों पुरानी कल्पना अब सच्चाई के बेहद करीब आ गई है। पृथ्वी से 120 प्रकाश वर्ष दूर स्थित ग्रह K2-18b पर जीवन के चौंकाने वाले संकेत मिले हैं। खास बात यह है कि इस ऐतिहासिक खोज में भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर निक्कू मधुसूदन की अहम भूमिका रही है, जो वर्तमान में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। उन्होंने और उनकी टीम ने ग्रह के वातावरण में ऐसे रासायनिक अणुओं की पहचान की है जो अब तक सिर्फ पृथ्वी पर जीवन की मौजूदगी से जुड़े पाए गए हैं।
क्या है K2-18b?
K2-18b एक एक्सोप्लैनेट है, जो पृथ्वी से लगभग 120 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह ग्रह हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित है और आकार में पृथ्वी से ढाई गुना बड़ा बताया गया है। वैज्ञानिक इसे एक ‘हाइसीन ग्रह’ मान रहे हैं, जिसका मतलब है कि यह ग्रह पानी से भरा हो सकता है और इसका वातावरण हाइड्रोजन-समृद्ध है।
जीवन के संकेत: DMS और DADS
इस खोज में जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप की अहम भूमिका रही है। इस टेलिस्कोप से प्राप्त आंकड़ों में वैज्ञानिकों ने दो खास अणुओं के फिंगरप्रिंट पहचाने – डाइमेथिल सल्फाइड (DMS) और डाइमेथिल डाइसल्फाइड (DADS)। ये दोनों अणु पृथ्वी पर केवल सूक्ष्मजीवों के कारण ही बनते हैं, खासकर समुद्रों में पाए जाने वाले शैवाल से।
प्रोफेसर मधुसूदन के अनुसार, “जो संकेत हमें मिले हैं, उन्हें बिना जीवन के पैदा होना लगभग असंभव है। हमारे पास 99.7% संभावना है कि यह जीवन से जुड़ा संकेत है।”
धरती जैसा है वातावरण?
K2-18b का वातावरण और संरचना किसी हद तक पृथ्वी से मिलती-जुलती मानी जा रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्रह एक विशाल महासागर से ढंका हो सकता है और इसका तापमान पृथ्वी से थोड़ा अधिक हो सकता है। इस पर जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां हो सकती हैं, हालांकि अभी इस पर ठोस निष्कर्ष निकालने से पहले और अध्ययन की आवश्यकता है।
क्यों है यह खोज खास?
यह पहली बार है जब पृथ्वी से बाहर किसी ग्रह पर DMS जैसे अणु पाए गए हैं।
जीवन के इतने मजबूत संकेत पहले कभी नहीं देखे गए।
इस खोज में भारतीय वैज्ञानिक की भूमिका वैश्विक मंच पर भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को दर्शाती है।
क्या आगे होगा?
अब वैज्ञानिक K2-18b की और गहराई से जांच करेंगे। अगला कदम होगा – इस ग्रह के तापमान, महासागरों और वहां मौजूद संभावित जीवों का अनुमान लगाना। यदि ये संकेत सही साबित होते हैं, तो यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी खोज होगी – हम ब्रह्मांड में अकेले नहीं हैं!