
India Pakistan Air Combat in May Clash and the Real Truth @shahtimenews
ऑपरेशन सिंदूर में किसकी जीत किसकी शिकस्त और हक़ीक़त का पूरा मंजर
📍New Delhi 🗓 21 November 2025 ✍️ Asif Khan
मई में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों का सैन्य टकराव भले ही थम गया, लेकिन यूएस कांग्रेस के यूएससीसी कमीशन की नई रिपोर्ट ने बहस को फिर गरम कर दिया। रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान ने पांच सैन्य विमान खोए, जबकि चीन ने इस संघर्ष को अपने हथियारों के प्रमोशन और जासूसी परीक्षण के मैदान में बदल दिया। भारत समर्थक विश्लेषकों के अनुसार यह रिपोर्ट भारत की रणनीतिक बढ़त और पाकिस्तान के असली नुकसान का खुला सबूत है, भले ही कुछ हिस्सों को राजनीतिक रंग देकर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है।
भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुआ चार दिन का सैन्य टकराव अब केवल युद्ध का हिस्सा नहीं, बल्कि भू-राजनीति, मीडिया प्रोपेगैंडा, तकनीकी युद्ध, कूटनीति और दिमागी जंग का मैदान बन चुका है। अमेरिकी कांग्रेस की ताज़ा रिपोर्ट ने जिस तरह से ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र किया है, उससे यह बहस फिर जीवंत हो गई है कि असल मायने में किसकी जीत हुई और किसे बड़ा नुकसान झेलना पड़ा।
रिपोर्ट में लिखा गया है कि पाकिस्तान ने इस टकराव में पांच सैन्य विमान खोए। पाकिस्तान के मीडिया में लंबे समय तक ये आंकड़े दबाए गए, मगर पूर्व पाक सैन्य अधिकारियों के बयानों और डोनाल्ड ट्रंप के सार्वजनिक दावे इस नुकसान की पुष्टि करते दिखाई देते हैं। अगर ट्रंप की बात और अमेरिकी रिपोर्ट के अनुमान को मिलाएं, तो आठ विमान गिराए जाने के दावों में पाकिस्तान के पांच विमान और भारत के तीन विमान शामिल माने जाते हैं। पाकिस्तान की लगातार सफ़ाई और इन्कारी बयान इसी वजह से सवालों के घेरे में हैं।
यही वह बिंदु है जहाँ हक़ीक़त और प्रोपेगैंडा अलग-अलग खेमों में खड़े दिखाई देते हैं।
चीन की भूमिका का असल अर्थ
यूएससीसी रिपोर्ट के पेज १०८ और १०९ बताती है कि चीन ने इस संघर्ष को अपने हथियारों के परीक्षण का अवसर बनाया। चीनी जे टेन्ट और पीएल पन्द्रह मिसाइलें पहली बार असल जंग में इस्तेमाल हुईं। यही नहीं, चीन पर यह भी आरोप है कि उसने फ़र्ज़ी सोशल मीडिया अकाउंट और एआई जनरेटेड तस्वीरों की मदद से एक मुहिम चलाई, जिसका मक़सद था रफ़ाल को बदनाम करना और अपने जे पैंतीस फाइटर को चमकाना।
रिपोर्ट यह भी कहती है कि चीन के दूतावासों ने इस युद्ध के बाद अलग-अलग देशों में अपने हथियारों को प्रमोट किया और इंडोनेशिया में रफ़ाल डील को रोकने की कोशिश की। यह सिर्फ़ प्रोपेगैंडा नहीं बल्कि क्षेत्रीय टेक्नोलॉजी वर्चस्व की बड़ी लड़ाई है।
यहाँ सवाल सिर्फ़ जेट विमानों का नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक युद्ध का है।
भारत की रणनीति और ऑपरेशन सिंदूर
भारत ने अपनी सैन्य कार्रवाई को ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया और दावा किया कि उसने पाकिस्तान सीमा के भीतर मौजूद आतंकी ढाँचों को तबाह किया। भारतीय सेना ने साफ कहा कि संघर्ष के दौरान ऑपरेशनल डाटा साझा करना संभव नहीं था क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। भारतीय वायुसेना ने भी कहा कि उसकी सभी संपत्तियाँ सुरक्षित हैं।
इस बयान और अमेरिकी रिपोर्ट के अनुमान में फर्क दिखता है, लेकिन यह फर्क ग़लत सूचना की वजह से कम और सुरक्षा कारणों से अधिक है। असल में कोई भी देश अपने सैन्य नुकसान के आँकड़े तुरंत सार्वजनिक नहीं करता। पाकिस्तान का पाँच विमान खोना और लगातार इन्कार करना इसी बात को साबित करता है।
विपक्ष और सत्ता पक्ष की सियासत
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे कूटनीतिक असफलता कहा। उनका तर्क है कि भारतीय सरकार को इस रिपोर्ट पर कड़ा विरोध दर्ज कराना चाहिए। दूसरी तरफ़ बीजेपी का कहना है कि चीन का प्रोपेगैंडा भारत में भी कुछ राजनीतिक चेहरों के माध्यम से फैलाया गया।
यहाँ सियासत की तलवार सत्ता और विपक्ष दोनों तरफ़ खिंची हुई है। यह पहली बार नहीं जब राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीतिक लाभ का खेल खेला गया हो।
भारत समर्थक दृष्टिकोण
सच्चाई यह है कि पाकिस्तान की सैन्य और आर्थिक स्थिति उस स्तर की नहीं कि वह भारत को रणनीतिक पराजय दे सके। पिछले पाँच सालों में पाकिस्तान ने अपने ८२ प्रतिशत हथियार चीन से खरीदे हैं। यह निर्भरता एक कमजोर सैन्य पहचान है, न कि ताक़त का प्रतीक।
भारत का वास्तविक लाभ यह रहा कि उसने न सिर्फ़ आतंकी नेटवर्क को निशाना बनाया बल्कि दुनिया को यह संदेश दिया कि सीमा पार आतंकवाद की कीमत चुकानी पड़ेगी। भारत का यह रुख़ सुरक्षा नीति से अधिक राष्ट्रीय आत्मसम्मान का मामला है।
एक सवाल जो दुनिया पूछ रही है
अगर पाकिस्तान जीत गया था, तो वह अब भी अपनी हार छुपाने की कोशिश क्यों कर रहा है?
अगर चीनी हथियार इतने सफल थे, तो चीन को फ़र्ज़ी तस्वीरों और एआई प्रोपेगैंडा की ज़रूरत क्यों पड़ी?
अगर भारत हार गया था, तो पाकिस्तान ने अपने पाँच सैन्य विमान खोने की बात छुपाई क्यों?
इन सवालों में ही सच्चाई की असली रोशनी छिपी है।
इस युद्ध में गोलियाँ चार दिन चलीं, मगर दिमाग का युद्ध अब भी जारी है। प्रोपेगैंडा की लड़ाई में वही जीतता है, जो हक़ीक़त और सबूत दोनों साथ लेकर खड़ा हो। भारत आज उसी स्थिति में है। पाकिस्तान की असली शिकस्त उसकी चुप्पी में है। चीन की बेचैनी उसके प्रोपेगैंडा में है। और भारत की जीत उसके धैर्य और रणनीति में।




