
पाकिस्तान में जाफर एक्सप्रेस अपहरण के बाद हमलों की बाढ़ आ गई है। पाकिस्तानी तालिबान और बलूच लिबरेशन आर्मी ने तीन प्रांतों के 23 जिलों में पाक सेना को निशाना बनाया है। घर के साथ अफगान सीमा पर तनाव भी पाकिस्तान के लिए चुनौती बन गया है।
इस्लामाबाद (शाह टाइम्स) पिछले हफ्ते मंगलवार को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर सरकार और सेना को हिलाकर रख दिया था। पाकिस्तानी सेना ने करीब 40 घंटे के ऑपरेशन के बाद ट्रेन को मुक्त कराया। पाकिस्तान इस घटना से बाहर आने की कोशिश कर रहा था कि शनिवार को बलूचिस्तान के नोश्की में एक सैन्य काफिले पर हमला हुआ। बीएलए ने नोश्की में पाक सेना के 90 जवानों को मारने का दावा किया है। इन दो बड़े हमलों के अलावा पाकिस्तान में दो दिन के अंदर 50 से ज्यादा हमले हो चुके हैं। इससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या पाकिस्तान गृहयुद्ध की ओर बढ़ रहा है।
16 लोगो की गई जान
पिछले सप्ताह के आखिरी दो दिनों यानी शनिवार और रविवार को पाकिस्तान में 57 हमले हुए हैं। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने 48 घंटे में 57 हमलों की जिम्मेदारी ली है। इन हमलों में स्नाइपर शॉट, फायर रेड, आईईडी हमले और आत्मघाती हमले शामिल हैं। पाकिस्तानी सरकार ने माना है कि इन हमलों में 16 लोग मारे गए और 46 घायल हुए। इनमें बलूचिस्तान में आत्मघाती बम विस्फोट सबसे घातक था। देश के बड़े हिस्से में हिंसा जाफर एक्सप्रेस के बाद बने हालात में पाकिस्तान के तीन प्रांतों के 23 जिलों में हिंसा देखने को मिली है। बलूचिस्तान में हिंसा पाकिस्तान के लिए नई बात नहीं है लेकिन दूसरे प्रांतों में हमले सरकार और सेना के लिए चिंता का विषय हैं।
ये है पाकिस्तान के लिए बड़ी समस्या
दावा किया जा रहा है कि बीएलए और टीटीपी ने बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया है। पाकिस्तानी सेना ने कहा है कि वह इन समूहों से सख्ती से निपटेगी, ऐसे में देश का एक बड़ा इलाका गृहयुद्ध जैसे हालात में जाता दिख रहा है। पाकिस्तानी विशेषज्ञों का मानना है कि जफर एक्सप्रेस अपहरण की घटना के बाद देश बहुआयामी हमले का सामना कर रहा है। एक तरफ बीएलए और टीटीपी की ओर से बढ़ती हिंसा की चुनौती है तो दूसरी तरफ अफगानिस्तान सीमा है। अफगान सीमा पर अवैध आर्थिक गतिविधियां, खासकर ड्रग्स और हथियारों की तस्करी पाकिस्तान के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है। ऐसे में पहले से ही खराब आर्थिक हालत और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे पाकिस्तान के सामने अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती है।