विदेश यात्रा या विदेश में बसने का सपना अक्सर लोग किस्मत में होना ही समझते है और किस्मत की ये बात कुंडली के ग्रहों और उनकी कुछ विशेष स्थिति पर निर्भर करती है। ज्योतिष की मानें तो जब तक आपकी कुंडली में विदेश यात्रा के योग नहीं है तब तक इस दिशा में आपके सारे प्रयत्न विफल हो जाएंगे। तो चलिए जानते है आप खुद से कैसे पता लगा सकते है की कब-कब आपकी कुंडली में विदेश यात्रा के योग बनते है।
1) ज्योतिष के अनुसार आपकी कुंडली में पंचम, नवम और द्वादश भाव मूल रूप से विदेश यात्रा को दर्शाता है।
2) बारहवां भाव विदेश यात्रा का मुख्य कारक है और इसी वजह से दुख का भाव होने के बावजूद भी इस घर को सुअवसर के रूप में देखा जाता है।
3) चतुर्थ भाव मातृ भूमि का भाव है अगर पाप कर्तरी दोष में या फिर पापी ग्रह इस भाव को प्रभावीत करते है तो जातक विदेश भ्रमण करेगा।
4) विदेश भेजने में क्रूर और पापी ग्रहों की बड़ी भूमिका होती है। इसमें सबसे ज्यादा राहु ही है जो व्यक्ति को विदेश जाने में सहायता करता है। इसके बाद शनि और मंगल भी सहायता करते हैं।
5) कुंडली के छठे भाव में या बारहवें भाव में चंद्रमा हो तो भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं। ऐसी स्थिति में जातक विदेश से आजीविका भी पाता है।
6) कुंडली में बुध आठवें भाव में और शनि बारहवें भाव में स्थित हो तब भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
7) भाग्येश 12वें भाव में और 12वें भाव का स्वामी भाग्य स्थान में हो अथवा भाग्य स्थान में या द्वादश भाव में राहु हो तो विदेश यात्रा के साथ-साथ विदेश से आजीविका के योग भी बनते है। इसके अलावा शनि की साढ़ेसाती और ढैया भी विदेश यात्रा में सहायता करती है।
ज्योतिषी रजत सिंगल (Rajat Singal) अनुसार वीजा के लिए कब अप्लाई करे।
ज्यादातर भारतीय कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका जाकर अक्सर जॉब, सेटलमेंट और परमानेंट रेसिडेंसी (PR) की इच्छा रखते है, अक्सर हम विदेश जाने की पूर्ण योजना बना लेते है, परन्तु बहुत बार देखा गया है पूरी तैयारी की बाद भी अंतिम क्षणों में मात्र वीज़ा न मिल पाने के कारण आपका कार्य विफल हो जाता है क्यूंकि ज्योतिष विद्या के अनुसार हम सही ग्रह दशा में वीजा के लिए आवेदन ही नहीं करते है। ज्योतिष अनुसार राहु की महादशा या अन्तर्दशा में, शनि की साढ़ेसाती या ढय्या में, द्वादशेश की महादशा या अन्तर्दशा में, शनि और मंगल की दशा में वीजा आवेदन करने से विदेश यात्रा में सफलता मिलती है।
ऐसे लोगों को विदेश यात्रा में आती हैं बाधाएं!
ज्योतिष अनुसार जब कुंडली में चन्द्रमा या शुक्र मजबूत होने लगे तो विदेश यात्रा में बाधाएं आती हैं। इसके अतिरिक्त जब व्यक्ति की कुंडली जल तत्व प्रधान हो तब भी विदेश जाने में बाधा आती है। पर शनि या राहु के मजबूत होने पर व्यक्ति घर से दूर जाकर स्थायी रूप से बस जाता है। इसके साथ ही सूर्य या चन्द्रमा के कमजोर होने पर भी व्यक्ति विदेश में स्थाई रूप से बस जाता है। इनमें भी वृषभ,कन्या,मकर,मिथुन,तुला और कुम्भ राशि वालों के विदेश में बस जाने की सम्भावना ज्यादा होती है।
ज्योतिषी रजत सिंगल (Rajat Singal) द्वारा सफल विदेश यात्रा के लिए कुछ उपाय
1) पिंजरे में कैद पक्षियों को पिंजरा खोल आजाद कराये।
2) जिस देश में आप जाना चाहते है उस देश का नक्शा या झंडा अपने लैपटॉप या मोबाइल फोन पर वॉलपेपर के रूप में लगाए। उपाय यह है कि जितना हो सके इसे देखते रहें।
3) बुधवार से शुरू होकर 49 दिनों तक कबूतरों को बाजरा चढ़ाएं।
4) “अनन्याश्चितयंतो माये जनाप्यर्पासने। नेषा नित्या मियुक्तानां योगक्षेम वहांम्यहम्।।” तुसली माला पर इस मंत्र का जाप करें।
5) पासपोर्ट को वास्तु अनुकूल जगह पर ही सुनिश्चित कर रखें।