
The Earth is heating up rapidly, and scientists believe the powerful Antarctic Circumpolar Current (ACC) is playing a major role. Discover how this ocean current may impact climate change and marine life globally
गर्मी हो रही है और वैज्ञानिकों का मानना है कि अंटार्कटिका के चारों ओर बहने वाली शक्तिशाली समुद्री धारा ACC इसके पीछे एक बड़ा कारण है। जानिए कैसे यह धारा जलवायु परिवर्तन और समुद्री जीवन को प्रभावित कर सकती है।
नई दिल्ली (शाह टाइम्स) अप्रैल अभी आधा भी नहीं बीता, लेकिन गर्मी ने उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में कहर बरपाना शुरू कर दिया है। भारतीय मौसम विभाग ने लू की चेतावनी जारी की है। वैज्ञानिकों के अनुसार, धरती का तापमान औद्योगिक क्रांति से पहले के औसत तापमान से 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक ऊपर जा सकता है, जो जलवायु परिवर्तन को और खतरनाक बना देगा।
धरती के बुखार की जड़ में समुद्री धारा ACC
वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान बढ़ने के पीछे इंसानी गतिविधियां जिम्मेदार हैं, लेकिन समुद्र में भी एक बड़ी भूमिका निभा रही है अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट (ACC)। यह दुनिया की सबसे शक्तिशाली समुद्री धारा अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागर के बीच पानी का आदान-प्रदान करती है और मौसम संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
गति धीमी हुई तो गर्मी सोखने की क्षमता होगी खत्म
नए अध्ययनों के अनुसार, यदि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन ऐसे ही चलता रहा, तो 2050 तक ACC की गति 20% तक धीमी हो सकती है। इससे समुद्र में गर्मी और कार्बन सोखने की क्षमता कम हो जाएगी, जो जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए बेहद जरूरी है।
अमेजन से 100 गुना ताकतवर, अब खुद खतरे में
यह धारा अमेजन नदी से 100 गुना शक्तिशाली मानी जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह धीमी होती है, तो अंटार्कटिका की बर्फ तेजी से पिघलेगी, समुद्र का स्तर बढ़ेगा और समुद्री जीवन खतरे में पड़ सकता है।
वैज्ञानिकों की चेतावनी: अब नहीं चेते तो देर हो जाएगी
ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगर यह प्रवाह कमजोर हुआ, तो दुनिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक “कूलिंग मशीन” खत्म हो सकती है। यह एक दुष्चक्र की शुरुआत होगी, जो खुद ही और तेज होता जाएगा।
जलवायु संकट ले सकता और भी गंभीर रूप
गर्मी अब केवल इंसान की सहनशीलता की नहीं, बल्कि पृथ्वी की संतुलन क्षमता की भी परीक्षा ले रही है। अगर समुद्री धाराओं में यह परिवर्तन होता है, तो आने वाले दशकों में जलवायु संकट और भी गंभीर रूप ले सकता है। समय रहते चेतावनी को समझना और कार्रवाई करना अब हमारी जिम्मेदारी है।
धरती का संतुलन डगमगाने की कगार पर
धरती की सबसे ताकतवर समुद्री धारा अगर धीमी हो गई, तो यह जलवायु संतुलन को गड़बड़ा देगी। मौसम और समुद्र का चक्र गड़बड़ा जाएगा, जिससे पूरी दुनिया पर असर पड़ेगा।
अंटार्कटिका की बर्फ का पिघलना रुकने वाला नहीं
गर्म पानी अगर बर्फ की चादरों तक पहुँच गया, तो अंटार्कटिका की बर्फ पहले से कहीं तेज गति से पिघलेगी। इससे समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ेगा और तटीय इलाकों में बाढ़ और कटाव आम बात हो जाएगी।
समुद्री जीवन पर मंडराएगा संकट
ACC के धीमा होने से समुद्रों में पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाएगा। इससे मछलियों और समुद्री जीवों की प्रजातियाँ संकट में आ सकती हैं, जो समुद्री खाद्य श्रृंखला को हिला कर रख देगा।
धरती की ‘ठंडक’ अब खतरे में
ग्लोबल वार्मिंग से पैदा होने वाली गर्मी का 90% समुद्र में जाता है। अगर ACC कमजोर पड़ती है, तो यह गर्मी धरती के वातावरण में बनी रहेगी, जिससे इंसानी जीवन और अधिक मुश्किल हो जाएगा।
समंदर की गहराई में छिपा है भविष्य का रहस्य
वैज्ञानिक अब ड्रेक पैसेज जैसे इलाकों में निगरानी बढ़ा रहे हैं ताकि समुद्र की हर हरकत को समझा जा सके। आने वाले समय में इसी पर निर्भर करेगा कि धरती का तापमान कैसे कंट्रोल में लाया जा सकता है।
अब भी वक्त है, चेत जाने का
यह संकट अभी भविष्य की चेतावनी है, मगर अगर हमने इसे नजरअंदाज किया, तो आने वाली पीढ़ियों को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। समाधान आज चाहिए, कल बहुत देर हो जाएगी।