
Israel Defense Forces bombing Gaza city, building collapsed, emergency rescue operations
गाजा युद्धविराम के दरमियान इजरायली हमला, ट्रंप की योजना पर संकट
गाजा में नागरिकों पर हवाई हमला, IDF का हमास को निशाना बनाने का दावा
📍 गाजा सिटी, फिलिस्तीन🗓️10 अक्टूबर 2025
✍️Asif Khan
गाजा में इजरायल की बमबारी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित सीजफायर समझौते के बीच स्थिति गंभीर बनी हुई है। इजरायली सेना ने हमास के ठिकानों को निशाना बनाने का दावा किया, जबकि नागरिकों की जान चली गई। यह हमला तब हुआ जब इजरायली कैबिनेट युद्धविराम की योजना पर मतदान करने के लिए इकठ्ठा हुई थी। स्थिति राजनीतिक और मानवीय दृष्टि से संवेदनशील बनी हुई है, और इस घटना से क्षेत्रीय शांति प्रक्रिया पर प्रश्न उठ रहे हैं।
इजरायल का गाजा पर बड़ा हवाई हमला, ट्रंप की सीजफायर घोषणा के बाद IDF ने की बमबारी, 30 लोगों की मौत
गाजा में इजरायली हमले ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि युद्ध और कूटनीति का संतुलन कितनी नाजुक स्थिति में होता है। बुधवार देर रात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि इजरायल और हमास ने समझौते के पहले चरण के लिए सहमति दी है, जिसमें युद्ध तुरंत समाप्त होगा और बंधकों की रिहाई सुनिश्चित होगी। इसके बावजूद, गुरुवार रात इजरायली सेना ने गाजा शहर में बड़े पैमाने पर हवाई हमला किया।
इस हमले में सबरा इलाके की एक इमारत ढह गई, जिसमें कम से कम 40 लोग दब गए। नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि चार शव बरामद किए गए हैं, जबकि बाकी लोग अभी भी मलबे में फंसे हैं। अल-शिफा अस्पताल के निदेशक मोहम्मद अबू सलमिया के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 30 फिलिस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं।
IDF ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने हमास के आतंकवादियों को निशाना बनाया, जो इजरायली सैनिकों के लिए तत्काल खतरा पैदा कर रहे थे। हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या युद्धविराम की घोषणा और तुरंत बाद हमला करना एक रणनीतिक त्रुटि थी या इसे किसी गुप्त सैन्य आवश्यकता के तहत अंजाम दिया गया।
ट्रंप की घोषणा के अनुसार, समझौते में कहा गया था कि हमास सभी बंधकों को रिहा करेगा, जबकि इजरायल अपनी सेना को एक सहमत सीमा तक पीछे हटाएगा। यह अमेरिकी राष्ट्रपति के ’20-सूत्रीय पीस प्लान’ का पहला चरण है। ट्रंप ने इसे ‘ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कदम’ बताया, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह समझौता धरातल पर उतना प्रभावी होगा जितना कागज पर दिख रहा है।
सियासी विश्लेषकों का मानना है कि इजरायल की सेना ने हमले के लिए एक अवसर चुना जो कूटनीतिक प्रक्रिया के बीच आया। यह कदम ट्रंप की शांति पहल को चुनौती देता है और दिखाता है कि सेना और सरकार के अलग-अलग एजेंडे कभी-कभी संघर्ष की आग को भड़काते हैं।
इस स्थिति में गाजा के नागरिकों की सुरक्षा सबसे बड़ा सवाल है। पिछले सालों में कई बार ऐसे हमले हुए हैं, और हमेशा यह सवाल उठता है कि क्या आम नागरिकों की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं। सबरा क्षेत्र में मलबे के नीचे फंसे लोगों की तस्वीरें मानवाधिकार संगठनों के लिए चिंता का विषय हैं।
दूसरी ओर, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के समझौते को राष्ट्रीय और नैतिक जीत बताया। उन्होंने इसे कूटनीतिक सफलता करार दिया, लेकिन आलोचक कहते हैं कि जब तक जमीन पर वास्तविक सुरक्षा और स्थायी शांति नहीं आती, तब तक यह केवल एक प्रतीकात्मक उपलब्धि है।
सवाल यह भी उठता है कि क्या हमास इस समझौते के तहत वादे निभाएगा। इतिहास में कई बार देखा गया है कि युद्धविराम और समझौते जल्दी टूट जाते हैं। गाजा में सत्ता की संरचना जटिल है और विभिन्न गुटों के बीच मतभेद शांति प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
इस हमले का एक और पहलू यह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगरानी अभी भी कमज़ोर है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठन लगातार चेतावनी देते रहे हैं कि किसी भी सैन्य कार्रवाई में नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। लेकिन ट्रंप की घोषणा के बावजूद, इस हमले ने दिखा दिया कि जमीन पर स्थिति कितनी अस्थिर है।
हम यह नहीं भूल सकते कि गाजा में रोज़मर्रा की जिंदगी पर भी गहरा असर पड़ता है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, अस्पताल सीमित संसाधनों से जूझते हैं, और सामान्य नागरिक अपनी सुरक्षा की गारंटी नहीं मान सकते। यह मानवीय संकट के संकेत हैं जिन्हें राजनीतिक समझौते के साथ संतुलित करने की आवश्यकता है।
विश्लेषक मानते हैं कि ट्रंप की शांति योजना का भविष्य इस हमले और उसके जवाब पर निर्भर करेगा। अगर दोनों पक्ष समझौते के प्रति गंभीर नहीं हैं, तो यह केवल कागजी समझौता बनकर रह जाएगा। दूसरी ओर, अगर यह हमला और नागरिक हानि शांति वार्ता को प्रभावित करती है, तो भविष्य में और भी जटिल परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि कूटनीति और सैन्य रणनीति हमेशा एक साथ नहीं चलते। ट्रंप ने शांति की पहल की, लेकिन IDF ने वही कदम उठाया जो शायद युद्ध के दृष्टिकोण से जरूरी था। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि क्या समझौते की प्रक्रिया में सैन्य एजेंसियों की भूमिका पर्याप्त रूप से समन्वित थी।
शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है कि सभी पक्ष पारदर्शिता और भरोसे के साथ काम करें। सिर्फ घोषणाओं से शांति नहीं आती, बल्कि जमीन पर कार्रवाई और नागरिक सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है।
यह हमला गाजा के भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है। यदि नागरिक हानि जारी रहती है, तो यह क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा सकता है और पड़ोसी देशों के साथ इजरायल के संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है। यही कारण है कि विश्लेषक इस हमले को केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि एक व्यापक भू-राजनीतिक चुनौती के रूप में देख रहे हैं।
गाजा में हर हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं आती हैं, लेकिन अक्सर ये केवल बयान तक सीमित रह जाती हैं। वास्तविक प्रभाव तब दिखाई देता है जब मानव जीवन और स्थानीय समुदाय पर इसका असर पड़ता है।
ट्रंप की योजना और इजरायल का हमला दोनों ही संकेत देते हैं कि युद्धविराम और कूटनीति का संतुलन कितना नाजुक होता है। यह समय है कि सभी पक्ष समझें कि दीर्घकालिक शांति सिर्फ घोषणा और समझौतों से नहीं आती, बल्कि इसके लिए भरोसा, सहयोग और नागरिक सुरक्षा अनिवार्य है।
इसलिए, गाजा पर हुए इस हमले का नतीजा केवल सैन्य या राजनीतिक नहीं है। यह मानवीय दृष्टि से भी एक चेतावनी है कि शांति प्रक्रिया में असमानता और विसंगति कभी भी बड़ी त्रासदी का रूप ले सकती है।






