
US President Donald Trump announces 100% tariff on foreign movies and furniture industry – Shah Times
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर ट्रंप की नई चाल: फिल्म और फर्नीचर पर भारी शुल्क
ट्रंप का कड़ा आर्थिक फैसला, भारत की फिल्मों पर पड़ेगा सीधा असर
📍वॉशिंगटन डी.सी. | 29 सितम्बर 2025
✍️ आसिफ़ ख़ान, शाह टाइम्स
ट्रंप का नया टैरिफ वार: विदेशी फिल्मों पर 100% शुल्क, फर्नीचर इंडस्ट्री भी निशाने पर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी फिल्मों पर 100% टैरिफ का एलान किया है। साथ ही, अमेरिका में न बनने वाले फर्नीचर पर भी भारी शुल्क लगाने की धमकी दी है। यह कदम वैश्विक फिल्म उद्योग और भारत जैसे देशों की फिल्मों पर बड़ा असर डाल सकता है।
एक नया झटका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने बयानों और फ़ैसलों से दुनिया को चौंकाने के लिए मशहूर हैं। सोमवार को उन्होंने फिर एक बड़ा आर्थिक कदम उठाते हुए एलान कर दिया कि अमेरिका के बाहर बनने वाली हर फिल्म पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा। यानी कोई भी विदेशी फिल्म अगर अमेरिकी थिएटर में रिलीज़ होगी, तो उसकी कीमत दोगुनी हो जाएगी। यह फैसला सिर्फ़ सिनेमा तक सीमित नहीं रहा। ट्रंप ने साथ ही कहा कि अमेरिका में न बनने वाले फर्नीचर पर भी भारी टैरिफ लगाया जाएगा।
ट्रंप का तर्क: “कैंडी छीनी गई”
ट्रंप ने अपनी पोस्ट में लिखा कि “हमारा फिल्म उद्योग दूसरे देशों द्वारा ठग लिया गया है, ठीक वैसे जैसे किसी बच्चे से उसकी कैंडी छीन ली जाती है।” इस लाइन का मतलब साफ़ था—उनका मानना है कि हॉलीवुड की बाज़ार हिस्सेदारी भारत, चीन, कोरिया और यूरोपियन फिल्मों ने धीरे-धीरे खा ली है। उन्होंने कैलिफोर्निया के गवर्नर को कमजोर बताते हुए कहा कि सबसे ज़्यादा नुक़सान वहीं हुआ है।
असल में यह बयान सिर्फ़ सिनेमा तक सीमित नहीं है। इसके पीछे “अमेरिकन इकॉनमी फ़र्स्ट” का वही एजेंडा है, जिसे ट्रंप लगातार दोहराते आ रहे हैं।
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असर भारतीय फिल्मों पर
अब ज़रा सोचिए — बॉलीवुड की फिल्मों का बिज़नेस अमेरिका में पिछले कुछ सालों में तेज़ी से बढ़ा है। कोविड से पहले यह सिर्फ़ 8 मिलियन डॉलर था, लेकिन अब यह 20 मिलियन डॉलर तक पहुँच चुका है। न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया जैसे इलाक़ों में भारतीय डायस्पोरा बड़ी संख्या में बॉलीवुड फिल्में देखता है। अगर टिकट की कीमत अचानक दोगुनी हो जाएगी, तो दर्शकों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।
इसका मतलब यह हुआ कि भारतीय प्रोड्यूसर्स को अमेरिका में कमाई घट सकती है। यहां तक कि हॉलीवुड के बड़े स्टूडियो भी इससे परेशान होंगे, क्योंकि उनकी कई प्रोजेक्ट्स विदेशों में शूट होते हैं।
क्या ट्रंप का यह फैसला वाक़ई अमेरिकन फ़िल्म इंडस्ट्री को मज़बूत करेगा?
सवाल यह है कि क्या ट्रंप का यह फैसला वाक़ई अमेरिकन फ़िल्म इंडस्ट्री को मज़बूत करेगा?
हक़ीक़त यह है कि हॉलीवुड की गिरावट का असली कारण Netflix, Amazon Prime और streaming platforms हैं, जिनसे थिएटर बिज़नेस गिर रहा है। लेकिन ट्रंप ने आसान टारगेट चुन लिया: “फ़ॉरेन मूवीज़”।
इसमें एक सियासी दांव भी छुपा है। चुनाव से पहले ट्रंप ये मैसेज देना चाहते हैं कि वो “अमेरिकन जॉब्स” को बचा रहे हैं। हक़ीक़त में हॉलीवुड का ज़्यादातर काम पहले से ही अमेरिका में होता है। तो असल नुक़सान किसका होगा? बॉलीवुड, के-ड्रामा, चीनी फिल्म इंडस्ट्री और यूरोपियन सिनेमा का।
ग्लोबल फिल्म इंडस्ट्री पर असर
यह फैसला किसी “ट्रेड वॉर” से कम नहीं।
यूरोपियन यूनियन शायद वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइज़ेशन (WTO) में अमेरिका के ख़िलाफ़ केस करे।
भारत के फ़िल्म प्रोड्यूसर्स को नए डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल ढूँढने पड़ेंगे।
कोरियन ड्रामा और जापानी ऐनिमे, जिनकी अमेरिकी मार्केट में बड़ी डिमांड है, उनकी ग्रोथ पर ब्रेक लग सकता है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था और फर्नीचर वाला दांव
फिल्मों के साथ-साथ ट्रंप ने फर्नीचर इंडस्ट्री पर भी टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि “नॉर्थ कैरोलाइना ने अपना फर्नीचर इंडस्ट्री चीन और दूसरे देशों को सौंप दी थी। अब हम उसे फिर से महान बनाएंगे।”
असल में अमेरिकी फर्नीचर कंपनियां चीन और वियतनाम से ज़्यादा सस्ता सामान खरीदकर बेचती हैं। अगर टैरिफ लग गया, तो उनकी कीमत बढ़ेगी और लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन यहां भी सवाल वही है: क्या उपभोक्ता महंगे दाम पर चीजें खरीदेंगे?
पॉलिटिकल इशारा
ट्रंप का हर फैसला चुनावी राजनीति से जुड़ा हुआ होता है।
फ़िल्म टैरिफ से वो हॉलीवुड को मैसेज दे रहे हैं, जो अक्सर रिपब्लिकन विरोध में खड़ा रहता है।
फर्नीचर टैरिफ से वो “रस्ट बेल्ट” और “मिड-वेस्ट” जैसे राज्यों के वोटर्स को खुश करना चाहते हैं।
और दवा कंपनियों पर पहले से ही लगाए गए 100% टैरिफ से वह “हेल्थकेयर रिफॉर्म” का चेहरा बनाना चाहते हैं।
भारत के लिए चुनौती और मौक़ा
भारत के लिए यह स्थिति दोहरी है। एक तरफ़ बॉलीवुड को नुकसान हो सकता है, लेकिन दूसरी तरफ़ यह भी सच है कि इंडिया का लोकल और एशियन मार्केट अब बहुत बड़ा हो चुका है। Netflix और Amazon जैसी कंपनियां इंडियन कंटेंट में बिलियन डॉलर निवेश कर रही हैं।
इसलिए सवाल यह है: क्या बॉलीवुड अमेरिका पर इतना डिपेंड करता है? जवाब है — “नहीं पूरी तरह”। मगर, ब्रांड वैल्यू और ग्लोबल इमेज के लिए अमेरिकी बाज़ार अब भी अहम है।
नज़रिया
ट्रंप का यह टैरिफ वार सिर्फ़ इकोनॉमिक पॉलिसी नहीं है, बल्कि चुनावी सियासत का हिस्सा है। दुनिया की फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह एक बड़ा झटका है। भारत को नए रास्ते ढूँढने होंगे, यूरोप को कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी और हॉलीवुड को सोचना होगा कि असली दुश्मन “विदेशी फिल्में” हैं या बदलती टेक्नोलॉजी।






