
Donald Trump, Rafael Grossi, and Ali Khamenei standing against a nuclear explosion background – Shah Times
अमेरिका का हमला फेल, ईरान ने कर दिया खेल! IAEA की चेतावनी—जल्द बना सकता है परमाणु बम
ग्रॉसी बोले- ईरान की परमाणु क्षमता अब भी जिंदा है
29 जून, 2025 | Shah Times
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA (International Atomic Energy Agency) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने एक विस्फोटक इंटरव्यू में खुलासा किया कि ईरान महज़ कुछ महीनों में एनरिच्ड यूरेनियम का उत्पादन फिर से शुरू कर सकता है, जिससे वह परमाणु बम बनाने की स्थिति में आ जाएगा।
ग्रॉसी ने अमेरिकी चैनल CBS News के कार्यक्रम Face the Nation में यह बयान दिया। उनका कहना है कि ईरान की तकनीकी क्षमता अब भी बरकरार है, और वह चाहें तो कुछ ही महीनों में दोबारा अपने परमाणु कार्यक्रम को सक्रिय कर सकते हैं।
क्या ट्रंप का ‘सबकुछ तबाह’ वाला दावा गलत था?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने ईरान के परमाणु ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया है और देश को “दशकों पीछे” धकेल दिया गया है। लेकिन IAEA प्रमुख के मुताबिक, यह दावा पूरी तरह सच नहीं है।
ग्रॉसी ने कहा:
“कुछ सुविधाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं, लेकिन परमाणु ढांचा अभी भी खड़ा है। उनके पास सेंट्रीफ्यूज तकनीक, औद्योगिक आधार और वैज्ञानिक क्षमता अब भी बरकरार है।”
फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान साइट पर हुए हमले
IAEA के अनुसार, अमेरिका और इजरायल द्वारा फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान जैसे ईरानी परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों के बावजूद ईरान की यूरेनियम संवर्धन की क्षमता पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।
ग्रॉसी ने कहा कि इन हमलों ने विकास को धीमा जरूर किया है, लेकिन पूरी तरह रोका नहीं।
400 किलो संवर्धित यूरेनियम ‘गायब’?
IAEA की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने अमेरिकी हमलों से ठीक पहले अपने पास मौजूद लगभग 408.6 किलो संवर्धित यूरेनियम कहीं और स्थानांतरित कर दिया था। यह यूरेनियम 60% संवर्धित था, जो कि हथियार निर्माण स्तर के बेहद करीब है।
इस मात्रा से 9 या उससे अधिक परमाणु बम बनाए जा सकते हैं। हालांकि IAEA को अब तक यह स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है कि वह यूरेनियम कहां गया।
ईरान ने IAEA से तोड़ा संपर्क
ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष के खत्म होते ही ईरान ने संसद में प्रस्ताव पास कर IAEA से सहयोग खत्म कर दिया। IAEA प्रमुख द्वारा फोर्डो और अन्य साइटों की जांच की मांग को ईरान ने सिरे से खारिज कर दिया।
ग्रॉसी ने कहा:
“हमें नहीं पता कि वह यूरेनियम कहां है। हो सकता है कुछ हिस्सा नष्ट हो गया हो, और कुछ स्थानांतरित कर दिया गया हो। लेकिन जब तक ईरान जवाब नहीं देता, परमाणु खतरा बना रहेगा।”
ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा पर उठे सवाल
IAEA के प्रमुख की ये चेतावनियां ऐसे समय में आई हैं जब पश्चिम एशिया एक बार फिर युद्ध की दहलीज़ पर है। ट्रंप के कड़े दावे, इजरायल के हमले, और ईरान की आक्रामकता ने क्षेत्र को अस्थिर कर दिया है।
यदि ईरान सचमुच कुछ महीनों में परमाणु हथियार हासिल करने की स्थिति में है, तो यह इजरायल, सऊदी अरब, अमेरिका और अन्य नाटो सहयोगियों के लिए एक गंभीर भू-राजनीतिक संकट को जन्म दे सकता है।
ट्रंप की ‘अगली कार्रवाई’ की चेतावनी के बीच अब यह सवाल उठता है कि
- क्या वॉशिंगटन फिर कोई बड़ा सैन्य ऑपरेशन करेगा?
- क्या पश्चिम एशिया में एक नया युद्ध समीप है?
क्या हम परमाणु युद्ध की दहलीज़ पर हैं?
IAEA की रिपोर्ट और ग्रॉसी के बयान यह साफ दर्शाते हैं कि ईरान को रोकने की कोशिशें अधूरी रह गई हैं। न सिर्फ तकनीकी क्षमता, बल्कि राजनैतिक मंशा और रणनीतिक चतुराई भी ईरान की शक्ति को बनाए रखे हुए है।
अमेरिका और इजरायल को अब निर्णायक रणनीति अपनानी होगी, क्योंकि समय तेजी से फिसल रहा है।