पुणे में जीका वायरस के पाए गए दो मामले

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जीका वायरस एडीज मच्छरों द्वारा फैलने वाली बीमारी है। इसमें जीव हमारी कोशिकाओं का उपयोग करके अपनी कई प्रतियां बनाता है

Mumbai, (Shah Times)। महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक डॉक्टर और उनकी बेटी के जीका वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। हालांकि उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। जीका वायरस एडीज मच्छरों से फैलता है।

जीका वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि

पुणे नगर निगम के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि चिकित्सक को बुखार आया और शरीर पर चकत्ते हो गए थे। जिसके बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल ने उनका ब्लड सैंपल लेकर राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान को जांच के लिए भेजे थे। जिसके बाद रिपोर्ट में चिकित्सक के जीका वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। जिसके बाद घर में बाकी सदस्यों के ब्लड सैंपल लिए गए तो उनकी बेटी भी पॉजिटिव पाई गई।

आपको बता दें कि जीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है। ये मच्छर आमतौर पर थोड़े गर्म इलाकों में पाए जाते हैं। यह वायरस सेक्स से भी फैल सकता है। अगर कोई गर्भवती महिला इससे संक्रमित हो जाती है तो जीका वायरस उसके भ्रूण को प्रभावित कर सकता है। यह बच्चे की जन्मजात मेडिकल कंडीशंस का कारण बन सकता है। इससे बच्चे का मानसिक विकास बाधित हो सकता है और आंखों को रोशनी से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।

जीका वायरस क्या है?

जीका वायरस एडीज मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है। इसमें ऑर्गेनिज्म हमारी कोशिकाओं का इस्तेमाल करके अपनी ढेर सारी कॉपीज बना लेता है। इसे ऐसे समझिए कि यह वायरस हमार घर में रहकर, हमारा ही खाना खाकर अपना परिवार बढ़ा रहा होता है। इस बीमारी के साथ बड़ी मुश्किल यह है कि ज्यादातर संक्रमित लोगों को पता ही नहीं चलता है कि वे जीका वायरस से जूझ रहे हैं। असल में जीका वायरस के लक्षण बहुत हल्के होते हैं। इसके बावजूद यह गर्भवती महिलाओं को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। इस वायरस के कारण भ्रूण का मस्तिष्क पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाता है।

जीका वायरस के लक्षण

जीका से पीड़ित ज्यादातर लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के मुताबिक, जीका वायरस से संक्रमित केवल 5 में से 1 व्यक्ति में ही लक्षण पाए हैं। जो लक्षण नजर आते हैं, वे इतने कॉमन हैं कि यह अंदाज लगा पाना मुश्किल हो जाता है कि यह जीका वायरस के कारण ही है। जीका वायरस से बुखार होना, सिर दर्द, जोड़ों में दर्द, आंखों में दिक्कत होना, स्किन पर दाने और लाल चकते होना और मासपेशियों में दर्द होना ये इस वायरस के लक्षण है।

जीका वायरस फैलने के कारण

जीका एक प्रकार का फ्लेविवायरस है, जो जीका संक्रमण का कारण बनता है। डेंगू बुखार और वेस्ट नाइल संक्रमण के लिए जिम्मेदार वायरस भी फ्लेविवायरस के ही प्रकार हैं।
जीका वायरस संक्रमण के ज्यादातर मामलों के लिए एडीज मच्छर जिम्मेदार हैं। जब कोई एडीज मच्छर जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद दूसरे व्यक्ति के काटता है तो संक्रमण फैल सकता है। अगर गर्भवती महिलाएं जीका वायरस से संक्रमित हैं तो यह प्लेसेंटा के जरिए भ्रूण तक पहुंच सकता है। जीका के कारण बच्चा माइक्रोसेफली जैसी जन्मजात मेडिकल कंडीशन के साथ पैदा हो सकता है। जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति के सीमन में यह वायरस कई हफ्तों और महीनों तक जीवित रह सकता है। यह ओरल, एनल या वेजाइनल सेक्स के जरिए भी फैल सकता है। जीका वायरस सबसे अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करता है। यह वायरस महिला के भ्रूण को भी संक्रमित कर सकता है।

जीका वायरस से बचाव के कारण

घर में या घर के आसपास कहीं भी पानी न जमा होने दें। चूंकि एडीज मच्छर बहुत दूर तक उड़कर नहीं जा सकता है तो इससे काफी हद तक बचाव हो सकता है। अगर गर्भवती महिलाएं जीका वायरस से संक्रमित हैं तो यह प्लेसेंटा के जरिए भ्रूण तक पहुंच सकता है। जीका के कारण बच्चा माइक्रोसेफली जैसी जन्मजात मेडिकल कंडीशन के साथ पैदा हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ब्राजील और फ्रांस में ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए जीका ट्रांसमिशन के केस सामने आए हैं। हालांकि अन्य देशों में ब्लड ट्रांसफ्यूजन से जीका संक्रमण के मामले नहीं दिखे हैं।

जीका वायरस के इलाज के लिए कोई खास दवा नहीं है। बुखार और दर्द से जुड़ी कुछ दवाएं देकर इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसका सबसे अच्छा इलाज बचाव ही है।

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