
Uttarakhand Panchayat Election 2025 High Court decision
नैनीताल हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में पारदर्शिता की रखी मजबूत नींव
चुनाव आयोग को झटका, नैनीताल हाईकोर्ट ने दो वोटर लिस्ट वालों को चुनाव से रोका
रिपोर्ट: चिरंजीव सेमवाल |
नैनीताल हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दो मतदाता सूचियों में नाम दर्ज प्रत्याशियों को अयोग्य घोषित किया। राज्य निर्वाचन आयोग को राहत नहीं मिली, अब सुप्रीम कोर्ट जा सकता है।
उत्तरकाशी/नैनीताल,(Shah Times) । उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल ने बड़ा और निर्णायक फैसला सुनाया है। जिन प्रत्याशियों के नाम दो मतदाता सूचियों—एक शहरी निकाय और दूसरी ग्राम पंचायत—में दर्ज हैं, वे अब चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। यह फैसला न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश में पंचायत चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और वैधानिकता को लेकर एक मिसाल बन सकता है।
⚖️ हाईकोर्ट का सख्त रुख: चुनाव आयोग को नहीं मिली राहत
उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दाखिल रिव्यू पिटिशन को नैनीताल हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। आयोग ने 11 जुलाई के आदेश को संशोधित करने की मांग की थी, जिसमें अदालत ने दो वोटर लिस्ट में नाम दर्ज प्रत्याशियों को अयोग्य घोषित किया था। अदालत ने साफ कर दिया कि पंचायती राज अधिनियम की धारा 9(6) और 9(7) के अनुसार, ऐसा प्रत्याशी चुनाव लड़ने के लिए पात्र नहीं है।
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📝 सरकार और आयोग की याचिकाएं बेअसर
सरकार और निर्वाचन आयोग दोनों ने याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं है। हालांकि, आयोग द्वारा 6 जुलाई को जारी किया गया सर्कुलर, जिसमें ऐसे प्रत्याशियों को राहत दी गई थी, अब प्रभावी नहीं रहेगा।
🔍 कैसे उठा विवाद?
यह मामला तब उठा जब हरिद्वार को छोड़कर राज्य के 12 जिलों में पंचायत चुनाव के दौरान यह सामने आया कि कुछ प्रत्याशी शहरी निकाय और पंचायत—दोनों मतदाता सूचियों में पंजीकृत हैं। इसके खिलाफ शक्ति सिंह बर्त्वाल ने जनहित याचिका दाखिल कर कहा कि यह संविधान और पंचायती राज कानून का उल्लंघन है।
📜 कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया:
कोई भी व्यक्ति दो मतदाता सूचियों में नाम होने पर चुनाव नहीं लड़ सकता।
यह पंचायती राज अधिनियम का उल्लंघन है।
यदि किसी को शिकायत है, तो वह चुनाव के बाद इलेक्शन पिटिशन दाखिल कर सकता है।
वर्तमान चुनाव प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं है, लेकिन भविष्य में यह आदेश प्रभावी रहेगा।
🧑⚖️ अदालत की व्याख्या से क्या होगा असर?
हालांकि कोर्ट ने नामांकन प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया है, लेकिन भविष्य के लिए चुनाव आयोग और प्रत्याशियों को स्पष्ट दिशा मिल गई है। अब निर्वाचन आयोग के पास दो विकल्प हैं:
- सुप्रीम कोर्ट में अपील करें
- हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करें
💬 वकीलों की अलग-अलग राय
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद ऐसे प्रत्याशी स्वतः अयोग्य हो गए हैं, और यदि आयोग उन्हें चुनाव लड़ने दे रहा है, तो यह अदालत की अवमानना है। वहीं आयोग के वकील संजय भट्ट ने बताया कि कोर्ट से स्पष्टता मांगी गई थी लेकिन आदेश में चुनाव प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई गई।