
अमेरिकी हुक़ूमत मिडिल ईस्ट में अमन समझौते की बात करती है और इजराइल को पॉलिटिकल सपोर्ट और आर्म्स एम्यूनेशन देना जारी रखा है।मिडिल ईस्ट में अमेरिका के क्या मुफाद हैं और वह हकीकत में चाहता क्या है।
New Delhi ,(Shah Times) । अमेरिका मिडिल ईस्ट में अमन समझौते की बात करता है और इजरायल को सियासी और मिलिट्री हिमायत देना जारी रखता है। आखिर अमेरिका हकीकत में चाहता क्या है?
मिडिल ईस्ट में बड़े पैमाने पर जंग की इमकान गहराते जा रहे है। इजराइल, ईरान और अरब मुल्कों के दरमियान टेंशन पीक प्वाइंट पर है और हर दिन कत्लेआम हो रहा है। अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने फरवरी में ऐलान किया था कि कुछ दिनों के भीतर गाजा में जंगबंदी सीजफायर हो सकता है। अब सात महीने से ज्यादा वक्त बाद इजराइल न केवल गाजा में हमास के साथ जंग लड़ रहा है, बल्कि इजराइली फौजियों ने लेबनान पर भी हमले का यलगार किया।
अमेरिकी हुक़ूमत मिडिल ईस्ट में अमन समझौते की बात करती है और इजराइल को पॉलिटिकल सपोर्ट और आर्म्स एम्यूनेशन देना जारी रखा है, साथ ही मुंह जबानी टेंशन को खत्म करने की बात भी की है। इससे यह समझना अहम है है कि मिडिल ईस्ट में अमेरिका के क्या मुफाद हैं और वह हकीकत में चाहता क्या है।
अमेरिका ने इस साल इजरायल द्वारा उठाए गए हर कदम की हिमायत की है। बेरूत और तेहरान में हमास लीडरों का कत्ल, हिजबुल्लाह सुप्रीमो हसन नसरल्लाह का कत्ल और साउथ लेबनान पर हमला जैसे कदमों पर अमेरिका ने कोई ऐतराज जाहिर नहीं किया है।
गाजा में जंग शुरू होने एक साल से भी जायद वक्त बाद इजरायल का फिलिस्तीन पर हमला जारी है। इसमें करीब 42,000 लोग हलाक हो चुके हैं। वहीं बेरूत पर भी लगातार हमले हो रहे हैं और ईरान के खिलाफ हमले की तैयारी की जा रही है। जैसे-जैसे गाजा में तकरार बढ़ती जा रही है और पूरे इलाके में फैल रहा है, अमेरिकी बयानों और पॉलिसी के दरमियान फर्क बढ़ता जा रहा है।
क्या अमेरिकी हकूमत इजरायल पर लगाम लगाने में नाकामयाब हो रही है? या फिर अमेरिका वाकई अराजकता का फायदा उठाकर ईरान, हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ एग्रेसिव एजेंडा चला रहा है संयम बरतने और सीज फायर के आह्वान के बावजूद अमेरिका इस इलाके में वॉयलेंस का एक अहम वजह बनी हुई है।
अमेरिका के मकसद के बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल है। हालांकि, कई चीजें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि अमेरिकी हकूमत इजरायल के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा है
गाजा में सीज फायर के लिए महीनों तक कोशिशों के बाद अमेरिका ने लेबनान पर इजरायली हमले की हिमायत भी की है ।
लेबनान में वायलेंस बढ़ने के साथ ही, अमेरिका ने अरब और यूरोपीयन मुल्को को यूनाइटेड कर और जंग को रोकने के लिए 25 सितंबर को फौरन 21 दिन के सीज फायर का प्रपोजल रखा। हालाँकि, जब दो दिन बाद बेरूत में कई रेजिडेंशियल इमारतों पर बड़े पैमाने पर बम हमले में इज़राइल ने नसरल्लाह को हलाक कर दिया जिससे सीज फायर की कोई कोशिश खत्म हो गई और तो अमेरिका ने हमले की तारीफ भी की।
हिजबोल्लाह सुप्रीमो नसरल्लाह की कत्ल का हुक्म इज़राइली पीेएम बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका की जमीन से दिया था, जहाँ वे न्यूयॉर्क यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में हिस्सा लेने गए थे।
सिरैक्यूज़ यूनिवर्सिटी के हिस्ट्री के प्रोफेसर ओसामा खलील ने बिडेन के डिप्लोमेटिक कोशिशों की ईमानदारी पर सवाल उठाया। खलील ने जोर देकर कहा कि अमेरिका गाजा और इलाके के बाकी हिस्सों में इज़राइल की कार्रवाइयों का सीधा भागीदार और हीमायती रहा है, लेकिन अमेरिका ने खुद को अमेरिकी क्रिटिसिजम से बचाने के लिए सीज फायर लफ्जों का इस्तेमाल किया। खलील ने कहा, “यह सब सिर्फ़ बातचीत थी।”
What is America’s benefit in the Middle East which is on the brink of war?






