
बी वेनम क्या होता है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है,आइए जानते हैं?
बी वेनम जहर वही जहर होता है जो मधुमक्खी के काटने पर हमारे शरीर में जाता है। जिसकी वजह से जलन और सूजन हो जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं यह जहर हमारी सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। जानकारी के अनुसार इस जहर से कई दवाइयां बनाई जाती है। तो चलिए आज हम आपको बी वेमन जहर के बारे में जानकारी देने वाले हैं आखिर इससे कैसे दवाई बनाई जाती है और यह कैसे इस्तेमाल किया जाता है।
बी वेनम यानी मधुमक्खी का जहर वही जहरीला पदार्थ होता है जो डंक लगने पर स्किन में जाता है और दर्द या सूजन की वजह बनता है। आमतौर पर लोग इसे सिर्फ मधुमक्खी के डंक से होने वाली परेशानी से जोड़ते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसी जहर का इस्तेमाल कुछ खास बीमारियों की दवा बनाने में भी किया जाता है। खासतौर पर मधुमक्खी काटने पर होने वाले दर्द और एलर्जी के इलाज के लिए भी इसी बी-वेनम का इस्तेमाल होता है। कुछ जगहों पर इसे जोड़ के दर्द, पार्किंसन, नर्व पेन जैसी बीमारियों में भी आजमाते हैं, लेकिन इन्हें मेडिकल साइंस की प्रमाणिक दवाओं में शामिल नहीं किया गया है।
यहां ये बात साफ हो जाती है कि बी-वेनम और मधुमक्खी से जुड़ी दूसरी चीजें जैसे बी पोलन, शहद, प्रोपोलिस या रॉयल जेली एक जैसी नहीं होतीं। बी-वेनम मधुमक्खी के डंक का जहर है, जबकि बी पोलन फूलों से इकट्ठा किया गया पराग है, शहद एक मीठा लिक्विड है, प्रोपोलिस वो गोंद जैसा पदार्थ है जिससे मधुमक्खी छत्ता मजबूत करती है और रॉयल जेली वो खास पोषण होता है जो रानी मधुमक्खी और लार्वा को दिया जाता है। बी वेनम का असर और इसका इस्तेमाल इन सब चीजों से बिल्कुल अलग होता है।
कैसे असर करता है बी वेमन
जब बी वेनम को बार-बार और कंट्रोल डोज में स्किन के नीचे इंजेक्ट किया जाता है तो धीरे-धीरे इम्यून सिस्टम इसे पहचानना और सहन करना सीख जाता है। इससे मधुमक्खी के डंक की एलर्जी कम हो जाती है।
एलर्जी से होने वाली परेशानी में होता है फायदेमंद
जानकारी के अनुसार बी स्टिंग एलर्जी में बी वेनम का इलाज बहुत असरदार माना गया है। बी वेनम इम्यूनोथेरेपी से 98 प्रतिशत से 99 प्रतिशत तक लोगों को डंक से बचाव हो जाता है। इलाज खत्म होने के बाद अगले 5 से 10 साल में एलर्जी का रिस्क 5 प्रतिशत से 15 प्रतिशत के बीच रह जाता है। बता दें कि बी वेनम का प्योर इंजेक्शन FDA यानी Food and Drug Administration से मंजूर है।
कई बीमारियों में नही हुआ असर
मल्टीपल स्क्लेरोसिस, नर्वस सिस्टम की एक बीमारी है। इसमें बी वेनम से कोई खास असर होता है। ऐसे मरीजों को जिंदा मधुमख्खियों का डंक भी लगाया गया लेकिन कई हफ्तों तक बार-बार डंक दिए जाने पर भी न तो थकान कम हुई और न ही मरीज की हालत या जिंदगी में कोई बड़ा बदलाव आया।
अभी ओर है गहन रिसर्च कि जरूरत
फ्रोजन शोल्डर में बी वेनम से दर्द और परेशानी कुछ कम जरूर हुई लेकिन कंधे की मूवमेंट में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। ऑस्टियोआर्थराइटिस में मिली-जुली रिपोर्ट हैं। कुछ स्टडीज में घुटनों और पीठ पर बी वेनम के इंजेक्शन से दर्द कम हुआ और चलने-फिरने में राहत मिली। पार्किंसन में भी कुछ हल्का असर दिखा लेकिन डोज बहुत कम होने पर फायदा नहीं हुआ। ट्रोक के बाद कंधे के दर्द में बी वेनम से दर्द कम जरूर हुआ लेकिन मूवमेंट पर असर नहीं पड़ा। बाकी बीमारियों जैसे नर्व पेन, रूमेटाइड आर्थराइटिस, टेंडन की दिक्कतों और फाइब्रोमायल्जिया में अभी और सबूत की जरूरत है।
क्या हो सकते हैं साइड इफेक्ट्स?
अगर बी वेनम को सही तरीके से और डॉक्टर की निगरानी में दिया जाए तो ये ज्यादातर लोगों के लिए सेफ माना जाता है। इंजेक्शन वाली जगह पर रेडनेस या सूजन हो सकती है। कुछ लोगों को खुजली, घबराहट, सांस लेने में परेशानी, सीने में जकड़न, धड़कन बढ़ना, चक्कर आना, उल्टी, डायरिया, नींद आना या बेहोशी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। महिलाओं और जिन लोगों को डंक से पहले से एलर्जी है उनमें ये साइड इफेक्ट्स ज्यादा देखे जाते हैं। कभी-कभी तो खतरनाक एलर्जी रिएक्शन यानी एनाफिलैक्सिस भी हो सकता है। इसी के साथ गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इसकी कम डोज ही दी जाती है।
Note
यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है।अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी डॉक्टर्स कि सलाह लें।