
गुरुग्राम का शीतला माता मंदिर का क्या है इतिहास, आईए जानते हैं।
गुरुग्राम का शीतला माता मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था का ऐसा केंद्र है जहां दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी इच्छाओं के पूरे होने की आशा लेकर आते हैं। माता शीतला को कई समाजों जैसे ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, जाट और गुर्जर समुदाय में कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। यही कारण है कि यह मंदिर, नवरात्र हो या कोई और विशेष अवसर, हमेशा भक्तों से भरा रहता है। आइए, जानते हैं इस प्राचीन मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें।
भारत भूमि को चमत्कार और इतिहास की धरती माना जाता है, यहां ना जाने कितनी बार भक्त और भगवान के बीच आस्था और विश्वास का अनूठा संबंध देखने को मिला है। माता शीतला का भी एक ऐसा ही मंदिर हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित है, माता का यह मंदिर करीब चार सौ साल पुराना है। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि करीब ढ़ाई-तीन सौ साल पहले शीतला माता ने गुणगांव के सिंघा जाट नाम के व्यक्ति को सपने में दर्शन दिया था और यहां मंदिर बनाने के लिए कहा था। मान्यता है कि माता यहां साक्षात वास करती हैं। इतना ही नहीं माता के इस मंदिर में दर्शन मात्र से चेचक, खसरा और नेत्र रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं।
क्या है मंदिर का इतिहास
दुनियांभर में प्रसिद्ध माता शीतला के इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। कहा जाता है कि यहीं आचार्य द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को प्रशिक्षण दिया था। यहां पूरे साल भक्तों का तांता लगता है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार ऋष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने शीतला माता को सृष्टि को आरोग्य रखने की जिम्मेदारी दी थी। मान्यता है कि विधिवत शीतला माता की पूजा अर्चना करने से खसरा, चेचक व नेत्र विकार से मुक्ति मिलती है। ऐसे में यदि संभव हो तो शीतला माता के इस मंदिर का दर्शन अवश्य करें। आइए जानते हैं गुरुग्राम में स्थित माता शीतला के इस मंदिर से जुड़े अनसुने तथ्य और यहां कैसे पहुंचे। आईे
यहां हर मनोकामना होती है पूरी
यहां पूरी होती है हर मनोकामना
मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगे बरगद के पेड़ से जुड़ी एक विशेष परंपरा है। भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए इस पेड़ पर चुन्नी या मौली बांधते हैं और माता को जल अर्पित कर आशीर्वाद मांगते हैं। विशेष रूप से महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए माता की पूजा करती हैं। यहां लाल रंग का दुपट्टा और मुरमुरे प्रसाद के रूप में चढ़ाने की परंपरा भी है।
किसने बनवाया था गुड़गांव में स्थित माता शीतला का मंदिर
कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले माता ने अपने परम भक्त सिंघा जाट को साक्षात दर्शन दिया था और मंदिर बनवाने के लिए कहा था। माता की इच्छानुसार चढ़ाने का आधा हिस्सा सिंघा को मिलता था। इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल हजारों साल पुराना है। आइए जानते हैं कैसे पहुंचें मंदिर।
बीमारी से मुक्ति और संतान प्राप्ति का है विश्वास
यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि माता की पूजा से शारीरिक रोग, मानसिक कष्ट और नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। माता-पिता अपने बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए विशेष रूप से यहां आते हैं।
मंदिर स्थापना कि कहानी
माना जाता है कि पहले यह मंदिर दिल्ली के केशोपुर में था, लेकिन लगभग ढाई-तीन सौ साल पहले, माता ने एक व्यक्ति सिंघा जाट को स्वप्न में दर्शन देकर गुरुग्राम में मंदिर बनाने का आदेश दिया। तभी से यह मंदिर यहां स्थापित है, और आज आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है।