
मुंबई। धार्मिक धुर्वीकरण के आधार पर बनी सरकारें ही ना होने वाले या यूं भी कह सकते कि जिसकी ज़रुरत नहीं होती वह काम भी कर देती हैं कोई कुछ कह नहीं सकता है। मोदी सरकार (Modi government) के द्वारा पहले 1,000 व 500 के नोटों को अचानक बंद कर पूरे देश के नागरिकों को भोहचक कर दिया था और अब 2,000 रुपए के नोट को बैंक में जमा कराने में मात्र दो दिन बचे हैं,30 सितंबर के बाद इस नोट का लेन-देन नहीं किया जा सकेगा। ऐसा लगता है मानो मोदी सरकार (Modi government) को नोटबंदी का शौक है। पिछले सात वर्षों में वह दो बार नोटबंदी कर चुकी है, पर सबसे अहम सवाल यह है कि आखिर इस नोटबंदी से सरकार और देश को हासिल क्या हुआ?
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पहली बार 2016 में 500 और 1,000 के नोटों पर बंदी लगाई गई थी और तब 2,000 के नोट लाए गए थे। अब 2,000 के नोटों पर भी बंदी लगा दी गई है। दो दिन बाद 30 सितंबर को इसे बैंक में जमा करने की समय सीमा खत्म हो रही है। 2016 में कहा गया था कि आतंकवाद (Terrorism) को खत्म करने के लिए नोटबंदी की गई है। पर यह दावा तो फेल ही हो गया।
अभी हाल ही में आतंकियों ने सेना के तीन अधिकारियों की हत्या की है। दूसरा तर्क था कि ब्लैक मनी खत्म होगी। पर देश में अब भी ब्लैक मनी बनी हुई है। समय समय पर आईटी छापे (IT raid) में बरामद नोट टीवी चैनलों पर नजर आते रहते हैं। तो न आतंकवाद रुका और न ब्लैक मनी फिर सरकार ने तीन महीने तक देशवासियों को धूप में लाइन लगाने को मजबूर क्यों किया, जिसमें 150 से ज्यादा लोगों की जान चली गई।सवाल तो पूछे ही जाएंगे।
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कहां गए रु. 24,000 करोड़ ?
2,000 रुपए बैंक में जमा कराने में सिर्फ दो दिन बचे हैं। 30 दिसंबर के बाद इस नोट का लेन-देन नहीं किया जा सकेगा। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक मार्केट से तकरीबन 24 हजार करोड़ के नोट वापस नहीं आए हैं। ऐसे में आम लोगों के मन में इस सवाल का उठना स्वाभाविक है कि आखिर कहां हैं ये 24,000 करोड़ के नोट? क्या इन्हें लोगों ने अपने पास छिपाकर रखा है या ये नोट ब्लैक मनी में बदल चुके हैं?