
Madhya Pradesh debt reaches ₹4.3 lakh crore - 5% of India's total debt! Discover how the state's lavish spending on aircrafts, ministers' cars & bungalow renovations contrasts with its financial crisis. Full analysis of Ladli Bahna scheme costs and MP's borrowing limits
मध्य प्रदेश पर 4.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज! जानें कैसे यह देश के कुल ऋण का 5% है, और क्यों विमान खरीद व मंत्रियों की नई कारों पर खर्च हो रहे हैं करोड़ों। लाडली बहना योजना का भारी खर्च और राज्य के वित्तीय संकट की पूरी जानकारी।
भोपाल (शाह टाइम्स) मध्य प्रदेश सरकार पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य का कुल ऋण अब 4.3 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है, जो राज्य के वार्षिक बजट (4.2 लाख करोड़) से भी ज्यादा है। यह रकम देश के कुल सार्वजनिक ऋण का 5% से अधिक है, जो चिंता का विषय बना हुआ है।
कर्ज बढ़ने के बावजूद सरकारी खर्चों में कोई कमी नहीं
सरकार ने हाल ही में 230 करोड़ रुपये के जेट विमान की खरीद को मंजूरी दी। इसके अलावा, मंत्रियों के लिए 5 करोड़ रुपये की नई एसयूवी खरीदी गई और उनके आवासों के जीर्णोद्धार पर 18 करोड़ रुपये खर्च किए गए। विपक्ष का आरोप है कि सरकार फिजूलखर्ची कर रही है, जबकि राज्य का वित्तीय बोझ लगातार बढ़ रहा है।
अब सिर्फ 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की गुंजाइश
इस वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार 64,000 करोड़ रुपये तक का कर्ज ले सकती थी, जिसमें से 61,400 करोड़ रुपये पहले ही ले लिए गए हैं। अब सरकार के पास सिर्फ 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की सीमा बची है। हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी और शेष राशि अगले वर्ष के लिए स्थानांतरित कर दी जाएगी।
विकास के लिए लिया जाता है कर्ज
सरकार का कहना है कि यह कर्ज विकास कार्यों जैसे सिंचाई परियोजनाएं, सड़क निर्माण, बिजली उत्पादन और किसानों को सहायता देने के लिए लिया गया है। 31 मार्च 2024 तक राज्य पर 3.75 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था, जो अब बढ़कर 4.3 लाख करोड़ हो गया है।
लाडली बहना योजना पर हर महीने 1,550 करोड़ रुपये का खर्च
सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक लाडली बहना योजना है, जिसके लिए प्रतिमाह 1,550 करोड़ रुपये से अधिक की आवश्यकता होती है। यह भी राज्य के वित्तीय बोझ को बढ़ाने वाला एक प्रमुख कारक है।
देश में नौवें नंबर पर मध्य प्रदेश
केंद्रीय आंकड़ों के अनुसार, देश का कुल सार्वजनिक ऋण 93.93 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से मध्य प्रदेश का हिस्सा 4.80 लाख करोड़ रुपये (लगभग 5.12%) है। ऋण के मामले में मध्य प्रदेश देश में नौवें स्थान पर है।
क्या होगा आगे?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर राज्य सरकार ने अपने खर्चों पर नियंत्रण नहीं किया और राजस्व बढ़ाने के उपाय नहीं किए, तो यह वित्तीय संकट गहरा सकता है। अभी भी सरकार के पास कर्ज लेने की कुछ सीमा बची है, लेकिन अगले वित्तीय वर्ष में यह चुनौती और बड़ी हो सकती है