जन्माष्टमी का पावन पर्व कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।पंचांग के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है।
New Delhi,(Shah Times)। जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारतवर्ष में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह हिंदुओं का खास त्यौहार है इस त्यौहार की तैयारी कई दिनों पहले शुरू हो जाती है। इस पर्व पर लोगों में खुशी का माहौल होता है और लोग एक से बढ़कर एक झांकियां निकलते।
पंचांग के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है। जन्माष्टमी का पावन पर्व कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को हिंदू लोग श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाते है। जन्माष्टमी पर मंदिरों की सुंदरता देखते ही बनती हैं। आइए जानते हैं इस साल किस दिन मनाया जायेगा जन्माष्टमी का पर्व।
क्यों मनाया जाता हैं जन्माष्टमी का पर्व
मान्यता है कि द्वापर युग में इसी तिथि पर रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म मधुरा नगरी कंस की जेल में हुआ था। कृष्ण देवकी की आठवीं संतान थे इसलिए हर साल कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन मंदिर और घरों में भजन-कीर्तन होते हैं, झांकियां सजाई जाती है, व्रत-पूजन किए जाते हैं, श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप का श्रृंगार होता है और कई जगहों पर दही-हांडी का भी आयोजन किया जाता है।
2024 में कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी
इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। क्योंकि पंचांग के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत सोमवार, 26 अगस्त तड़के 03 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी, जिसका समापन 27 अगस्त रात 02 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 26 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी और इसी दिन व्रत-पूजन किया जाएगा।
बता दें कि जन्माष्टमी दो दिन भी मनाई जाती है। दरअसल स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय में अलग-अलग तिथि होने के कारण जन्माष्टमी अलग-अलग मनाते हैं। जन्माष्टमी की पहली तिथि पर स्मार्त संप्रदाय और दूसरी तिथि पर वैष्णव संप्रदाय वाले पूजा करते हैं।
इस साल बन रहा है जयंती योग
इस साल जन्माष्टमी के अवसर जयंती योग का भी निर्माण हो रहा है। ज्योतिष के अनुसार, द्वापर युग में जैसा योग श्रीकृष्ण के जन्म के समय बना था, वैसा ही योग इस साल जन्माष्टमी पर भी बन रहा है। ज्योतिष में इसे जयंती योग कहा गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय भाद्रपद अष्टमी रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। चंद्रमा वृषभ राशि में थे। इस साल भी जन्माष्टमी पर चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे। वहीं रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त दोपहर 3 बजकर 55 मिनट से अगले दिन दोपहर 3 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। जन्माष्टमी पर बाल गोपाल की पूजा के लिए सिर्फ 45 मिनट का ही समय मिलेगा। दरअसल 26 अगस्त देर रात 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक का समय पूजन के लिए शुभ है।