कौन है यह टीआरएफ जो कर रहा है घाटी में टारगेट किलिंग, जानिये क्या है टीआरएफ का इतिहास

कौन है यह टीआरएफ जो कर रहा है घाटी में टारगेट किलिंग, जानिये क्या है टीआरएफ का इतिहास
पाकिस्तान में बैठा टीआरएफ प्रमुख शेख सज्जाद गुल इस हमले का मास्टरमाइंड है। शेख सज्जाद गुल के इशारे पर ही टीआरएफ के लोकल माड्यूल ने इस हमले को अंजाम दिया है। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने पहले से ही मजदूरों की मूवमेंट की जानकारी कर रखी थी।

श्रीनगर (Shah Times): कश्मीर में हुई फिर से टारगेट किलिंग से घाटी दहल गई है। नई सरकार का गठन होते ही पिछले कल गांदरबल में आतंकी हमला हुआ इस आतंकी हमले में बाहरी राज्यों से काम करने आये 7 लोगों को आतंकियों ने मार दिया। इस हमले की बड़े स्तर पर निंदा की गई है। ऐसे इन हत्याओं की जिम्मेदारी लेने वाले संगठन टीआरएफ का इतिहास जानना जरूरी है।

शेख सज्जाद गुल ने करवाई हत्यायें

पाकिस्तान में बैठा टीआरएफ प्रमुख शेख सज्जाद गुल इस हमले का मास्टरमाइंड है। शेख सज्जाद गुल के इशारे पर ही टीआरएफ के लोकल माड्यूल ने इस हमले को अंजाम दिया है। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने पहले से ही मजदूरों की मूवमेंट की जानकारी कर रखी थी।

पहले से की गई थी रैकी

जानकारी के अनुसार मजदूरों के आने-जाने के समय की उन्हें सटीक जानकारी थी। यही वजह है कि जैसे ही कर्मचारी कैंप में वाहन से पहुंचे उन्हें संभलने तक का मौका नहीं दिया गया। आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग करनी शुरू कर दी। कुछ मजदूर भागने लगे तो आतंकियों ने उन्हें भी निशाना बनाकर फायरिंग की।

यह है टीआरएफ की कहानी

टीआरएफ की कहानी 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के साथ ही शुरू होती है। कहा जाता है कि इस हमले से पहले ही इस आतंकी संगठन ने घाटी के अंदर अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। धीरे-धीरे यह संगठन अपनी ताकत को बढ़ाता चला गया और इसे पाकिस्तान समर्थित कुछ आतंकी संगठनों के साथ खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी साथ मिला। पांच अगस्त 2019 को जैसे ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई, यह संगठन पूरे कश्मीर में सक्रिय हो गया।

कौन है टीआरएफ प्रमुख

टीआरएफ के उदय की असल कहानी पाकिस्तान से शुरू होती है। घाटी में बढ़ती आतंकी घटनाओं के साथ-साथ पाकिस्तान का छुपा चेहरा दुनिया के सामने आने लगा था। धीरे-धीरे पाकिस्तान पर अपने यहां पनप रहे आतंकी संगठनों पर कार्रवाई के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बनता जा रहा था। पाक समझ चुका था कि उसे अब लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों पर कुछ कार्रवाई करनी ही होगी, लेकिन उसे यह भी डर था कि इससे कश्मीर में उसकी जमीन खिसक सकती है।

यह है टीआरएफ का लक्ष्य

टीआरएफ को फाइनेंसिशयल एक्शन टास्क फोर्स की कार्रवाई से बचने के लिए बनाया गया था। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में रखा था। इसके साथ ही उस पर कई प्रतिबंध भी लगाने शुरू कर दिए थे, जिसके बाद टीआरएफ अस्तित्व में आया। इसका मकसद घाटी में फिर से 1990 वाला दौर वापस लाना है। टीआरएफ का मुख्य उद्देश्य लश्कर-ए-तैयबा मामले में पाकिस्तान पर बढ़ते दबाव को कम करना व कश्मीर में स्थानीय आतंकवाद को बढ़ावा देना है।

ऐसे बनाते हैं आतंकी निशाना

आपने बीते कुछ महीनों में कश्मीर में टारगेट किलिंग के कई मामले देखे होंगे। इनमें से अधिकतर के पीछे टीआरएफ का ही हाथ था। टीआरएफ के हैंडलर सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं। इसके साथ ही वे सोशल मीडिया पर कश्मीर के अंदर होने वाली हर राजनीतिक, प्रशासनिक व सामाजिक गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखते हैं।

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