
बीजेपी के नये अध्यक्ष का चुनाव इस समय संगठन की पहली प्राथमिकता है। बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर जेपी नड्डा का कार्यकाल 2023 में ही खत्म हो गया था।
नई दिल्ली (Shah Times): बीजेपी के नये अध्यक्ष का चुनाव इस समय संगठन की पहली प्राथमिकता है। बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर जेपी नड्डा का कार्यकाल 2023 में ही खत्म हो गया था। बीजेपी संविधान के अनुसार वो दूसरी पारी भी संभाल सकते थे, लेकिन उनको सिर्फ लोकसभा चुनाव 2024 तक ही एक्सटेंशन मिल पाया। मौजूदा नियमों के अनुसार बीजेपी का अध्यक्ष तीन-तीन साल का लगातार दो टर्म पूरा कर सकता है, लेकिन अब जेपी नड्डा की जगह नये बीजेपी अध्यक्ष का इंतजार है।
अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया
फिलहाल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है, और बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी हो सकता है जब देश के कम से कम आधे राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो जाये। ये काम पूरा होने में अभी दो हफ्ते और लगने की संभावना है। तब तक 18 राज्यों में अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी- और उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के कार्यक्रम घोषित कर दिये जाएंगे।

संघ की भुमिका रहेगी अहम
चुनाव प्रक्रिया अपनी जगह है, लेकिन जेपी नड्डा का उत्तराधिकारी वही बनेगा जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सीनियर कैबिनेट साथी अमित शाह की अपेक्षाओं पर खरा उतर रहा होगा-और वो नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी मंजूर हो।
संघ को कैसा अध्यक्ष चाहिये?

बीजेपी अध्यक्ष को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद और नापसंद के दो पक्ष महत्वपूर्ण हैं। औपचारिक तौर पर संघ न तो बीजेपी या सरकार के कामों में कोई दखल देता है, न ही अपनी तरफ से अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी को कोई नाम ही सुझाता है।
बीजेपी की प्राथमिकता हैं ऐसे काम
2024 के आम चुनाव के बाद केंद्र सरकार बनी तो जेपी नड्डा कैबिनेट में शामिल कर लिए गये, और अब एक व्यक्ति दो पदों पर तो रह नहीं सकता। अमित शाह भी जब 2019 में गृह मंत्री के रूप में सरकार में शामिल हुए तो बीजेपी अध्यक्ष पद छोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। जेपी नड्डा को पहले कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया, और फिर वो राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये। पिछली बार भी बीजेपी के अध्यक्ष पद की रेस में भूपेंद्र यादव शामिल थे, लेकिन नड्डा बाजी मार ले गये। एक बार फिर उनका नाम बीजेपी अध्यक्ष पद की रेस में जोड़ा जा रहा है, जबकि वो भी नड्डा की तरह ही कैबिनेट मंत्री हैं।
अनुराग ठाकुर का भी आ रहा है नाम
वैसे तो अनुराग ठाकुर का भी नाम लिया जा रहा है, लेकिन हिमाचल चुनाव में बीजेपी की हार के बाद एक बार फिर नड्डा के ही इलाके से अध्यक्ष बनाया जाने की संभावना न के बराबर लगती है।
धर्मेंद्र प्रधान भी हैं बड़ा चेहरा

धर्मेंद्र प्रधान का भी नाम आ रहा है। और कुछ हो न हो बीजेपी के ओबीसी नेता धर्मेंद्र प्रधान कई चुनावों में सफल कैंपेन किया है, और ओडिशा में भी तो बीजेपी की सरकार बन ही गई है। वैसे तो कई ओबीसी चेहरे हैं, लेकिन एक नाम शिवराज सिंह चौहान भी हैं, लेकिन इलाकाई राजनीति हावी हुई तो उनको इंतजार करना पड़ सकता है।
बीजेपी के बड़े टास्क
बीजेपी के सामने बड़ा टास्क अब पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत जीतने का है। ऐसे में चर्चा में आ चुके निर्मला सीतारमण, दग्गुबाती पुरंदेश्वरी और प्रह्लाद जोशी जैसे नेताओं की संभावना ज्यादा लगती है।
अमित शाह पर दौवारा दाव खेल सकती है बीजेपी
अमित शाह भी जब 2019 में गृह मंत्री के रूप में सरकार में शामिल हुए तो बीजेपी अध्यक्ष पद छोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। जेपी नड्डा को पहले कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया, और फिर वो राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये।
रेस में ये 3 दिग्गज
बीजेपी अध्यक्ष की रेस में ये 3 नेता- भूपेंद्र यादव, अनुराग ठाकुर और धर्मेंद्र प्रधान सबसे आगे है। हालांकि इनके अलावा केशव प्रसाद मौर्य, राजीव चंद्रशेखर, स्मृति ईरानी, कैलाश विजयवर्गीय, सीटी रवि, सर्वानंद सोनोवाल जैसे नेताओं के नाम भी चर्चा हो रही है। पार्टी का नेतृत्व एक अनुभवी और संगठन पर मजबूत पकड़ रखने वाले नेता के हाथ में दिया जाएगा, जो 2029 के लोकसभा चुनावों तक पार्टी को मजबूती से आगे ले जा सके।
जेपी नड्डा का कार्यकाल और उनकी उपलब्धियां
जेपी नड्डा ने 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद अमित शाह से पार्टी अध्यक्ष का पदभार संभाला। इस दौरान उन्होंने पार्टी को 26 चुनावी जीत दिलाई, जिसमें लोकसभा और विधानसभा चुनाव शामिल हैं। उनके कार्यकाल में बीजेपी ने उत्तराखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, झारखंड, असम और त्रिपुरा में चुनाव जीते, जबकि नागालैंड और मेघालय में भी पार्टी ने बढ़त बनाई। हालांकि, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 2018 के चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन 2023 में बीजेपी ने तीनों राज्यों में फिर से सत्ता हासिल कर ली।
बीजेपी की चुनौतियां
जेपी नड्डा के कार्यकाल में 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को झटका लगा। 2019 में मिली 303 सीटों की तुलना में 2024 में पार्टी 240 सीटों पर सिमट गई। हालांकि बीजेपी ने सरकार बनाने के लिए एनडीए के अन्य दलों के साथ गठबंधन किया, लेकिन यह साफ है कि नए अध्यक्ष को पार्टी के आधार को मजबूत करने और 2029 की तैयारी में जुटना होगा।
नए अध्यक्ष के सामने बड़ी चुनौतियां

1 दक्षिण भारत में पार्टी का प्रदर्शन सुधारना – नए अध्यक्ष को दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत करना होगा। कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। आंध्र प्रदेश में वह एनडीए के साथ सरकार में है। केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में पार्टी को सुधार करने की जरूरत है।
2 2025-26 के विधानसभा चुनावों की तैयारी – बिहार (2025), असम (2026), केरल (2026), तमिलनाडु (2026), पश्चिम बंगाल (2026) और पुडुचेरी (2026) में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मजबूत रणनीति बनानी होगी।
3 संगठन को मजबूत करना – राज्यों में पार्टी कैडर को फिर से सक्रिय करना और एनडीए सहयोगियों के साथ बेहतर तालमेल बनाना जरूरी होगा।
4 नई रणनीति और नेतृत्व – विपक्षी दलों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए पार्टी को नई चुनावी रणनीति बनानी होगी।
BJP में अब तक 11 नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद संभाला
1 अटल बिहारी वाजपेयी (1980-86)
2 लाल कृष्ण आडवाणी (1986-90, 1993-98, 2004-05)
3 डॉ. मुरली मनोहर जोशी (1991-93)
4 कुशाभाऊ ठाकरे (1998-2000)
5 बंगारू लक्ष्मण (2000-01)
6 जना कृष्णमूर्ति (2001-02)
7 एम. वेंकैय्या नायडू (2002-04)
8 राजनाथ सिंह (2005-09, 2013-14)
9 नितिन गडकरी (2010-13)
10 अमित शाह (2014-20)
11 जगत प्रकाश नड्डा (2020- अबतक)
संघ चाहता है ऐसा अध्यक्ष
भाजपा का चुनावी तथा राजनीतिक नेतृत्व कोई भी करे, लेकिन संगठन की रीढ़ में संघ ही रहता है। सूत्रों के अनुसार, हाल के लोकसभा चुनाव में भाजपा और संघ के बीच समन्वय की कमी उभरी थी। अब संघ की केरल में होने वाली समन्वय बैठक में जब भाजपा की अध्यक्ष भी हिस्सा लेने जाएंगे तब आगे की चर्चा हो सकती है। इस बैठक में संघ के सभी आनुषंगिक संगठन के प्रमुख हिस्सा लेंगे। सूत्रों के अनुसार, संघ भाजपा के अध्यक्ष के रूप में ऐसे व्यक्ति को पसंद कर सकता है जो न केवल संघ पृष्ठभूमि से हो, बल्कि संगठन को लेकर सजग और कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने वाला हो।
अनुराग ठाकुर क्यों मानें जा रहे हैं बड़ा चेहरा
नए भाजपा अध्यक्ष के साथ संगठन में भी अहम बदलाव की अटकलें शुरू हो गई हैं। प्रधानमंत्री मोदी के पिछले कार्यकाल में सूचना व प्रसारण मंत्री के रूप में सरकार का चेहरा बने अनुराग ठाकुर इस बार सरकार का हिस्सा नहीं हैं। माना जा रहा है कि उन्हें संगठन में अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। महासचिव बंडी संजय कुमार के सरकार में आने के बाद संगठन में दक्षिण भारत से किसी नए चेहरे को जगह मिल सकती है।
स्मृति इरानी भी हैं बड़ा चेहरा

राजस्थान के पूर्व सीएम दिवंगत भैरों सिंह शेखावत के भरोसेमंद नेता व राज्यसभा सदस्य ओम माथुर भी संभावित उम्मीदवार हैं। आरएसएस प्रचारक के रूप में उनकी पृष्ठभूमि और सीधे और स्पष्टवादी होने की उनकी प्रतिष्ठा उन्हें एक मजबूत विकल्प बनाती है। अमेठी से चुनाव हारने वालीं स्मृति ईरानी भी इस दौड़ में शामिल हैं। अगर ईरानी का चुनाव होता है तो वह भाजपा की पहली महिला अध्यक्ष होंगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का नाम भी विचाराधीन है। उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता के कारण वे भाजपा को विकास के अगले चरण में ले जाने के लिए एक मजबूत दावेदार हैं।
राजनाथ, गड़करी और शिवराज की होगी मुख्य भुमिका
नये अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी के तीन रत्नों की भुमिका अहम मानी जा रही है। यह चेहरे हैं राजनाथ सिंह, नीतिन गड़करी और शिवराज सिंह चौहान क्योंकि यह तीनों नेता संघ के करीबी माने जाते हैं। और कहीं ना कहीं तीनों को शाह खेमें का विरोधी भी माना जाता है। हालांकि शाह टाइम्स विरोधी होने की पुष्टी नहीं करता है पर कहीं ना कहीं यह बातें अक्सर निकल कर सामने आती रहती हैं।