
आखिर भारत में मोबाइल नंबर सिर्फ 10 अंको का ही क्यों होता है?

आज हर किसी की जिंदगी मोबाइल नंबर से जुड़ी हुई है। चाहे वह घर में काम करने वाले लोग हो या फिर नौकरी करने वाले। बैंकिंग हो, आधार कार्ड, सोशल मीडिया या किसी भी तरह की ऑनलाइन सर्विस, सब जगह मोबाइल नंबर सबसे अहम पहचान बन चुका है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर मोबाइल नंबर सिर्फ 10 अंकों का ही क्यों होता है? न 8, न 12, बल्कि सिर्फ 10 ही अंक। ये सवाल हम सभी के मन में आता है तो चलिए आज हम आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं।
हम सभी रोजाना मोबाइल नंबर डायल करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में यह नंबर 10 अंकों का ही क्यों होता है? फोन नंबर में अगर एक भी नंबर छूट जाए या ज्यादा जुड़ जाए, तो वह नंबर अवैध हो जाता है। ये नंबर अगर 8, 9 या फिर 11 अंकों का हो तो क्या परेशानी है? दरअसल, मोबाइल नंबर के 10 डिजिट एक बहुत ही सोच-समझकर तय किए गए सिस्टम का नतीजा है। आइए जानें मोबाइल नंबर में 10 अंक ही क्यों होते हैं और इनका क्या मतलब है?
क्या है 10 अंको का गणित?
सबसे पहले इसके गणित को समझते हैं। दरअसल, हर देश अपनी आबादी के हिसाब से फोन नंबर की संख्या तय करता है। 10 अंकों के नंबर सिस्टम में उपलब्ध कुल नंबरों की संख्या होती है 10 अरब। यह एक विशाल संख्या है जो किसी भी देश की जनसंख्या को यूनिक नंबर देने के लिए काफी है।
दूसरा कारण
भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में भी यह क्षमता काफी है। अगर नंबर 8 अंकों के होते तो सीमित कॉम्बिनेशन मिलते और भविष्य में नंबर की कमी पड़ सकती थी। वहीं अगर 12 या 13 अंकों के होते तो लोगों के लिए याद रखना मुश्किल हो जाता। इसलिए 10 अंक सबसे संतुलित और बेहतर विकल्प माना गया।
क्या होता है इन दस अंको का?
मोबाइल नंबर सिर्फ एक पहचान नहीं है, बल्कि यह एक ‘पता’ भी है जो टेलीकॉम नेटवर्क को बताता है कि कॉल को किस दिशा में रूट करना है। भारत में, मोबाइल नंबर की संरचना को कुछ इस तरह से बनाया गया है। आपको बता दें कि पहले चार या पांच अंक- ये ‘कंवर्टर कोड’ होते हैं, जो मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर और टेलीकॉम सर्कल की पहचान करते हैं। बाकी के छह या पांच अंक- ये ग्राहक का यूनिक नंबर होता है।
विस्तार नेटवर्क के कारण
भारत में मोबाइल नेटवर्क का जब विस्तार हो रहा था, तब यह तय करना जरूरी था कि सभी नंबर यूनिक हों और जिससे नेटवर्क एक-दूसरे के साथ आसानी से जुड़ सकें। 10 अंकों के नंबरों से यह सुनिश्चित हो गया कि सभी नेटवर्क एक ही नंबरिंग सिस्टम का पालन करें।






