
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में गाजा पट्टी के बाशिंदों को लेकर एक डिस्प्यूट बयान दिया, जिसमें उन्होंने जॉर्डन और मिस्र से गाजा के लोगों को बसाने की अपील की। उनका यह सुझाव गाजा की तबाही और वहां की जनता की दुर्दशा को दर्शाता है, लेकिन इस्लामिक देशों ने इसे क्षेत्रीय स्थिरता और फिलिस्तीनी अधिकारों के लिए खतरा बताया है। ट्रंप का यह प्लान इजरायल-पैलिस्टाइन विवाद को और जटिल बना सकता है।
वॉशिंगटन ,(Shah Times)। डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में गाजा पट्टी के फिलिस्तीनियों के पुनर्वास को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जिससे इस्लामिक दुनिया में खलबली मच गई है। उन्होंने जॉर्डन और मिस्र जैसे पड़ोसी देशों से गाजा के लोगों को बसाने की अपील की। ट्रंप का यह सुझाव न केवल विवादों में है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और गाजा-इजरायल संघर्ष के बीच नए तनाव को जन्म दे सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप का बयान और नया विवाद
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि गाजा पट्टी के हालात इतने खराब हो चुके हैं कि वहां के लोगों के लिए कोई भविष्य नहीं बचा है। उन्होंने सुझाव दिया कि गाजा की सीमा से लगे जॉर्डन और मिस्र को गाजा के लोगों को बसाने के लिए जगह देनी चाहिए। ट्रंप ने कहा, “मैंने जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला से बात की कि वे डेढ़ मिलियन गाजा के लोगों को अपने देश में बसाने पर विचार करें।” उन्होंने मिस्र के राष्ट्रपति फतेह अल-सीसी से भी इसी तरह की अपील की।
ट्रंप ने कहा कि गाजा में रहना अब संभव नहीं है क्योंकि 60% इमारतें और 92% घर मलबे में तब्दील हो चुके हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि गाजा के निवासियों के लिए नई कॉलोनियां बनाई जा सकती हैं, जो अस्थायी या स्थायी दोनों तरह की हो सकती हैं।
जॉर्डन और मिस्र ने दिया सख्त जवाब
डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान पर जॉर्डन और मिस्र ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान सफादी ने साफ कहा कि गाजा के लोग अपनी जमीन पर ही रहें। उन्होंने कहा, “जॉर्डन जॉर्डनियों के लिए है और फिलिस्तीन फिलिस्तीनियों के लिए। हम गाजा के लोगों को अपने देश में बसाने के ट्रंप के सुझाव को सिरे से खारिज करते हैं।”
मिस्र ने भी ट्रंप के सुझाव को खारिज करते हुए इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरनाक बताया। मिस्र के विदेश मंत्रालय ने कहा, “गाजा के निवासियों को जबरन विस्थापित करना न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह पूरे मध्य-पूर्व में संघर्ष को और भड़काएगा।”
गाजा में तबाही के आंकड़े और लोगों की मुश्किलें
संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़ों के अनुसार, गाजा पट्टी में इजरायली हमलों के चलते स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। 60% इमारतें और 92% घर पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं। अस्पताल और स्कूल भी मलबे में तब्दील हो गए हैं। लाखों लोग विस्थापित हैं और बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
गाजा के हालात इतने खराब हैं कि वहां स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई हैं, पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है और लाखों लोगों को भोजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इन स्थितियों में ट्रंप का सुझाव गाजा के निवासियों के लिए राहत नहीं, बल्कि नई मुश्किलों का इशारा दे रहा है।
मुस्लिम देशों की चिंताएं और ट्रंप के बयान का विरोध
मध्य-पूर्व और इस्लामिक देशों में डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान को गहरा संदेह और चिंता के साथ देखा जा रहा है। इन देशों को डर है कि ट्रंप का सुझाव इजरायल को गाजा पर अपना नियंत्रण बढ़ाने का मौका देगा। यह न केवल गाजा के लोगों के लिए खतरनाक होगा, बल्कि इजरायल-पैलिस्टाइन संघर्ष को और बढ़ा सकता है।
इस्लामिक मुल्कों का कहना है कि गाजा के बाशिंदों को अपनी जमीन छोड़ने के लिए मजबूर करना उनके हंहं का उल्लंघन होगा। इस कदम को फिलिस्तीन के अधिकारों को खत्म करने और इजरायल के विस्तार के लिए एक नई चाल के रूप में देखा जा रहा है।
इजरायल और गाजा विवाद का नया आयाम
डोनाल्ड ट्रंप के इस प्लान से इजरायल और गाजा के बीच चल रहे लंबे विवाद में एक नया मोड़ आ सकता है। गाजा को खाली करवाने और वहां की आबादी को जॉर्डन और मिस्र में बसाने का मतलब यह होगा कि इजरायल गाजा पर अपना नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश करेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल मध्य-पूर्व में शांति प्रयासों को प्रभावित करेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में अस्थिरता और हिंसा को बढ़ावा देगा।
डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान ने न केवल गाजा के लोगों के लिए नई समस्याओं को उजागर किया है, बल्कि इस्लामिक देशों में उनके सुझाव को लेकर गहरी नाराजगी और चिंता है। गाजा के लोगों के लिए अस्थायी समाधान की बजाय उनके लिए स्थायी शांति और सुरक्षा की पहल की जरूरत है। ट्रंप के इस विवादित बयान से इजरायल-पैलिस्टाइन संघर्ष के समाधान की राह और कठिन हो सकती है।
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