
Six petitions filed in the Supreme Court challenging the validity of the Waqf (Amendment) Act, 2025. Congress and Jamiat call it an attack on the Constitution. Know the full story
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली 6 याचिकाएं दायर, कांग्रेस और जमीयत ने बताया संविधान पर हमला। जानिए पूरा मामला।
नई दिल्ली (शाह टाइम्स) सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने की सहमति दे दी है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों को सुना, जो जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए। सिब्बल ने कहा कि यह मामला बेहद महत्वपूर्ण है और इसे सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इस पर सीजेआई ने कहा कि वे दोपहर में उल्लेख पत्र पर गौर करेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
दरअसल, संसद के बजट सत्र में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल चुकी है। इसके साथ ही वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर “एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता एवं विकास (उम्मीद) अधिनियम, 1995” कर दिया गया है।
कांग्रेस और जमीयत ने बताया संविधान पर हमला
कांग्रेस ने इस कानून को संविधान के मूल ढांचे पर हमला करार दिया है। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद की याचिका में तर्क दिया गया है कि यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26, 29 और 300 ए का उल्लंघन करता है। वहीं, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता छीनने की साजिश बताया है। संगठन के अनुसार यह कानून मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को कमजोर करता है।
इनकी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल
- असदुद्दीन ओवैसी – एआईएमआईएम अध्यक्ष
- अमानतुल्लाह खान – आम आदमी पार्टी विधायक
- मोहम्मद जावेद – कांग्रेस सांसद
- जमीयत उलेमा-ए-हिंद
- नागरिक अधिकारों के संरक्षण के लिए संघ
- ऑल केरल जमीयत-उल उलेमा
सरकार ने कहा – कानून गरीब मुसलमानों के हित में
वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि यह कानून करोड़ों गरीब मुसलमानों को फायदा पहुंचाएगा। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों में हस्तक्षेप नहीं करता और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के तहत लाया गया है।
ये है सवाल
अब सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस विवादास्पद कानून पर रोक लगाएगा या सरकार के पक्ष में खड़ा होगा? आने वाले दिनों में इस पर होने वाली सुनवाई अहम साबित हो सकती है।