
Environmental Health Day 2025 theme Clean Air Healthy People with focus on pollution and solutions.
विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस 2025 का विषय “स्वच्छ वायु, स्वस्थ लोग” है। वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य पर उसके गहरे असर को लेकर यह दिवस चेतावनी और उम्मीद दोनों का संदेश देता है।
डॉ. मोहम्मद यूसुफ, ग्लोकल यूनिवर्सिटी, सहारनपुर
हर साल 26 सितम्बर को दुनिया भर में विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इसका मक़सद सिर्फ़ जागरूकता बढ़ाना नहीं बल्कि लोगों को यह एहसास दिलाना है कि उनका अपना व्यवहार, उनकी रोज़मर्रा की आदतें, उनकी साँसों की हवा और उनकी सेहत—सब एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।
इस साल का विषय है: स्वच्छ वायु, स्वस्थ लोग।
वातावरण में जो हवा हम लेते हैं, वही हमारी ज़िन्दगी की सबसे अहम ज़रूरत है। पानी या खाना तो कुछ घंटों तक न मिले तो इंसान जी सकता है, मगर हवा के बिना कुछ ही मिनटों में सब कुछ ख़त्म हो जाता है। यही वजह है कि इस साल का थीम इतना अहम है।
वायु प्रदूषण की हक़ीक़त
आज की दुनिया में हवा सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। धुँआ, धूल, ज़हरीली गैसें—ये सब मिलकर इंसान की साँस को ही बोझ बना देते हैं।
हिंदुस्तान के शहरों का हाल देखें तो दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, पटना जैसे शहर लगातार दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिने जाते हैं। उर्दू शायर की एक पंक्ति याद आती है:
“हवा भी अब तो ज़हर सी लगती है,
साँस लेना भी जैसे गुनाह बन गया है।”
गाड़ियों से निकलने वाला धुँआ, कारख़ानों की चिमनियों से उठता धुआँ, और खेतों में जलते पराली का धुआँ—ये सब मिलकर हवा को और जहरीला बना रहे हैं।
सेहत पर असर
Doctors और Researchers मानते हैं कि वायु प्रदूषण अब Silent Killer है।
दमा़ (Asthma) के मरीज़ बढ़ रहे हैं।
फेफड़ों का कैंसर और दिल की बीमारियाँ सीधे हवा से जुड़ी हैं।
WHO की रिपोर्ट बताती है कि हर साल लाखों लोग सिर्फ़ गंदी हवा की वजह से मरते हैं।
यानी हवा अब सिर्फ़ नेचुरल रिसोर्स नहीं रही, बल्कि सीधा हेल्थ रिस्क बन चुकी है।
आम आदमी की भूमिका
लोग अक्सर सोचते हैं कि यह काम सिर्फ़ सरकार और इंडस्ट्री का है। लेकिन हक़ीक़त यह है कि आम इंसान भी इसमें बराबर का किरदार निभा सकता है।
पास की दूरी पर पैदल चलना या साइकिल चलाना।
Public Transport या Car-Pooling अपनाना।
घर और मोहल्लों में पेड़ लगाना।
कचरा जलाने से बचना और Segregation करना।
Energy-Efficient उपकरणों का इस्तेमाल।
छोटे-छोटे ये क़दम मिलकर बड़ी तब्दीलियाँ ला सकते हैं।
सरकार और नीतियाँ
Policy Level पर कई काम हुए हैं:
National Clean Air Programme (NCAP)
Electric Vehicles Policy
Renewable Energy Projects
लेकिन यह क़दम तभी असरदार होंगे जब लोगों का सहयोग भी मिलेगा। महज़ क़ानून से हवा साफ़ नहीं होगी, जब तक कि हर नागरिक की आदतें नहीं बदलतीं।
सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण
उर्दू अदब और हिंदी साहित्य दोनों में हवा का ज़िक्र हमेशा ज़िन्दगी देने वाली ताक़त के तौर पर हुआ है।
कबीरदास ने कहा था:
“पवन गुरु, पानी पिता, माता धरती माहि।”
यानी हवा सिर्फ़ साँस ही नहीं, बल्कि शिक्षक भी है, जो हमें सिखाती है कि जीवन बिना संतुलन के अधूरा है।
समाधान की राह
Bottom Line यह है कि स्वच्छ वायु, स्वस्थ लोग कोई नारा नहीं बल्कि एक जीवन-शैली है।
अगर हम मिलकर छोटे-छोटे बदलाव करें, तो आने वाली नस्लों को साफ़ हवा और बेहतर सेहत का तोहफ़ा मिल सकता है।
निष्कर्ष
वायु प्रदूषण से लड़ाई लंबी और मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं। यह सिर्फ़ एक दिन की Awareness Campaign नहीं होनी चाहिए, बल्कि रोज़ाना की आदत और समाज का कल्चर बनना चाहिए।
साफ़ हवा का हक़ हर इंसान का है—और उसकी ज़िम्मेदारी भी हर इंसान की है।