
दलित समाज के साथ साथ मुस्लिमो में मजबूत पकड़ रखते है पूर्व योगेश वर्मा
मामूली अंतर से हारे थे हस्तिनापुर विस का चुनाव
अपने समर्थकों से मौजूदा हालात पर पूर्व विधायक कर रहे चर्चा
शाहवेज खान
मेरठ।लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह जमीन पर काम कर रही है और अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग चुकी है इसको लेकर बीजेपी के तमाम विधायक और सांसद घर-घर जाकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं मेरी माटी मेरा देश अभियान के जरिए लोगों के द्वार तक भाजपा पहुंचने का प्रयास कर रही है। ऐसे में इंडिया गठबंधन अभी जमीन पर पूरी तरह दिखाई नहीं दे रहा है हालांकि भाजपा के खिलाफ एक माहौल समाज में बनता हुआ तो दिख रहा है लेकिन उस माहौल का फायदा उठाने के लिए मेरठ में ऐसा कोई खास चेहरा दिखाई नहीं दे रहा है जो भाजपा को टक्कर दे सके । राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भाजपा को मेरठ में पठखनी देनी है तो ऐसा चेहरा विपक्ष को ढूंढना होगा जिस पर हिंदू और मुसलमान दोनों विश्वास कर सकते हैं। बीते 5 वर्ष पूर्व हुए नगर निगम चुनाव में देखें तो योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा ने चुनाव लड़ा था और उन्हें दलित मुस्लिम के साथ-साथ सर्व समाज की वोट मेरठ से मिली थी लोकसभा का चुनाव नगर निगम चुनाव के बीच से होकर ही बाहर आता है। नगर निगम चुनाव में तीन विधानसभाओं का समागम है और लोकसभा चुनाव में पांच विधानसभा आती हैं योगेश वर्मा हस्तिनापुर से विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन मामूली अंतर से वह हार गए। बीते नगर निगम चुनाव में वह एक बार फिर मेरठ सीट पर चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन निगम की सीट ओबीसी कोटे में जाने के बाद वह चुनाव नहीं लड़ सके । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब योगेश वर्मा लोकसभा चुनाव को लेकर मंथन कर रहे हैं और इसको लेकर वह अपने समर्थकों व अपने लोगों से मौजूदा हालात पर चर्चा कर रहे हैं। योगेश वर्मा पूर्व का चुनाव भले ही हार गए हो लेकिन फिलहाल कांग्रेस , सपा व लोकदल के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो भाजपा के लिए चिंता का विषय बन सके। भाजपा को हराने के लिए मेरठ में एक ही समीकरण दिखाई देता है और वह है दलित मुस्लिम समीकरण। योगेश वर्मा दलित समाज से आते हैं और उनके पिछले तमाम चुनाव पर नजर डालें तो योगेश वर्मा को हमेशा से मुस्लिम समाज का वोट खुले दिल से मिलते आया है और योगेश वर्मा दलित मुस्लिम समाज में मजबूत पकड़ रखते हैं। बीता लोकसभा चुनाव में वोटिंग से मात्र 20 दिन पूर्व योगेश वर्मा का टिकट बसपा ने बुलंदशहर की रिजर्व सीट से किया था , वहा वह चुनाव लड़े लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली l।
अपने समाज के लिए झेल चुके हैं यातनाएं
पूर्व विधायक योगेश वर्मा वर्ष 2018 को हुए 2 अप्रैल में दलित आंदोलन के दौरान राजनीति का शिकार हुए थे इस दौरान उन्हें तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने जेल भेजा था और बाद में उनपर रासुका भी लगाई थी जिसके कारण योगेश वर्मा को महीनों तक जेल में रहना पड़ा था। उस दौरान उनकी पत्नी कुछ दिनों पूर्व ही मेरठ की मेयर बनी थी और उन्हें भी योगेश वर्मा से मिलने नहीं दिया जा रहा था मेरठ की मेयर होने के बावजूद उनकी पत्नी अपने पति से मिलने के लिए बेबस दिखाई दे रही थी । योगेश वर्मा ने समय पर अपने समाज की आवाज उठाई और मुस्लिम समाज के लिए भी उन्होंने हमेशा आगे आने का काम किया है जिसके चलते दलित मुस्लिम दोनों समाज में उनकी जबरदस्त पकड़ मानी जाती है।
मेरठ प्रशासन ने लगाई है गुंडाक्ट
पूर्व विधायक योगेश वर्मा पर महीने ही प्रशासन ने अचानक गुंडा एक्ट लगने की तैयारी की है जिसको लेकर उन्हें नोटिस दिया गया है । योगेश वर्मा का कहना है कि वह कोई गुंडे नहीं है वह राजनेता है अक्सर झूठे मुकदमों में राजनीति के तहत मुकदमे लिखवा दिए जाते हैं लेकिन आपराधिक मुकदमे और राजनीतिक मुकदमों में फर्क होता है योगेश वर्मा ने इस मामले में मेरठ के डीएम से भी मुलाकात की थी फिलहाल इसमें 18 तारीख लगी हुई है।
इंडिया गठबंधन को निकालना होगा भाजपा को हराने का रास्ता
मेरठ लोक सभा सीट इस समय भाजपा का मजबूत गढ़ है और इस गढ़ में विपक्ष को एंट्री करनी है तो मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट की कैंट विधानसभा को सबसे पहले भेदना होगा । कैंट विस हमेशा से भाजपा को बढ़त देती रही है कैंट विधानसभा के अंदर दलित समाज का अच्छा खासा वोट बैंक है लगभग 50 से 60 हजार वोट यह दलित समाज का है वही 30 से 40 हजार मुस्लिम वोट बैंक है । फिलहाल अगर बीते समीकरण पर नजर डाले तो कैंट की सीट पर भाजपा को टक्कर दी जा सकती है।और अगर केंट में भाजपा की बढ़त को रोका जाय तो हार जीत के खेल को खेला जा सकता है और इस नजरिए से भी योगेश एक मजबूत कड़ी बन सकते है।
मेरठ लोकसभा में आती है यह 5 विस
मेरठ हापुड लोकसभा में पांच विधानसभाओं का समागम है इसमें मेरठ की शहर विधानसभा, कैंट विधानसभा ,दक्षिण विधानसभा, किठौर विधानसभा व हापुड़ विधानसभा शामिल है। 2022 के विस चुनाव में शहर विधानसभा से सपा के रफीक अंसारी 26 हजार वोट से भाजपा को हराने में कामयाब रहे ।वही दक्षिण विधानसभा से भाजपा के सोमेंद्र तोमर ने सपा के आदिल चौधरी को 7942 वोट से हराया, किठौर विधानसभा में सपा के शाहिद मंजूर भाजपा के सतवीर त्यागी को 2700 वोट से हराने में कामयाब हुए । हापुड़ विधानसभा में भाजपा के विजयपाल आरती 8 हजार वोटो से रालोद के गिरिराज सिंह को हराने में कामयाब हुए थे।वहीं मेरठ की सीट पर भाजपा के विधायक अमित अग्रवाल ने 1 लाख18000 वोटो से जीत हासिल कर कीर्तिमान बनाया और अब को चौंका दिया और साथ ही साथ यह बताया की मेरठ लोकसभा सीट कैंट की बदौलत ही भाजपा का गढ़ बन रही है।
पूर्व लोकसभा चुनाव में हाजी याकूब ने भाजपा को दिलाए थे पसीने
मेरठ के पूर्व लोकसभा चुनाव में बसपा से प्रत्याशी रहे पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी ने मजबूती से चुनाव लडा इस चुनाव में हाजी याकूब गिनती के आखिरी दौर तक भाजपा को पसीना दिलाते हुए दिखे यहाँ पर भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल को 5 लाख 86 हजार वोट लेने में कामयाब हुए वही हाजी याकूब ने 5 लाख 82 हजार वोट हासिल किया । इस तरह 4 हजार वोट से राजेंद्र अग्रवाल ने सीट जीती थी।