
अनुसूचित जनजातियों की सूची में 12 और जातियों को शामिल करने से संबंधित संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक 2022 को मंगलवार को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित
नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) की सूची में 12 और जातियों को शामिल करने से संबंधित संविधान (scheduled tribe) आदेश (5th संशोधन) विधेयक 2022 को मंगलवार को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच राज्यसभा (Rajya Sabha) ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही इस विधेयक पर संसद (Parliament) की मुहर लग गयी।
लोकसभा इस विधेयक को पहले की पारित कर चुकी है। इस विधेयक के पारित होने से अब छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में धनुहार, धनुवार, किसान, सौंरा, सौंरा और बिझिंया समुदायों को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) सूची में शामिल किया जा सकेगा। विधेयक में भरिया, भूमिया समुदाय के पर्यायवाची के रूप में भुइंया, भुइयां और भुइयां समुदायों को शामिल किया गया है। इसमें पंडो समुदाय के नाम के तीन देवनागरी संस्करण भी शामिल है। केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) ने इस विधेयक को सदन में पेश किया। चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्य विशेषकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी , द्रविड मुन्नेत्र कषगम(द्रमुक) और वामपंथी दलों के सदस्य हंगामा कर रहे थे लेकिन विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने अपनी बात रखने की कोशिश की और कहा कि चार दिनों से मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराने के प्रयास किये जा रहे हैं और वह मणिपुर के मुद्दे पर बोलने लगे। इसी दौरान उप सभापति हरिवंश ने कहा कि जब विधेयक पर चर्चा हो रही है तो सिर्फ विधेयक से संबंधित बयान ही कार्यवाही में शामिल किये जायेंगे। इसके कुछ देर बाद तक विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते रहे और फिर बहिर्गमन कर गये।
भाजपा के अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) ने कहा कि जनजाति के समाज को अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। ये लोग देश की मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं और सरकार इस समुदाय के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। एकलव्य विद्यालय बनायें जा रहे हैं और उनको समाज के अन्य वर्गो के समान बनाया जा रहा है। भाजपा के विप्लव देब ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि त्रिपुरा के जनजाति समाज के लिए केंद्र सरकार (Central government) ने बहुत काम किया है। जनजाति सूची में आदिवासी समुदायों को शामिल किया गया है। उन्हाेंने कांग्रेस (Congress) पर जनजाति के हितों पर राजनीति करने का आरोप लगाया। केंद्र सरकार (Central government) जनजाति समाज के आठ मंत्री हैं। यह इतिहास में पहली बार है।
जनजाति समुदायों के लाेगों को नहीं मिल रहा सरकार से लाभ
वाईएसआरसीपी के वी. विजयसाईं रेड्डी ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी पार्टी जनजाति समाज के हित में उठायें गये प्रत्येक कदम के साथ हैं। भाजपा के जुगलसिंह लोखंडवाला (Jugal Singh Lokhandwala) ने कहा कि कांग्रेस (Congress) की गलतियों के कारण जनजाति समुदायों के लाेगों को सरकार से लाभ नहीं मिल पा रहे हैं। ये गलतियां वर्तनी और नाम की है। मोदी सरकार (Modi Government ) इस अन्याय को दूर कर रही है। इसलिए संविधान में संबंधित संशोधन किये जा रहे हैं। कांग्रेस की दोहरी नीतियां रही है जिसके कारण जनजाति समुदाय को उसका लाभ नहीं मिल सका है। बीजू जनता दल के सम्मित पात्रा ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि ओडिशा के 170 समुदायाें को भी जनजाति सूची में शामिल किया जाना चाहिए। ओडिशा सरकार (Government of Odisha) इस संबंध में अनेक बार अनुरोध कर चुकी है। भाषायी समुदायों के लिए भी न्याय किया जाना चाहिए। तेंदू पत्ता पर 18 प्रतिशत जीएसटी हटाया जाना चाहिए। जीएसटी परिषद का इस पर विचार करना चाहिए।
विधेयक से छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों को मिलेगा न्याय
भाजपा राकेश सिन्हा (Rakesh Sinha) ने कहा कि इस विधेयक से छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के आदिवासी समुदायों (Tribal communities) के न्याय मिल सकेगा। सरकार आदिवासी कल्याण (Tribal welfare) के लिए प्रतिबद्ध है। कांग्रेस ने आदिवासी समाज (Tribal communities) के कल्याण के लिए निष्ठा के साथ काम नहीं किया। इससे इस समाज के इस हिस्से का विकास नहीं हो पाया। सरकार आदिवासी समाज को उसका अधिकार सुनिश्चित कर रही है।
इस विधेयक पर वाईएसआरसीपी के रायगा कृष्णैया, भारतीय जनता पार्टी के समीर उरांव, टीडीपी के कनकमेडला रवीनद्र कुमार, भाजपा की सरोज पांडे और किरोड़ी लाल मीणा ने भी भाग लिया।लिए पूरे प्रयास करने चाहिए और इस संबंध में अपनी सिफारिशें केन्द्र सरकार काे भेजनी चाहिए। मोदी सरकार आदिवासी कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। शुरूआत में हरिवंश ने आम आदमी पार्टी के संदीप कुमार पाठक को चर्चा शुरू करने के लिए पुकारा लेकिन वह नहीं बोले। इसके बाद उन्होंने बीजू जनता दल के निरंजन बिशी को चर्चा के लिए बुलाया। बिशी ने भारी शोर गुल के बीच अपनी बात रखी।
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जनजाति समाज के लिए केंद्र सरकार ने किया बहुत काम
भाजपा के अनिल अग्रवाल ने कहा कि जनजाति के समाज को अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। ये लोग देश की मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं और सरकार इस समुदाय के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। एकलव्य विद्यालय बनायें जा रहे हैं और उनको समाज के अन्य वर्गो के समान बनाया जा रहा है। भाजपा के विप्लव देब ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि त्रिपुरा के जनजाति समाज के लिए केंद्र सरकार ने बहुत काम किया है। जनजाति सूची में आदिवासी समुदायों को शामिल किया गया है। उन्हाेंने कांग्रेस पर जनजाति के हितों पर राजनीति करने का आरोप लगाया। केंद्र सरकार जनजाति समाज के आठ मंत्री हैं। यह इतिहास में पहली बार है।
सरकार दे आंध्रप्रदेश तेलंगाना के आदिवासी समुदायाें की ओर ध्यान
टीएमसी – एम के जी के वासन ने विधेयक का समर्थन किया। भाजपा के के. लक्ष्मण ने कहा कि विधेयक सरकार के उद्देश्यों के अनुरुप है। सरकार को आंध्रप्रदेश (Andhra Pradesh) और तेलंगाना (Telangana) के आदिवासी समुदायाें की ओर भी ध्यान देना चाहिए। सरकार सामाजिक न्याय के नारे काे साकार कर रहा है।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि बहुत सारी जातियों को जनजाति सूची में लाने का प्रयास किये जा रहे हैं। अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों को उनकी आबादी के अनुसार आरक्षण मिलना चाहिए। बहुजन समाज पार्टी के रामजी ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि महारा जाति को जनजाति को माना जाना चाहिए। इस विधेयक पर वाईएसआरसीपी के रायगा कृष्णैया, भारतीय जनता पार्टी के समीर उरांव, टीडीपी के कनकमेडला रवीनद्र कुमार, भाजपा की सरोज पांडे और किरोड़ी लाल मीणा ने भी भाग लिया।