
मुंबई । बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ को महाराष्ट्र सरकार द्वारा मनमाने ढंग से औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहरों का नाम बदलकर क्रमश: छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने पर फटकार लगाई।
मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ में याचिकाकर्ता मोहम्मद हिशाम उस्मानी के वकील एसएस काजी ने दलील दी कि मामला अभी भी अदालत में लंबित है।
उन्होंने अदालत को बताया कि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय और शिक्षा विभाग ने अगले साल के शैक्षणिक सत्र से स्कूली पाठ्यपुस्तकों में औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहरों के नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने के आदेश जारी किए हैं।
उन्होंने दलील दी कि सरकार यह मनमाने ढंग से कर रही है जबकि नाम बदलने का मामला अभी भी अदालत में लंबित
है। न्यायालय ने अधिवक्ता काजी की दलीलों पर प्रतिक्रिया देते हुए इस संबंध में महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ को फटकार
लगाई।
अदालत ने कहा ,”अभी तक नाम परिवर्तन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यह अदालत की अवमानना है… अगर नाम परिवर्तन के खिलाफ निर्णय लिया गया तो लोगों का पैसा बर्बाद होगा।”
मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी।





