
Dr. R. Meenakshi Sundaram discusses ₹1 Lakh Crore energy project grounding in Uttarakhand | Shah Times
उत्तराखंड में 1 लाख करोड़ की ऊर्जा ग्राउंडिंग का नया रिकॉर्ड
थर्मल प्लांट के साथ उत्तराखंड बना ऊर्जा निवेश का हब
डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम से खास बातचीत में सामने आए उत्तराखंड के ग्राउंड प्रोजेक्ट्स और भविष्य की रणनीति
मौ. फहीम ‘तन्हा’
देहरादून,(Shah Times) । उत्तराखंड में हाल ही में निवेश ग्राउंडिंग को लेकर एक अहम पड़ाव पार किया गया, जब राज्य सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के परियोजनाओं को धरातल पर उतरता देखा। इनमें अकेले ऊर्जा क्षेत्र में लगभग 40 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स की ग्राउंडिंग सबसे उल्लेखनीय रही। ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम से इस प्रगति और आगे की योजनाओं पर विशेष बातचीत में कई अहम जानकारियां सामने आईं।
नीतिगत बदलावों ने खोले ऊर्जा क्षेत्र के द्वार
डॉ. सुंदरम के अनुसार यह प्रगति सिर्फ आकस्मिक नहीं, बल्कि ऊर्जा क्षेत्र की नीतियों में बदलाव का परिणाम है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने हाइड्रो पावर, पंप स्टोरेज और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नीतिगत सुधार किए हैं, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।
“हमने स्मॉल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स की नीति को इतना अट्रैक्टिव बनाया कि करीब एक दशक बाद इन प्रोजेक्ट्स के लिए बिड हो पाई,” उन्होंने बताया।
मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा योजना के तहत राज्य ने 2000 मेगावाट उत्पादन का लक्ष्य रखा, जिसमें अब तक 250 मेगावाट उत्पादन हो चुका है।
निजी और सरकारी दोनों सेक्टरों की दिलचस्पी
ऊर्जा निवेश में पब्लिक और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिल रही है। प्रमुख सचिव ने बताया कि उत्तराखंड की पंप स्टोरेज प्लांट नीति केंद्र सरकार के सुझावों पर आधारित है, और इसमें टीएचडीसी और यूजेवीएनएल का संयुक्त उपक्रम भी शामिल है। इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य की नीतियां केवल निवेश आकर्षण तक सीमित नहीं, बल्कि क्रियान्वयन की दिशा में भी मजबूत हैं।
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छत्तीसगढ़ में लगेगा उत्तराखंड का थर्मल पावर प्लांट
भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए राज्य सरकार थर्मल पावर प्लांट पर भी काम कर रही है। इसके लिए भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया है। चूंकि कोयले की उपलब्धता वहीं है, इसलिए निवेशक प्लांट भी वहीं लगाएंगे और उत्तराखंड सरकार उनके साथ पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) करेगी।
“हम 1320 मेगावाट क्षमता के थर्मल पावर प्लांट की दिशा में काम कर रहे हैं। फिलहाल इसकी बोली प्रक्रिया चल रही है,” डॉ. सुंदरम ने बताया।
प्रोजेक्ट का लाभ कब मिलेगा?
निवेश और परियोजनाओं के परिणाम एक रात में नहीं आते। ऊर्जा सचिव के अनुसार छोटे प्रोजेक्ट्स में 3 से 5 साल और बड़े प्रोजेक्ट्स में 5 से 8 साल तक का समय लग सकता है।
“हमें विश्वास है कि इन वर्षों में उत्तराखंड ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकेगा,” उन्होंने आश्वस्त किया।
भविष्य के बड़े निवेश: जिंदल ग्रुप और अन्य प्रोजेक्ट्स
इन्वेस्टर्स समिट में उत्तराखंड सरकार ने कई बड़े एमओयू साइन किए थे, जिनमें 15 हजार करोड़ रुपये का एमओयू जिंदल ग्रुप के साथ सबसे बड़ा था। हालांकि फिलहाल जिंदल ग्रुप महाराष्ट्र में अपनी परियोजनाओं में व्यस्त है, इसलिए राज्य सरकार ने अब संबंधित प्रोजेक्ट्स को टेंडर प्रक्रिया में शामिल करने का निर्णय लिया है।
अल्मोड़ा से संबंधित इन परियोजनाओं को भी क्रियान्वयन के पथ पर लाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री के निर्देश और राज्य की जीएसडीपी का लक्ष्य
ऊर्जा निवेश केवल आर्थिक विकास नहीं, बल्कि राजनीतिक नेतृत्व की प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बार-बार निर्देश दिए हैं कि इन्वेस्टमेंट समिट केवल शो पीस न बने, बल्कि वास्तविक बदलाव लाए।
“मुख्यमंत्री जी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि निवेश का हर एमओयू जमीनी हकीकत में तब्दील हो। नियोजन विभाग का लक्ष्य है कि वर्ष 2022 की तुलना में 2027 तक राज्य की जीएसडीपी दोगुनी हो जाए,” डॉ. सुंदरम ने बताया।
ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की ओर कदम
उत्तराखंड लंबे समय से अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहा है, लेकिन अब यह तस्वीर बदलने वाली है। सौर, जल और थर्मल ऊर्जा के संगम से उत्तराखंड की ऊर्जा नीतियां अब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं।
मुख्य बिंदु यह है:
40 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट्स की ग्राउंडिंग
2000 मेगावाट सौर लक्ष्य, जिसमें 250 मेगावाट उत्पादन
1320 मेगावाट थर्मल प्रोजेक्ट के लिए कोल ब्लॉक आवंटित
जिंदल ग्रुप जैसे निवेशकों से बड़े एमओयू
5-8 वर्षों में परिणाम और आत्मनिर्भरता का रोडमैप
निवेश की मंज़िल अभी और दूर है
एक लाख करोड़ रुपये की ग्राउंडिंग निश्चित ही बड़ी उपलब्धि है, लेकिन राज्य सरकार की दृष्टि इससे कहीं आगे है। मुख्यमंत्री की नेतृत्व क्षमता, नीतिगत सुधार और ऊर्जा विभाग की सक्रियता से यह साफ है कि उत्तराखंड अब केवल निवेश आकर्षित करने में नहीं, बल्कि उसे परिणाम में बदलने के पथ पर भी अग्रसर है।