
Carl Lewis inspires runners in Delhi, celebrating unity and determination – Shah Times Alt
वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन 2025 में नौ बार के ओलंपिक स्वर्ण विजेता कार्ल लुईस ने समावेश, इंसानियत और खेलों की ताक़त को एक नए नजरिए से परिभाषित किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन सिर्फ़ दौड़ नहीं, बल्कि ज़िन्दगी के फ़लसफ़े और एकता के जज़्बे का जश्न है।
📍नई दिल्ली🗓️ 10 अक्टूबर 2025✍️संदीप शर्मा
नई दिल्ली की ठंडी सुबह, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम की रौनक और हज़ारों लोगों के चेहरे पर उम्मीद की चमक—यही है वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन 2025 की असली पहचान।
और जब इस आयोजन के चेहरे बने Carl Lewis, तो बात सिर्फ़ खेल तक सीमित नहीं रहती, बल्कि एक सामाजिक और मानवीय पैग़ाम में तब्दील हो जाती है।
कार्ल लुईस ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा —
“वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन सिर्फ़ एक इवेंट नहीं, बल्कि एक आंदोलन है। यह उन सभी लोगों के लिए है जो अपनी सीमाओं से आगे बढ़ने का हौसला रखते हैं।”
उनके शब्दों में वही ऊर्जा थी जो किसी अनुभवी धावक के अंतिम कदमों में होती है — थकान से नहीं, बल्कि जीत के यक़ीन से भरी हुई।
लुईस ने कहा कि जब दिल्ली की सड़कों पर धावक दौड़ते हैं, तो वे सिर्फ़ किलोमीटर नहीं नापते, बल्कि समाज की दूरी भी मिटाते हैं — अमीर-ग़रीब, मर्द-औरत, बूढ़ा-नौजवान, सब एक लाइन पर, एक मंज़िल की तरफ़।
🌍 खेल और समाज का रिश्ता
खेल हमेशा से समाज का आइना रहा है। जब एक बच्चा बिना जूते के भी दौड़ने निकलता है, तो वह सिर्फ़ जीतने नहीं, बल्कि जीने का सबक दे रहा होता है।
वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन इस सोच का प्रतीक है — Inclusivity, Perseverance, and Transformation through Sports.
“दौड़ सिर्फ़ पैरों की नहीं होती, हौसले की होती है।”
और यही बात लुईस ने अपने अनुभव से साबित की। उन्होंने कहा कि हर सपना तब हक़ीक़त बनता है जब इंसान अपने डर से आगे बढ़ता है, जब हार की आहट भी उसे रुकने नहीं देती।
🏅 कार्ल लुईस – एक इंसान, एक मिसाल
1984 से 1996 के बीच नौ ओलंपिक गोल्ड जीतने वाले इस दिग्गज ने खेल के मायने ही बदल दिए।
1984 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में चार गोल्ड, जो Jesse Owens की 1936 की ऐतिहासिक उपलब्धि की याद दिलाता है।
सियोल, बार्सिलोना, अटलांटा — हर ओलंपिक में उन्होंने साबित किया कि Consistency ही असली Greatness है।
उनकी लंबी छलांगें सिर्फ़ रेत में नहीं, बल्कि इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं।
आज जब वो दिल्ली की धरती पर खड़े होकर युवाओं को संदेश देते हैं, तो उनके शब्द किसी किताब की तरह नहीं, बल्कि ज़िन्दगी के सबक़ जैसे लगते हैं।
🧠 युवा खिलाड़ियों के लिए सबक़
लुईस ने कहा,
“Success मांगती है सब्र, Sacrifice और Focus. Instant reward मत खोजो — Greatness एक लंबा सफर है।”
उनकी बातों में वो गहराई थी जो सिर्फ़ एक सच्चे एथलीट में होती है।
उन्होंने बताया कि सफलता की राह पर अकेलापन ज़रूर आता है, मगर वही अकेलापन आपको मज़बूत भी बनाता है।
दिल्ली के स्टेडियम में बैठे एक युवा धावक के लिए यह बात किसी मोटिवेशनल कोट से कहीं ज़्यादा मायने रखती है।
क्योंकि जब Carl Lewis जैसा इंसान ये कहता है, तो उसके पीछे दशकों की मेहनत, हज़ारों असफलताएँ और अनगिनत जीतें छुपी होती हैं।
🏃♂️ वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन 2025 – एक दौड़, एक सपना
12 अक्टूबर को जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम से शुरू होकर यह रेस इंडिया गेट, लोधी गार्डन और दिल्ली की ऐतिहासिक गलियों से गुज़रेगी।
यह सिर्फ़ स्पोर्ट्स इवेंट नहीं, बल्कि दिल्ली की रूह का जश्न है।
हर साल इस आयोजन में हज़ारों लोग भाग लेते हैं — कोई फ़िटनेस के लिए, कोई Purpose के लिए, तो कोई Inspiration के लिए।
और जब वो फिनिश लाइन पार करते हैं, तो उनके चेहरे पर जो मुस्कान होती है, वह किसी मेडल से कम नहीं।
इस साल, कार्ल लुईस की मौजूदगी ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया है।
वह कहते हैं —
“हर धावक को ये याद रखना चाहिए कि जब आप दौड़ते हैं, तो आप सिर्फ़ अपने लिए नहीं, बल्कि उस उम्मीद के लिए दौड़ते हैं जो किसी और को प्रेरित कर सकती है।”
💬 संपादकीय दृष्टिकोण
यह सिर्फ़ खेल की कहानी नहीं, बल्कि इंसानियत की कहानी है।
एक ऐसे दौर में जब समाज अक्सर बंटा नज़र आता है, वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन हमें याद दिलाती है कि एकता सिर्फ़ नारे में नहीं, बल्कि कर्म में होती है।कार्ल लुईस जैसे लीजेंड्स हमें बताते हैं कि महानता का पैमाना मेडल नहीं, बल्कि असर है — Impact on others.
यह आयोजन हमें सिखाता है कि इंसान अगर चाहे, तो अपने कदमों से भी बदलाव की राह बना सकता है।






