
Dharmendra Discharged from Hospital. Bobby Deol takes his father Dharmendra home in an ambulance, fans pray for his well-being.
धर्मेंद्र की तबीयत पर राहत, अमिताभ के ट्वीट ने बढ़ाई फैंस की बेचैनी
बॉलीवुड के लेजेंड धर्मेंद्र को ब्रीच कैंडी अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। लेकिन अमिताभ बच्चन के रहस्यमयी पोस्ट ने सोशल मीडिया पर चर्चा छेड़ दी है। दोनों सितारों की दोस्ती और फैंस की भावनाएं इस वक्त चर्चा के केंद्र में हैं।
📍मुंबई 🗓️ 12 नवम्बर 2025✍️ आसिफ़ ख़ान
मुंबई की सुबह एक राहतभरी खबर लेकर आई — धर्मेंद्र अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं। लेकिन राहत के साथ थोड़ी उलझन भी जुड़ी रही, जब अमिताभ बच्चन ने अपने एक्स हैंडल पर एक बार फिर रहस्यमयी पोस्ट किया — सिर्फ़ “T 5562 – !!”।
यह वही अंदाज़ था, जो उन्होंने एक दिन पहले भी अपनाया था। इस रहस्य ने सोशल मीडिया को सस्पेंस में डाल दिया, और फैंस ने धर्मेंद्र की सलामती की दुआ शुरू कर दी।
धर्मेंद्र की तबीयत पर अपडेट
धर्मेंद्र, जो 89 साल के हैं, को सांस लेने में तकलीफ़ की शिकायत के बाद ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर प्रतीत समदानी ने पुष्टि की कि अब वह स्थिर हैं और घर पर ही उनका इलाज जारी रहेगा।
देओल परिवार — सनी, बॉबी और ईशा — सभी ने इस दौरान अस्पताल और घर के बीच लगातार नज़र बनाए रखी। आज सुबह 7:30 बजे बॉबी देओल ख़ुद उन्हें एम्बुलेंस से घर लेकर आए।
अस्पताल प्रशासन ने एक सधी हुई अपील जारी की — “कृपया अफवाहों पर ध्यान न दें और परिवार की निजता का सम्मान करें।” यह बयान न सिर्फ़ पेशेवर था, बल्कि एक संवेदनशील समय में मीडिया के लिए एक तरह का नैतिक संदेश भी।
अमिताभ बच्चन का मौन और संदेश
अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर जितने सक्रिय हैं, उतने ही रहस्यमय भी। उनके पोस्ट अक्सर शब्दों से ज़्यादा अर्थ लिए होते हैं।
जब धर्मेंद्र की तबीयत की ख़बरें आईं, तो अमिताभ ने आधी रात को पोस्ट किया — “T 5561-”। अगले ही दिन “T 5562 – !!”।
इन दो अंकों के बीच जो मौन था, उसने लोगों के दिलों में कई सवाल छोड़ दिए। क्या यह चिंता का इज़हार था? क्या यह दोस्ती का इशारा था?
ट्विटर पर एक यूज़र ने लिखा,
“ये वीरू के लिए है, जय अभी ज़िंदा है।”
एक अन्य ने भावुक होकर कहा,
“सर, वीरू के लिए दुआ कर रहे हैं, भगवान उन्हें लंबी उम्र दे।”
अमिताभ और धर्मेंद्र की जोड़ी “शोले” के ज़माने से आज तक बॉलीवुड की दोस्ती की मिसाल है। जय-वीरू की जोड़ी सिर्फ़ पर्दे पर नहीं, असल ज़िंदगी में भी उतनी ही मज़बूत लगती है।
धर्मेंद्र: सदी का दिल और सादगी का चेहरा
धर्मेंद्र की ज़िंदगी फ़िल्मी कहानियों से कहीं ज़्यादा वास्तविक भावनाओं से भरी है। लुधियाना के एक किसान परिवार से उठकर उन्होंने बॉलीवुड को जो दिया, वह सिर्फ़ हीरोइज़्म नहीं बल्कि इंसानियत थी।
वह आख़िरी दौर के उन कलाकारों में हैं, जो आज भी हर जेनरेशन को जोड़ते हैं — बूढ़े कहते हैं “हमारे धरम पाजी”, और नए दर्शक कहते हैं “OG He-Man।”
धर्मेंद्र का यह दौर हमें उम्र और प्रसिद्धि दोनों की सच्चाई याद दिलाता है। शरीर बूढ़ा होता है, पर आत्मा जवान रहती है। यही वजह है कि जब वह बीमार पड़ते हैं, तो पूरा देश बेचैन हो जाता है।
अमिताभ का मौन और सिनेमा की संवेदना
सदी के महानायक का ये रहस्यमय मौन सिर्फ़ शब्दों की कमी नहीं, बल्कि भावनाओं की गहराई है। धर्मेंद्र और अमिताभ दोनों उस पीढ़ी से आते हैं, जिसने सिनेमा को सिर्फ़ पेशा नहीं, मिशन समझा।
दोनों ने मिलकर दोस्ती, इंसानियत और संघर्ष का ऐसा चित्र रचा, जो आज भी सोशल मीडिया पर मीम्स के रूप में ज़िंदा है — “याराना” सिर्फ़ फ़िल्म नहीं, एक भावना है।
सोशल मीडिया का दौर और संवेदनशीलता की कमी
आज का डिजिटल युग खबरों से ज़्यादा अफ़वाहें पैदा करता है। धर्मेंद्र की सेहत पर बिना पुष्टि वाली पोस्टें फैलने लगीं — “RIP Dharmendra” जैसे ट्वीट देखकर कई फैंस विचलित हुए।
यह स्थिति हमें बताती है कि इंटरनेट की स्पीड से ज़्यादा ज़रूरत है संवेदना की। किसी भी स्टार के फैंस को ये समझना होगा कि ख़बर से पहले इंसानियत ज़रूरी है।
धर्मेंद्र और अमिताभ — दोस्ती की अमर मिसाल
दोनों के रिश्ते में कभी सियासी बयानबाज़ी नहीं रही, सिर्फ़ एक सम्मान रहा। जब अमिताभ ने कहा था — “धरमजी मेरे बड़े भाई हैं,” तो यह सिर्फ़ अभिनय नहीं, वास्तविक रिश्ता था।
आज जब धर्मेंद्र घर लौटे हैं, तो उनके लिए सिर्फ़ परिवार नहीं, पूरा देश दुआ कर रहा है।
यह घटना सिर्फ़ एक अभिनेता की सेहत की कहानी नहीं, बल्कि सदी के दो महान कलाकारों की आत्मीयता की झलक है।
धर्मेंद्र की तबीयत सुधरना राहत की बात है, पर अमिताभ के ट्वीट हमें सोचने पर मजबूर करते हैं — क्या हम कलाकारों की भावनाओं को सिर्फ़ मनोरंजन की तरह देख रहे हैं, या उनमें इंसान ढूंढ पा रहे हैं?
हमारी पत्रकारिता को, हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री की तरह, मानवीय स्पर्श की ज़रूरत है। यही इस कहानी का असली सबक है।






