
Adani Group takeover race for Jaiprakash Associates | Shah Times
12500 करोड़ की बोली के साथ अदाणी सबसे आगे! दिवालिया जेपी एसोसिएट्स को खरीदने की होड़ तेज
“अदाणी Vs डालमिया: जेपी एसोसिएट्स की बोली में घमासान”
अदाणी समूह ने दिवालिया जेपी एसोसिएट्स को खरीदने के लिए ₹12,500 करोड़ की सबसे बड़ी बोली लगाई। वेदांता, जिंदल पावर और डालमिया जैसे दिग्गजों को पीछे छोड़ा। जानिए पूरा विश्लेषण।
भारतीय कॉर्पोरेट जगत में एक नई हलचल तब मची जब अदाणी समूह ने दिवालिया हो चुकी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) के अधिग्रहण के लिए ₹12,500 करोड़ की विशाल बोली लगाई। यह न सिर्फ इस वर्ष की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट खरीद-बिक्री में से एक मानी जा रही है, बल्कि यह भारतीय बुनियादी ढांचे और रियल एस्टेट उद्योग के बदलते परिदृश्य की गवाही भी देती है।
🏗️ जयप्रकाश एसोसिएट्स: एक डूबती लेकिन रणनीतिक संपत्ति
जयप्रकाश एसोसिएट्स, जिसे जेपी ग्रुप के नाम से भी जाना जाता है, कभी देश की सबसे तेज़ी से उभरती इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों में गिनी जाती थी। इसके कारोबार सीमेंट, रियल एस्टेट, जलविद्युत और होटल व्यवसाय में फैले हुए थे। लेकिन वित्तीय कुप्रबंधन, भारी कर्ज और कानूनी जटिलताओं के चलते कंपनी इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत दिवालियापन की प्रक्रिया से गुजर रही है।
💰 अदाणी की रणनीति: आक्रामक विस्तार की ओर एक और कदम
अदाणी समूह ने बिना किसी शर्त के ₹8,000 करोड़ की अग्रिम राशि देने का प्रस्ताव रखा है — जो बाजार में उसकी ताकत और आत्मविश्वास को दर्शाता है। यह प्रस्ताव अदाणी की आक्रामक अधिग्रहण रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए वह इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट और पावर सेक्टर में अपने पैर और मजबूत करना चाहता है।
🏁 दिग्गज कंपनियों की रेस में अदाणी सबसे आगे क्यों?
जेपी एसोसिएट्स को खरीदने की दौड़ में वेदांता, जिंदल पावर, पीएनसी इंफ्राटेक और डालमिया ग्रुप जैसी कंपनियाँ शामिल हैं। लेकिन इन सभी में अदाणी की बोली सबसे ऊंची और निर्णायक मानी जा रही है। खास बात यह भी है कि डालमिया ग्रुप ने भी मुकाबला किया है, परंतु उसकी शर्त है कि JAL की स्पोर्ट्स सिटी परियोजना से संबंधित कानूनी विवाद हल हो जाए।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जिसने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
🧩 कानूनी अड़चनें और अधिग्रहण की जटिलता
JAL की स्पोर्ट्स सिटी परियोजना नोएडा में है और इस पर लंबे समय से कानूनी विवाद चल रहा है। यदि अदाणी समूह इस प्रोजेक्ट से संबंधित जोखिम को संभालने में सक्षम होता है, तो यह अधिग्रहण भविष्य में रियल एस्टेट और शहरी विकास परियोजनाओं में उसे जबरदस्त बढ़त दिला सकता है।
📊 बाजार पर प्रभाव: निवेशकों का भरोसा और राजनीतिक संकेत
यह अधिग्रहण भारतीय निवेश बाजार में दो महत्वपूर्ण संदेश देता है:
- अदाणी समूह का फोकस अब इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ रियल एस्टेट और फिनांशल एसेट्स पर भी है।
- सरकार द्वारा समर्थित दिवालिया संहिता (IBC) के तहत कंपनियों की नीलामी प्रक्रिया अब पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा का नया उदाहरण बन रही है।
🧭 आगे का रास्ता: क्या अदाणी सफल हो पाएंगे?
हालांकि अदाणी समूह की पेशकश मजबूत है, लेकिन अंतिम निर्णय समाधान पेशेवरों और लेनदारों की समिति (Committee of Creditors) के हाथ में है। अगर अधिग्रहण सफल होता है, तो यह अदाणी समूह के पोर्टफोलियो में एक और महत्वपूर्ण संपत्ति जोड़ देगा।
लेकिन यह भी ध्यान देने योग्य है कि अदाणी पहले ही कई क्षेत्रों में फैला हुआ है और इस अधिग्रहण से उसका कर्ज और लिक्विडिटी दबाव बढ़ सकता है।