
U.S. President Donald Trump and Vice President JD Vance react to escalating India-Pakistan tensions amid Operation Sindoor – Exclusive Analysis by Shah Times.
भारत-पाक तनाव पर ट्रंप और जेडी वेंस का बड़ा बयान: अमेरिका बोले- जंग में नहीं होंगे शामिल
भारत-पाक तनाव: अमेरिका की दो टूक, लेकिन अलग सुर
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव एक बार फिर वैश्विक मंच पर चिंता का विषय बन चुका है। विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट, आतंकवाद पर भारत की आक्रामक नीति और अंतरराष्ट्रीय समर्थन की खींचतान ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। इसी संदर्भ में अमेरिका से दो अहम बयान सामने आए हैं — एक पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का और दूसरा वर्तमान उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का।
डोनाल्ड ट्रंप: ‘मैं मदद के लिए तैयार हूं’
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को “बहुत भयानक” बताते हुए कहा कि यदि उनकी कोई भूमिका बनती है, तो वे दोनों देशों के बीच शांति बहाल करने में मदद करने को तैयार हैं। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि उनके भारत और पाकिस्तान दोनों से अच्छे संबंध हैं और वह चाहते हैं कि यह संघर्ष जल्दी समाप्त हो।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान-प्रशासित क्षेत्रों में आतंकवादी ठिकानों पर हमले किए हैं। ट्रंप के शब्दों में मानवीय चिंता तो है, लेकिन साथ ही एक सधी हुई कूटनीति भी, जो अमेरिका की पारंपरिक “मध्यस्थता की इच्छा” को दोहराती है।
जेडी वेंस: ‘यह हमारा काम नहीं है’
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का बयान ट्रंप से बिल्कुल अलग रुख दर्शाता है। फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में वेंस ने स्पष्ट किया कि अमेरिका इस जंग में शामिल नहीं होगा। उन्होंने कहा, “हम दोनों पक्षों को तनाव कम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, लेकिन हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे।”
वेंस ने यह भी जोड़ा कि अमेरिका न तो भारत को हथियार डालने के लिए कह सकता है और न ही पाकिस्तान को। यह क्षेत्रीय मुद्दा है और अमेरिका इसे नियंत्रित नहीं कर सकता।
अमेरिका की रणनीति: हस्तक्षेप से दूरी, लेकिन निगरानी जारी
जेडी वेंस की बातों से यह संकेत मिलता है कि बाइडेन प्रशासन दक्षिण एशिया में सैन्य संघर्ष में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप से बचना चाहता है। अमेरिकी सेना के कमांडर जनरल रोनाल्ड क्लार्क का बयान भी इसी दिशा में जाता है, जिन्होंने कहा कि अमेरिका इस स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है लेकिन अभी किसी निष्कर्ष पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी।
क्या यह दोहरा रवैया है या संतुलन की कोशिश?
अमेरिका की इन दो अलग-अलग टिप्पणियों से यह प्रश्न उठता है कि क्या यह दोहरा रवैया है या एक सोची-समझी रणनीति? ट्रंप की मध्यस्थता की इच्छा और वेंस की स्पष्ट दूरी — दोनों ही बयानों में अमेरिका अपने वैश्विक कूटनीतिक प्रभाव को बनाए रखने की कोशिश करता दिखता है, लेकिन वास्तविक हस्तक्षेप से परहेज़ करता है।
भारत के लिए संकेत: कूटनीति को मज़बूती और वैश्विक समर्थन की दरकार
भारत को अमेरिका जैसे देशों से समर्थन तो मिल रहा है, लेकिन यह समर्थन नैतिक और कूटनीतिक दायरे तक सीमित है। ऐसे में भारत को अपनी सुरक्षा रणनीति के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की हर झूठी बयानबाज़ी को बेनकाब करते रहना होगा — जैसा कि हाल ही में UNSC की बंद कमरे की बैठक में हुआ।
निष्कर्ष: अमेरिका की चुप्पी, भारत की चुनौती
भारत-पाक संघर्ष के इस नाज़ुक मोड़ पर अमेरिका की भूमिका सीमित लेकिन रणनीतिक है। डोनाल्ड ट्रंप की मानवतावादी पहल और जेडी वेंस की व्यावहारिक नीति — दोनों अमेरिका की कूटनीतिक संतुलन की नीति को दर्शाते हैं। लेकिन भारत के लिए यह संकेत है कि असली समाधान स्वयं की शक्ति और वैश्विक जनमत तैयार करने से ही आएगा।
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