
Shah Times coverage of the Kotdwar court verdict in the high-profile Ankita Bhandari murder case.
अंकिता भंडारी हत्याकांड – इंसाफ की ओर एक लंबा सफर
🕊️ उत्तराखंड की मासूम बेटी को आखिर इंसाफ मिलेगा या फिर फिर से सवालों में घिर जाएगा सिस्टम?
उत्तराखंड की अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार कोर्ट आज सुनाएगा फैसला। जानिए कौन थी अंकिता, क्या था पूरा मामला, SIT रिपोर्ट, गवाह और केस की सुनवाई से जुड़ी पूरी जानकारी।
Dehradun,(Shah Times)।उत्तराखंड की शांत वादियों में गूंजते एक दर्दनाक चीख का नाम है – अंकिता भंडारी। 22 वर्षीय इस युवती की हत्या सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि सत्ता, पैसे और पितृसत्ता के गठजोड़ की वह शर्मनाक तस्वीर है जो समाज को भीतर तक झकझोर देती है। दो साल आठ महीने की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद आज कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।
🔍 कौन थी अंकिता भंडारी?
अंकिता भंडारी, पौड़ी के यमकेश्वर ब्लॉक स्थित वनतारा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी। यह वही रिजॉर्ट है जिसका मालिक पुलकित आर्य, एक राजनीतिक रसूखदार नेता का बेटा है। 18 सितंबर 2022 को अंकिता लापता हुई और 24 सितंबर को उसका शव चीला नहर से बरामद हुआ। यह घटना सिर्फ एक मर्डर केस नहीं, बल्कि एक युवती की गरिमा, स्वतंत्रता और आत्म-सम्मान पर हमला था।
⚖️ मामले की जांच और कानूनी प्रक्रिया
घटना के बाद तीन अभियुक्त – पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को गिरफ्तार किया गया। जांच के लिए SIT (विशेष जांच टीम) का गठन हुआ जिसकी अगुवाई डीआईजी पी. रेणुका देवी ने की। एसआईटी ने अदालत में 500 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया।
मामले में कुल 97 गवाह बनाए गए, जिनमें से 47 को कोर्ट में पेश किया गया। अभियोजन पक्ष ने जिस सतर्कता से सबूत और गवाह प्रस्तुत किए, वह न्याय प्रणाली पर लोगों के dwindling faith को एक बार फिर से मज़बूती देने की कोशिश थी।
🧠 सामाजिक और राजनैतिक संदर्भ
इस केस ने उस सत्ता तंत्र की परतें खोलीं जिसमें आम नागरिक की आवाज़ अक्सर रसूखदारों की ताकत में दब जाती है। अंकिता को ‘स्पेशल सर्विस’ देने के लिए मजबूर किया जा रहा था – यह बयान अपने आप में उस यौन शोषण के इकोसिस्टम को दर्शाता है जो तथाकथित हाई-प्रोफाइल सेटअप में पनपता है।
इस हत्याकांड ने “MeToo” और महिला सुरक्षा पर नए सिरे से राष्ट्रीय विमर्श को जन्म दिया। सोशल मीडिया से लेकर संसद तक यह सवाल उठा – क्या महिलाओं को काम के नाम पर शोषण की छूट देने वाला यह ढांचा कभी टूटेगा?
🏛️ आज का दिन: फैसले की घड़ी
कोटद्वार की ADJ कोर्ट ने आज के दिन, 30 मई 2025 को फैसले की तारीख तय की है। कोर्ट परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है और पूरे राज्य की निगाहें इस फैसले पर टिकी हैं। क्या पुलकित आर्य और उसके साथियों को उनके किए की सज़ा मिलेगी? या फिर एक बार फिर न्याय की डोर राजनीति के हाथों कमजोर पड़ जाएगी?
📢 समाज की भूमिका और मीडिया की ज़िम्मेदारी
इस केस में मीडिया, खासकर सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई। आम जनता की संवेदना ने इसे एक राष्ट्रव्यापी मुद्दा बना दिया। लेकिन यह भी ज़रूरी है कि हम संवेदनाओं को सनसनी में न बदलें। इस केस की रिपोर्टिंग और विश्लेषण में संयम, संवेदना और सत्य के प्रति प्रतिबद्धता बनाए रखना आज पत्रकारिता की सबसे बड़ी परीक्षा है।
🔚 न्याय मिलना जरूरी है, मिसाल बनाना और भी जरूरी
अंकिता भंडारी का हत्याकांड सिर्फ एक केस नहीं, यह उस बदलाव की माँग है जो महिलाओं को एक सुरक्षित कार्यस्थल, स्वतंत्र जीवन और गरिमा से जीने का अधिकार दिला सके। आज कोर्ट का फैसला चाहे जो भी हो, यह तय करना अब समाज और सिस्टम की जिम्मेदारी है कि दूसरी ‘अंकिता’ को मरना न पड़े।
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