यज्ञ से विश्व शांति का किया गया आह्वान
विश्व शांति के लिए यह आयोजन हमारी सांस्कृतिक जड़ों, एकता और मूल्यों को बढ़ावा देने की एक गहन यात्रा का प्रतीक है: योगी सूरी
पानीपत । महान समाज सुधारक महर्षि दयानंद (Maharishi Dayanand) को उनकी 200वीं जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए, आर्य युवा समाज हरियाणा (Arya Yuva Samaj Haryana) द्वारा पानीपत में डीएवी पब्लिक स्कूल (DAV Public School) थर्मल कॉलोनी में विश्व शांति और कल्याण (world peace and welfare) के लिए एक विशाल 5100 कुंडीय यज्ञ अमृत संस्कार का आयोजन किया गया।
डीएवी कॉलेज प्रबंधकीय समिति और आर्य क्षेत्रीय प्रतिनिधि समिति के अध्यक्ष आर्य रत्न पद्मश्री पुनम सूरी (Poonam Suri) के मार्गदर्शन और आशीर्वाद के तहत यह आयोजन वैदिक संस्कृति और मूल्यों की लौ को प्रज्वलित करने के लिए तैयार है, जिसका लक्ष्य हर घर को भारत की समृद्ध विरासत से जोड़ना है।
आर्य युवा समाज (Arya Yuva Samaj) के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगी सूरी (Yogi Suri) की अध्यक्षता में यह आयोजन किया गया, जिसका लक्ष्य हर घर को भारत की समृद्ध विरासत से जोड़ना है। योगी सूरी (Yogi Suri) के दूरदर्शी नेतृत्व में, 5100 कुंडीय यज्ञ अमृत संस्कार की रूपरेखा को आकार देने के लिए हरियाणा (Haryana) के आरओएस, एआरओएस और डीएवी स्कूलों के प्रिंसिपलों का एक सम्मेलन बुलाया गया था। सतपाल आर्य ने बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें युवा पीढ़ी में वैदिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए समर्पित शैक्षिक नेताओं को एक साथ लाया गया।
इस विशिष्ट कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति महेश ग्रोवर की उपस्थिति थी, जबकि न्यायमूर्ति प्रीतम पाल समारोह ने अध्यक्षता की। उनकी भागीदारी इस उत्सव के महत्व और न्याय और धार्मिकता के सिद्धांतों के साथ इसके संरेखण को रेखांकित करती है।
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योगी सूरी जी ने कहा, “महर्षि दयानंद सरस्वती (Maharishi Dayanand Saraswati) शांति के प्रतीक थे। उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हुए, आर्य युवा समाज आज विश्व शांति का आह्वान करता है। विश्व शांति के लिए यह आयोजन हमारी सांस्कृतिक जड़ों, एकता और मूल्यों को बढ़ावा देने की एक गहन यात्रा का प्रतीक है। 5100 कुंडीय यज्ञ अमृत संस्कार हमारी वैदिक विरासत को पुनर्जीवित करने और संजोने का एक सामूहिक प्रयास है। इतने सारे लोगों का एक साथ आना, विश्व शांति के लिए आह्वान है। एक बेहतर कल की नींव आज रखी जा रही है। यज्ञ एक श्रेष्ठतम कर्म है जो हमारे जीवन का सार और आधार निर्धारित करता है। इस यज्ञ से हम देव स्तुति, परमपिता परमेश्वर और जड़ देव की आराधना सीखते हैं। इस यज्ञ से हम संगतीकरण और त्यागमई भावना सीखते हैं। आज हम प्रण लेते हैं कि हम अपना जीवन यज्ञमय बनायेंगे और इस हवन को आगे बढ़ाकर अपने घरवालों को आगे बढ़ाएंगे।”
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति महेश ग्रोवर (Mahesh Grover) ने कहा, “यह एक बहुत महत्वपूर्ण साल है जब हम महर्षि दयानंद (Maharishi Dayanand) की 200वीं जयंती मना रहे हैं। इस यज्ञ को आने वाली पीढ़ियों के लिए धार्मिकता और न्याय का मार्ग रोशन करने वाला एक प्रकाश स्तंभ बनने दें। आज भी समाज धार्मिक कट्टरता, जाति आधारित भेदभाव, बाल विवाह एवम लिंग भेदभाव जैसी चीजों से लड़ रहे हैं। महर्षि दयानंद के सिद्धांतों से सीखकर आर्य समाज के विचार इन कुरीतियों को ख़त्म कर सकता है। इस अवसर पर हम सब मिलकर उनके विचारों को आत्मसात कर आगे बढ़ने का प्रण लें।”
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रीतम पाल ने कहा, “मैं एक ऐसे कार्यक्रम की अध्यक्षता करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं जो न केवल एक महान सुधारक की याद दिलाता है बल्कि हर घर में वैदिक संस्कृति का सार लाने का भी प्रयास करता है। इस यज्ञ की महिमा का उल्लेख हमारे वेदों से लेकर सभी उपनिषदों एवम रामायण में किया गया है। यहां तक कि भगवान राम, कृष्ण, कौशल्या, दशरथ भी प्रतिदिन यज्ञ करते थे। इसका वर्णन महाभारत में भी है। यह हमारी वैदिक परंपरा है जिसे महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वेदों के सत्यज्ञान का आह्वान किया और कहा कि वेदों की ओर लौटो। आने वाले समय में टंकारा में महर्षि दयानंद सरस्वती की स्मारिका का निर्माण किया जाएगा। दुनिया के कोने-कोने से लोग वहां आकर ज्ञान प्राप्ति करेंगे।”