बदहाल पाकिस्तान ब्रिक्स देशों में होना चाहता है शामिल

भारत-चीन भी इसके सदस्य, अमेरिका और पश्चिम देशों को टक्कर देने के लिए बना है ये संगठन

International desk
आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान ने ब्रिक्स देशों के संगठन में शामिल होने की इच्छा जताई है। पाकिस्तान की सरकार देश को बदहाली से निकालने की कोशिशों में जुटी है। इस बीच रिपोर्ट दावा किया गया है कि पाकिस्तान अगस्त में साउथ अफ्रीका में होने वाले ब्रिक्स समिट में संगठन में शामिल होने की मांग को आगे बढ़ा सकता है। भारत और चीन के अलावा रूस, ब्राजील और साऊथ अफ्रीका इस संगठन के सदस्य हैं।


पाकिस्तान के साथ-साथ सऊदी अरब, ईरान समेत 19 देशों ने ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए पेशकश की है। ब्रिक्स देशों ने भी संगठन को मजबूत करने के लिए और सदस्यों को जोड़ने की बात कही है। हालांकि, इसमें पाकिस्तान को जगह मिलना लगभग नामुमकिन है। पाकिस्तान को शामिल किया तो भारत छोड़ देगा सदस्यता?


दुनिया के बड़े संस्थानों पर अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबदबे के खिलाफ BRICS को 16 जून 2009 में बनाया गया था। उस दौरान इसमें ब्राजील, रूस, भारत और चीन शामिल थे। साउथ अफ्रीका दिसंबर 2010 में इसका सदस्य बना। इस ग्रुप में ज्यादातर तेजी से विकास करने वाले देश हैं। ऐसे में पाकिस्तान के इसमें जुड़ने से संगठन की विश्वसनीयता घट जाएगी। न्यूज वेबसाइट फर्स्ट पोस्ट के मुताबिक भारत को संगठन में पाकिस्तान का शामिल होना पसंद नहीं होगा और वो एक्टिव मेंबर के तौर पर काम करना बंंद कर देगा।


भारत लगातार पाकिस्तान पर आतंक फैलाने के आरोप लगाता रहा है। 2016 के BRICS सम्मेलन में तो पीएम मोदी ने पाकिस्तान को आतंक की मां तक कह दिया। वहीं, अगर भारत BRICS से अलग होता है तो संगठन कमजोर पड़ जाएगा।


पाकिस्तान के BRICS में शामिल न हो पाने की 3 वजहें…
1) फाइनेंस सबसे बड़ी वजह है। BRICS सीधे तौर पर दुनिया का सबसे संपन्न माने जाने वाले आर्थिक संगठन G7 को टक्कर देता है। GDP पर क्रय शक्ति के मामले में चीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, भारत तीसरी, रूस छठी और ब्राजील आठवीं है। सारे ब्रिक्स देशों की दुनिया की GDP में 31.5 % की हिस्सेदारी है। ऐसे में पाकिस्तान को इसमें शामिल करने से संगठन आर्थिक रूप से कमजोर होगा।
2) पाकिस्तान के ब्रिक्स में शामिल होने से संगठन की हालत सार्क (SAARC) जैसे न हो जाए। दरअसल, सार्क संगठन साउथ एशियाई देशों में तालमेल बैठाने के लिए बनाया गया था। भारत, पाकिस्तान, अफागिस्तान, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका इसके सदस्य देश हैं। हालांकि, भारत-पाकिस्तान के बीच सख्त मतभेदों की वजह से संगठन ठीक से काम नहीं कर पाता है। जिससे उसकी अहमियत पर सवाल खड़े होते हैं।
3) तीसरी और आखिरी वजह पाकिस्तान की विदेश नीति है। जो कंक्रीट नहीं है। बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक पाकिस्तान इस्लाम के मान पर पार्टनर ढूंढता है। फिर उनसे मदद मांगता है। कई एक्सपर्ट्स पाकिस्तान को कर्ज जीवी यानी कर्ज के सहारे जीने वाले। ऐसे में उसे ब्रिक्स देशों में जगह नहीं मिल सकती है। ब्रिक्स को नाम किसने दिया?
एक ब्रिटिश इकोनॉमिस्ट जिम ओ’निल ने दुनिया के सबसे ताकतवर इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स में काम करने के दौरान 2001 में यह शब्द गढ़ा था। तब यह केवल BRIC था। इस अंग्रेजी शब्द को हिंदी में ईंट कहा जाता है। दरअसल , 2000 के दशक में BRICS देश तेजी से विकास कर रहे थे। अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही थी। इसलिए इनकी तुलना ईंट से की गई।

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