नदी, तालाब, वाटर पार्क या झरनों में नहाने से भी जा सकती हैं जान

नेगलेरिया फाउलेरी एक अमीबा है जो पानी, झीलों, नदियों और झरनों में पाया जाता है। यह इतनी खतरनाक है कि नाक के जरिए इंसान के दिमाग में चली जाती है और फिर जान तक जा सकती है।

इस भीषण गर्मी के चलते हर कोई नदी, झरने या वाटर पार्क में नहाने जाते हैं। बल्कि आज कल तो वाटर पार्क ज्यादा प्रचलन में हैं। यह छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक की पसंद बनता जा रहा हैं। मगर क्या आप जानते हैं हमारी थोड़ी देर की खुशी हमारी मौत का कारण बन सकती हैं। दरअसल नेगलेरिया फाउलेरी एक अमीबा है जो पानी, झीलों, नदियों और झरनों में पाया जाता है। यह इतनी खतरनाक है कि नाक के जरिए इंसान के दिमाग में चली जाती है और फिर जान तक जा सकती है।

आपको बता दें कि दिमाग खाने वाला अमीब यानी नेगलेरिया फाउलेरी की वजह से इन दिनों केरल में आए दिन बच्चों की मौत का मामला सामने आ रहा है। इस अमीबा से बीमार होने के बाद ठीक होना नामुमकिन है। दरअसल, यह दिमाग खाने वाला अमीब मरीज के दिमाग के सेल्स को मार देता है।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि इस अमीबा से लोगों की मौत हो रही है। बल्कि दुनियाभर में दिमाग खाने वाले अमीबा के कारण बहुत से लोग अपनी जान गवां चुके हैं। नेगलेरिया फाउलेरी नाम का अमीबा मिट्टी, ताजे पानी, नदिया, झील, झरनों में पाया जाता है। यह अमीबा नाक के जरिए दिमाग में इंफेक्शन करता है। कभी कभी ये इतना घातक साबित होता है की इंसान की मौत तक हो जाती हैं।

क्या होता है अमीबा

अमीबा एक सेल है। यह दिखने में बेशक काफी छोटा होता है। इसलिए इसे खुली आंखों से आप देख भी नहीं सकते। इसे केवल माइक्रोस्कोप के जरिए ही देखा जा सकता है। यह बेहद गर्म वातावरण और पानी में पनपते हैं। जैसे- नदियों और झरनों के पानी में यह काफी तेजी से पनपते हैं। इसी कारण गर्मियों के मौसम में तालाब या वाटर पार्क में नहीं नहाना चाहिए। जब अमीबा नाक के रास्ते से दिमाग में घुस जाता है और फिर धीरे-धीरे शरीर में इंफेक्शन होने लगता है। यह अमीबा नाक में घुसकर दिमाग के सेल्स को नष्ट कर देता है। इस अमीबा को मेडिकल की भाषा में नेगलेरिया फाउलेरी कहा जाता है।

अमीबा के लक्षण

नेगलेरिया फाउलेरी अमीबा जैसे ही आपके शरीर में एंट्री करती है तो इसके लक्षण शरीर पर दिखाई देने लगते हैं। जैसे- सिरदर्द होना, सिरदर्द के साथ तेज बुखार, मतली या उल्टी जैसी परेशानी शुरू हो जाती है।संक्रमण बढ़ने के साथ शरीर में बहुत ज्यादा दर्द, अकड़न, और दिमाग का काम न करना शामिल है। इसके कारण मृत्यु भी हो सकती है।

अमीबा इंफेक्शन से बचने के उपाय

गर्मी या बरसात के महीनों में इस बीमारी के फैलने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इसलिए खासकर इस मौसम में वाटर पार्क और तालाब में नहीं जाना चाहिए। इस मौसम में सचेत रहें। क्योंकि इस मौसम में यह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। जब आप तालाब, झील या वाटर पार्क में तैरने का सोचें तो पानी के अंदर नाक न करें क्योंकि नाक के जरिए ही दिमाग में यह अमीबा घुसता है। वहीं अगर झील में नहा रहे हैं तो सिर को भिगाने से बचें क्योंकि इस अमीबा का रास्ता नाक है जिसके जरिए यह बॉडी में घुसता है और पूरे शरीर में इंफेक्शन हो जाता हैं। जिसके कारण जान भी चली जाती हैं।

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